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Madhya Pradesh Assembly Election 2023 Shivraj Singh Chouhan Will Fight From Budhni Constituency


Budhni Assembly Constituency Historical past: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद बीजेपी ने यहां सोमवार को अपने उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट भी जारी कर दी. इस लिस्ट में सबसे बड़ा नाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का है, जिन्हें पार्टी ने उनकी परंपरागत सीट बुधनी विधानसभा क्षेत्र से ही टिकट दिया है.

इस लिस्ट में शिवराज सिंह चौहान के अलावा मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव का भी नाम है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा बुधनी सीट को लेकर ही हो रही है. सीहोर जिले में आने वाली बुधनी विधानसभा सीट सीएम शिवराज सिंह चौहान का गृह क्षेत्र भी पड़ता है. वह इस सीट से लगातार 5 बार विधायक बन चुके हैं. आइए जानते हैं इस सीट का इतिहास, समीकरण और अटल कनेक्‍शन.

क्या है इस सीट का इतिहास

बुधनी विधानसभा सीट 1957 में बनी थी और इस साल हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की प्रत्याशी राजकुमारी सूरज कला ने जीत दर्ज की थी. साल 1962 में निर्दलीय बंसीधर इस सीट से जीते. 1967 में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार मोहनलाल शिशिर ने जीत हासिल की. 1972 में निर्दलीय उम्मीदवार शालिग्राम वकिल ने इस सीट से जीत का स्वाद चखा. 1977 में जनता पार्टी से शालिग्राम वकिल विजयी रहे. 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) से केएल प्रधान, 1985 में बीजेपी से चौहान सिंह चौहान, 1990 में बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान, 1992 में भाजपा से मोहनलाल शिशिर, 1993 में कांग्रेस से राजकुमार पटेल, 1998 में कांग्रेस के देवकुमार पटेल इस सीट से विजेता रहे. इसके बाद 2003 से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. साल 2003 में बीजेपी से राजेन्द्र सिंह, 2006 में बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान, 2008 में बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान, 2013 में बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान और 2018 में भी शिवराज सिंह चौहान ने ही जीत हासिल की.

क्या है इस सीट का समीकरण

पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार, बुधनी विधानसभा क्षेत्र में कुल वोटरों की संख्या 205071 है. इसमें महिला वोटर्स की संख्या 116873 और पुरुष वोटर की संख्या 128167 है. जाति के लिहाज से देखें तो इस एरिया में ओबीसी वोटर्स की संख्या काफी अधिक है. यहां आदिवासी, ब्राह्मण, राजपूत, पवार, मुस्लिम और मीणा काफी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा किरार और यादव जो काफी निर्णायक भूमिका निभाते हैं, वे ओबीसी में ही आते हैं.

इस सीट का पूर्व पीएम अटल से कनेक्शन

शिवराज सिंह चौहान बुधनी सीट से पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं. एक बार फिर उन्हें इसी सीट से टिकट दिया गया है, लेकिन इस सीट से पहली बार शिवराज सिंह चौहान को टिकट मिलने की कहानी बेहद दिलचस्प है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने 1991 में शिवराज सिंह चौहान को अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना था. 1991 में बीजेपी की तरफ से पीएम पद के सबसे बड़े चेहरे अटल बिहारी वाजपेई को विदिशा से चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही थी. यहां के अलावा अटल बिहारी वाजपेई लखनऊ सीट से भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे. वाजपेई अब चुनाव लड़ने की तैयारी में थे. उसी समय बुधनी विधानसभा सीट से पहली बार शिवराज विधायक बने. शिवराज सिंह चौहान को अटल बिहारी वाजपेई का चुनाव संचालक बनाया गया था.

अटल बिहारी वाजपेई विदिशा और लखनऊ दोनों सीट से चुनाव जीत गए. इसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेई से पूछा गया कि वे कौन सी सीट खाली करेंगे, तो उन्होंने मध्यप्रदेश की लोकसभा सीट को खाली करने का फैसला किया. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेई से पूछा गया कि वे उनके उत्तराधिकारी के रूप में विदिशा से किसे टिकट देने की वकालत करेंगे. इस पर अटल ने कहा कि सिर्फ “शिवराज सिंह चौहान”. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान को विदिशा लोकसभा सीट से टिकट मिला और वे भारी बहुमत से जीत गए

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