लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है. भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, लेकिन सत्ताधारी गठबंधन के लिए यह आसान नहीं होगा. दक्षिण भारत के पांच राज्यों में पार्टी की हालत बेहद खराब है. ऐसे में सिर्फ हिंदी भाषी राज्यों के दम पर 400 से ज्यादा सीटें जीत पाना पीएम मोदी की पार्टी के लिए आसान नहीं होगा.
हिंदी भाषी राज्यों में पार्टी की पकड़ बेहद मजबूत है. इसी के दम पर बीजेपी दो बार से अपने दम पर लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल कर रही है, लेकिन गठबंधन के साथ भी 400 से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए बीजेपी को दक्षिण भारत में अच्छा प्रदर्शन करना होगा. अब तक सिर्फ एक ही बार कोई पार्टी 400 से ज्यादा सीटें जीती है. 1984 में कांग्रेस ने ऐसा किया था, लेकिन तब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लोगों ने भावुक होकर मतदान किया था.
दक्षिण भारत में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु को मिलाकर कुल पांच राज्य शामिल हैं. पहले इन राज्यों में बीजेपी की मौजूदा स्थिति जान लेते हैं.
दक्षिण भारतीय राज्यों में बीजेपी की स्थिति
कर्नाटक– राज्य की 28 लोकसभा सीटों में 25 पर बीजेपी का कब्जा है. राज्य में सिद्धारमैया की अगुआई में कांग्रेस की सरकार है.
आंध्र प्रदेश– 25 में से कोई भी सीट बीजेपी के पास नहीं है. राज्य में वाईएसआर कांग्रेस की सरकार है. जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री हैं.
केरल– 20 में से कोई भी सीट बीजेपी के पास नहीं है. राज्य में मार्कसवादी कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार है, पिनाराई विजयन मुख्यमंत्री हैं.
तेलंगाना– 13 में से 4 सीट बीजेपी के पास हैं. राज्य में कांग्रेस पार्टी सत्ता में है, रेवंथ रेड्डी मुख्यमंत्री हैं.
तमिलनाडु– 39 में से कोई भी सीट बीजेपी के पास नहीं है. राज्य में डीएमके पार्टी की सरकार है. एम के स्टालिन मुख्यमंत्री हैं.
कर्नाटक में बीजेपी कुछ साल पहले सत्ता में थी. अभी कांग्रेस की सरकार है, लेकिन यहां भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट मिल सकते हैं. हालांकि, पिछले चुनाव की तुलना में इसमें कमी आने के आसार हैं. क्योंकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी की सीट बढ़ती हैं.
सर्वे में क्या सामने आया?
फेडेरल पुथिया थालाइमुराई एप्ट 2024 प्री पोल सर्वे में केरल में कांग्रेस के गठबंधन को 44.12 फीसदी वोट शेयर के साथ 20 में से 17 सीटें दी गई हैं. वहीं, एलडीएफ को दो और बीजेपी को एक सीट मिली है. बीजेपी का वोट शेयर 8.11 फीसदी रह सकता है. 2019 की तुलना में कांग्रेस का वोट शेयर छह फीसदी बढ़ेगा और दो सीटें भी बढ़ेंगी. बीजेपी का वोट शेयर लगभग पांच फीसदी कम हो रहा है, लेकिन एक सीट जीतने की उम्मीद है. कर्नाटक में बीजेपी का वोट शेयर 51.75 फीसदी से बढ़कर 57.27 फीसदी होता दिख रहा है.
वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 32.11 फीसदी से घटकर 28.45 फीसदी हो सकता है. जनता दल का वोट शेयर 9.74 फीसदी से कम हो कर सिर्फ 1 फीसदी रह सकता है. राज्य की 28 सीटों में से 26 सीट बीजेपी के खाते में जाती दिखाई दे रही हैं और कांग्रेस को दो सीट मिलती दिख रही हैं. इस स्थिति में बीजेपी को 3 और कांग्रेस को एक सीट का फायदा होगा.
ऐसे में बीजेपी के लिए दक्षिण भारतीय राज्यों में जीत हासिल कर पाना बेहद मुश्किल होगा. अगर इन राज्यों में एनडीए गठबंधन को अच्छा प्रदर्शन करना है तो बीजेपी के अलावा भी अन्य दलों को अच्छा प्रदर्शन करना होगा.

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