Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव होंगे. आचार संहिता लागू होते ही राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच यहां सीधा मुकाबला है. दोनों ही दल ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता हासिल करना चाहते हैं.
कांग्रेस के सामने 2018 में मिली सफलता को फिर से दोहराने की चुनौती है तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी अपनी कुर्सी बचाना चाह रही है. यही वजह है कि बीजेपी ने यहां तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत चार सांसदों को मैदान में उतारा है. इसके अलावा पार्टी ने राष्ट्रीय राजनीति से लाकर कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट दिया है. इस तरह यहां कई ऐसी सीटें हैं जिन पर दिलचस्प मुकाबला होगा. आइए जानते हैं मध्य प्रदेश की कुछ ऐसी विधानसभा सीटों के बारे में जिन पर सबकी नजर टिकी रहेगी.
1. बुधनी: इस सीट को सीएम शिवराज सिंह चौहान का गढ़ कहा जाता है. वह 2006 से इस सीट पर जीत रहे हैं. सीहोर जिले में आने वाली बुधनी विधानसभा सीट से शिवराज सिंह ने 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है.
2. छिंदवाड़ा : मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और नौ बार सांसद रहे कांग्रेस के कमलनाथ ने दिसंबर 2018 में सीएम बनने के बाद मई 2019 में यहां हुए उपचुनाव में पहली बार जीत दर्ज की थी. यह सीट कमलनाथ के गृह क्षेत्र में है. इससे पहले 2013 में बीजेपी इस सीट से जीती थी. 2008 में कांग्रेस ने इस पर कब्जा जमाया था.
3. दिमनी : मुरैना जिले के तहत आने वाली इस सीट का इस बार इसलिए ज्यादा महत्व है क्योंकि बीजेपी ने यहां से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीदवार बनाया है. तोमर का नाम सीएम की रेस में भी चल रहा है. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने यहां से जीत हासिल की थी, जो बाद में बीजेपी में चले गए थे. 2020 में यहां उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर भिडौसा ने जीत दर्ज की.
4. नरसिंहपुर : बीजेपी ने इस बार इस सीट पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है. नरसिंहपुर जिले के तहत आने वाली इस सीट से अभी बीजेपी के जालम सिंह पटेल विधायक थे. जालम सिंह प्रह्लाद सिंह पटेल के छोटे भाई हैं. जालम सिंह यहां से 2013 और 2018 में चुनाव जीत रहे थे.
5. निवास : निवास विधानसभा सीट मंडला जिले में आती है. यह सीट इसलिए खास है क्योंकि यहां से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को बीजेपी ने उतारा है. ये भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं. फिलहाल कांग्रेस के डॉ. अशोक मार्सकोले यहां से विधायक हैं. इन्होंने 2018 में बीजेपी प्रत्याशई को 28,000 से अधिक वोटों से हराया था.
6. इंदौर-1: इंदौर-1 शायद इस बार सबसे चर्चित सीटों में से एक है. बीजेपी ने यहां राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को उतारा है. अभी यहां से कांग्रेस के संजय शुक्ला विधायक हैं. इनसे पहले 2008 और 2013 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.
7. इंदौर-2: इंदौर-2 को भी बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ माना जाता है. अभी यहां से उनके करीबी रमेश मेंदोला विधायक हैं. 2018 में रमेश ने 71,000 से अधिक वोटों से चुनाव जीता था. मेंदोला 2008 और 2013 में भी यहां के विधायक रह चुके हैं. इससे पहले कैलाश विजयवर्गीय ने 1993 से 2003 तक इस विधानसभा क्षेत्र से एमएलए थे.
8. इंदौर-3: यह सीट भी कैलाश विजयवर्गीय के दबदबे वाली है. यहां से उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय विधायक हैं. 2018 में आकाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस के अश्विन जोशी को 5,700 से अधिक वोटों से हराया था.
9. दतिया: शिवराज सिंह की सरकार में दूसरे सबसे बड़े चेहरे और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा यहीं से विधायक हैं. वह 2008 से इस सीट पर जीत रहे हैं. डॉ. नरोत्तम मिश्रा का नाम भी सीएम उम्मीदवार की रेस में चल रहा है.
10. लहार: इस सीट पर कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. गोविंद सिंह इस सीट पर 1990 से जीत रहे हैं. इन्हें दिग्विजय सिंह का खास बताया जाता है.
11. ग्वालियर: शिवराज सिंह सरकार में राज्य ऊर्जा मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे प्रद्युम्न सिंह तोमर इस सीट से विधायक हैं. इससे पहले वह कांग्रेस में थे. मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ये बीजेपी में आ गए थे. यह 2008 में भी यहां से जीत हासिल कर चुके हैं.
12. सुरखी: सुरखी विधानसभा क्षेत्र सागर जिले में आता है. यहां से अभी गोविंद सिंह राजपूत विधायक हैं. ये भी ज्योतिरादित्य खेमे के हैं और 2020 में उनके साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए थे. अभी राज्य सरकार में परिवहन और राजस्व मंत्री हैं.
13. बदनावर: बदनावर की बात करें तो यह सीट धार जिले में आती है. अभी यहां से उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव विधायक हैं. यह ज्योतिरादित्य सिंधिया के काफी करीबी हैं. दत्तीगांव 2003, 2008 और 2018 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर जीत चुके हैं.
14. राघोगढ़: गुना जिले में आने वाली इस सीट से कांग्रेस का भविष्य जुड़ा हुआ है. दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे और कांग्रेस के पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह यहां से विधायक हैं. जयवर्धन सिंह ने 2018 का चुनाव 46,600 से अधिक मतों से जीता था.
15. चुरहट: चुरहट सीट कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत अर्जुन सिंह का गढ़ है. उनके बेटे अजय सिंह यहां से विधायक हैं. उन्होंने 2008 और 2013 में यहां से जीत हासिल की थी, लेकिन 2018 में बीजेपी के शरदेंदु तिवारी ने उन्हें 6,400 से ज्यादा वोटों से हराया था.
16. सिहावल: सिहावल सीट का महत्व इस बार प्रत्याशी की वजह से बढ़ा है. यहां से कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल विधायक हैं. पटेल को पहली बार कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) का सदस्य बनाया गया है. उनसे यहां बीजेपी की सीधी टक्कर होगी.
17. शिवपुरी: शिवपुरी ग्वालियर के पूर्व शाही परिवार के सदस्यों की पारंपरिक सीट है. अभी तक इस सीट से बीजेपी की युवा कल्याण और तकनीकी शिक्षा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया विधायक थीं. इस चुनाव में उन्होंने न लड़ने का मन बनाया है.
18. चाचौड़ा: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा विधानसभा सीट से विधायक हैं. लक्ष्मण सिंह बीच में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए थे, लेकिन कुछ साल बाद ही उन्होंने घर वापसी कर ली.
19. राऊ : पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जीतू पटवारी राऊ विधानसभा सीट पर ताल ठोक रहे हैं. जीतू पटवारी का कद पार्टी में लगातार बढ़ रहा है. इस बार पार्टी की खास टीम में वह भी शामिल हैं.
ये भी पढ़ें
CEC Assembly: कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक आज, एमपी-छत्तीसगढ़ की सवा सौ सीटों पर नाम होंगे तय