Lok Sabha Election 2024: तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने शुक्रवार (11 अगस्त) को आरोप लगाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों के चयन को विनियमित करने वाला प्रस्तावित विधेयक निर्वाचन आयोग को बीजेपी की निजी एजेंसी में बदलने का हताश प्रयास है.
सरकार ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल के विनियमन के लिए राज्यसभा में गुरुवार (10 अगस्त) को एक विधेयक पेश किया. इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि भविष्य में निर्वाचन आयुक्तों का चयन पीएम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति करेगी. जिसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में दिया था एक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक ऐतिहासिक फैसला दिया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति करेंगे. कोर्ट ने कहा था कि यह मानदंड तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि इस मुद्दे पर संसद में कोई कानून नहीं बन जाता.
टीएमसी सांसद का बीजेपी पर हमला
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि बीजेपी निर्वाचन आयोग को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने ट्वीट किया, ”निर्वाचन आयोग से संबंधित विधेयक के साथ बीजेपी आयोग को एक राजनीतिक दल की निजी एजेंसी में बदलना चाहती है. उन्होंने अब ऐसा करना शुरू कर दिया है क्योंकि दो शोध एजेंसियों के डेटा से पता चलता है कि 2024 में बीजेपी की सीट 200 से कम हो जाएगी.”
‘अलोकतांत्रिक विधेयक का विरोध करेंगे’
ओ ब्रायन से सहमति जताते हुए टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि यह हथकंडा 2024 के लोकसभा चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी का एक हताश प्रयास है. उन्होंने कहा, ”इस विधेयक का उद्देश्य लोकतंत्र और निर्वाचन आयोग को कमजोर करना है. बीजेपी निर्वाचन आयोग पर कब्जा करना चाहती है. यह लोकसभा चुनाव को अपने पक्ष में करने की बीजेपी की चाल है. हम इस अलोकतांत्रिक विधेयक का विरोध करेंगे.”
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