ये चुनाव पार्टी नहीं प्रत्याशियों का होगा ( Picture Supply : ABP Dwell )
Madhya Pradesh Election 2023: बीजेपी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की नाराजगी के ढेर सारे वीडियो के बीच अंतिम सत्य यही है कि दोनों पार्टियों ने अपने-अपने महारथी मध्यप्रदेश विधानसभा 2023 के चुनावी समर में उतार कर चुनाव लडने के आदेश दे दिये हैं. दो पार्टी की सत्ता वाले मध्यप्रदेश की खूबी यही है कि बीजेपी कांग्रेस के बीच कुछ चुनाव छोड़ दिए जायें तो अधिकतर चुनावों में बड़ा करीबी मुकाबला होता है. इस बार भी यही लग रहा है.
बीजेपी और कांग्रेस की लिस्ट को देखा जाए तो हैदर अली आतिश का यही शेर याद आता है कि बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो इक कतरा ए खूं न निकला. चुनाव के पहले दोनों पार्टियों ने बडे बडे दावे किये थे टिकट बांटने के दावों का. हर विधानसभा का बडा सर्वे होगा, एक खास क्राइटेरिया होगा, जिसमें उमर का ख्याल रखा जायेगा, प्रदेश में युवा वोटर बडी संख्या में है उम्मीदवारों में युवाओं को जगह दी जायेगी, पार्टी छोड कर गये लोगों को जगह नहीं दी जायेगी, हार के अंतर का ख्याल रखकर ही टिकट बांटी जायेगी, युवाओं, ओबीसी और महिलाओं को खास ध्यान होगा.
मगर दोनों पार्टियों की सूचियों में किसी भी खास पैमाने का ध्यान नहीं रखकर सिर्फ जिताउ उम्मीदवार पर ही फोकस किया है भले ही वो कितना बुजुर्ग और कितनी ही बार पार्टी की रीति नीति छोड़कर भागा हो. पहले चर्चा बीजेपी की शनिवार की शाम को आयी उस सूची का जिसका लंबे समय से इंतजार हो रहा था. बीजेपी ने शुरुआत की दो सूचियों में जिस प्रकार चौंकाया था उससे लग रहा था कि इस बार पार्टी इस चुनाव को अलग ही स्तर पर ले जा रही है. टिकट वितरण से लेकर प्रचार तक में. पहले जल्दी से हारी सीटों पर उम्मीदवार उतारे फिर सात सांसदों सहित तीन केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारा और संदेश दिया कि हर सीट खास है. मगर तीसरी सूची तक मंत्रियों और मुख्यमंत्री का नाम नहीं आने पर लगा कि यहां भी गुजरात तो नहीं दोहराया जायेगा. इस आशंका में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सभाओं में तीखा राग छेडा. चुनाव लडूं या नहीं, चला जाउंगा तो बहुत याद आऊंगा, मैं कैसी सरकार चला रहा हूं वगैरह. इसका असर हुआ तीसरी सूची में जो 57 नाम आये तो लगा कि मुख्यमंत्री की मर्जी के आगे आलाकमान ने समर्पण कर दिया और तकरीबन सारे विधायक और मंत्रियों को टिकट दे दी गयी.
शनिवार को आयी सूची में फिर कुछ नयेपन की उम्मीद थी मगर यहां भी ऐसा नही हुआ. बानवे प्रत्याशियों की तीसरी सूची में घर बैठ गये बुजुर्ग नेताओं के साथ कई बार पार्टी छोडकर बाहर गये फिर लौटे लोगों पर पार्टी ने जी भरकर भरोसा बरसाया. नरेंद्र कुशवाहा और राकेश शुक्ला दो बार पार्टी से बाहर जा चुके हैं. जयंत मलैया, नागेंद्र सिंह, बालकिशन पाटीदार, माया सिंह, नारायण कुशवाहा, महेंद्र हार्डिया ,दिलीप परिहार सत्तर बहत्तर से पार के उम्रदराज नेता है. एक जानकार का कहना है कि शिवराज भाजपा महाराज भाजपा नहीं ये डरी भाजपा की सूची है. जीतने के नाम पर सारे तय मानदंड को परे रख दिया गया.
कांग्रेस की शुक्रवार को आयी सूची में कमलनाथ के सर्वे को ही सर्वेसर्वा मानने वालों की हवा निकाल दी गयी. कांग्रेस की अठासी की सूची देखकर लगा कि कई सीटों पर पाटी्र के पास चुनाव लडाने के लिये लोग ही नहीं है. जो हैं वो या तो इतने नये है कि उनकी कुछ पहचान ही इलाके मे नहीं है और पुराने हैं तो इतने पुराने हैं कि बीस साल पहले दिग्विजय मंत्रिमंडल के साथी रहे है. सुभाष सोजतिया, नरेंद्र नाहटा राकेश चौधरी राजकुमार पटेल और हुकुम सिंह कराडा दिग्गी राजा के साथी मंत्री रहे हैं ये सब फिर चुनाव लड रहे हैं. कोई नयापन नहीं.
खैर अब इस चुनाव में प्रत्याशी ही महत्वपूर्ण होने जा रहे है. बीजेपी और कांग्रेस के नाम पर उम्मीदवारों को वोट कम मिलेंगे ये इलाकों में घूमकर लौटने वाले बता रहे हैं. बीजेपी कांग्रेस के मुख्यमंत्री चेहरों पर किसी को कोई आकर्षण नहीं बचा है. फ्री की रेवडियां बांटने और आकाशी वायदे करने में दोनों पार्टियां एक दूसरे को पछाड रही है. इसलिये टिकट वितरण उसके बाद टिकट विरोध और फिर प्रचार का दौर अब शुरू होने को है. मगर इतना साफ है कि इस बार का चुनाव पार्टी नहीं प्रत्याशी के नाम पर होगा इसलिये आलाकमान के दम पर वोट पाने का मंसूबा रखने वाले इस बार निराश होंगे. जीतेगा वही जिसे स्थानीय जनता चाहेगी. इसलिये बस अब तैयार हो जाइये मध्यप्रदेश के महासमर के लिये.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह जरूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)
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Rajneesh Singh is a journalist at Asian News, specializing in entertainment, culture, international affairs, and financial technology. With a keen eye for the latest trends and developments, he delivers fresh, insightful perspectives to his audience. Rajneesh’s passion for storytelling and thorough reporting has established him as a trusted voice in the industry.