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Lok Sabha Election 2024 After UP BJP Eyes South India Chandrababu Naidu To Meet Amit Shah TDP May Return To NDA


TDP-BJP Tie-Up Talks: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़े उलटफेर की संभावना है क्योंकि राष्ट्रीय लोकदल (RLD) की एनडीए से जुड़ने की अटकलें तेज हैं. सबकी निगाहें आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी पर टिकी हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी ने यूपी का मामला सुलझा लिया है और दक्षिण भारत के लिए बिसात बिछा दी है. टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू के एनडीए में लौटने की भी अटकलें तेज हैं. 

टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू का एनडीए में आना लगभग तय माना जा रहा है. वह बुधवार (7 फरवरी) को दिल्ली पहुंचे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात होनी है. दिल्ली में बीजेपी नेतृत्व से मुलाकात के बाद सीटों की संख्या को लेकर डील के सील होने का अनुमान है.

दक्षिण पर बीजेपी का फोकस

लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 400 प्लस (सीटों) के लक्ष्य को साकार करने के लिए बीजेपी दक्षिण पर भी फोकस कर रही है. ऐसे में दक्षिण से आने वाले चंद्रबाबू नायडू बीजेपी के लिए एक अहम सहयोगी साबित हो सकते हैं.

लोकसभा के साथ ही आंध्र में विधानसभा चुनाव होना है. आंध्र प्रदेश में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी राज्य में लोकसभा की 10 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.

2019 के चुनाव में आंध प्रदेश में किसे कितने वोट मिले थे?

2019 के लोकसभा चुनाव में 22 सीट जीतने वाली जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को 50 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 3 सीट जीतने वाली टीडीपी को 40 फीसदी वोट मिले थे. जनसेना को करीब 6 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस और बीजेपी को 1-1 फीसदी वोट हासिल हुए थे.

पहले एनडीए का हिस्सा थे चंद्रबाबू नायडू

चंद्रबाबू नायडू पहले एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले टीडीपी ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था. टीडीपी जब एनडीए से अलग हुई, उस वक्त चंद्रबाबू आंध्र प्रदेश के सीएम थे, लेकिन विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर टीडीपी ने बीजेपी से 20 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया था. हालांकि, लोकसभा और विधानसभा, दोनों चुनाव में टीडीपी की करारी हार हुई.

पांच साल तक विपक्ष में रहने के बाद अब टीडीपी ने बीजेपी की तरफ फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. बीजेपी को भी दक्षिण भारत में अपना आधार मजबूत करने के लिए दमदार दोस्त की जरूरत है. चूंकि नायडू एनडीए के संयोजक की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं, ऐसे में वह बीजेपी के लिए भरोसेमंद साथी साबित हो सकते हैं.

बीजेपी के लिए दक्षिण की चुनौती

बीजेपी के लिए इस बार दक्षिण भारत सबसे बड़ी चुनौती है और इसी चुनौती से पार पाने के लिए पार्टी एक-एक ईंट जोड़कर गठबंधन की बड़ी दीवार बनाने की तैयारी कर रही है. बीजेपी ने कर्नाटक में जेडीएस से समझौता किया है. आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण की पार्टी जनसेना पहले से ही एनडीए का हिस्सा है. केरल में केरल कामराज कांग्रेस और बीडीजेएस से गठबंधन है. तमिलनाडु में एआईएडीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार) और पुथिया तमलिंगम एनडीए का हिस्सा हैं. पुदुचेरी में ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस भी एनडीए में है. 

कर्नाटक और तेलंगाना को छोड़ दें तो बीजेपी दक्षिण के राज्यों में अपने दम पर बहुत ज्यादा मजबूत नहीं है और इस वक्त दक्षिण के किसी भी बड़े राज्य में न तो बीजेपी की सरकार है और न ही उसके सहयोगियों की. ऐसे में पार्टी के सामने चुनौती बड़ी है. इसी चुनौती से निपटने के लिए सहयोगियों का कुनबा बड़ा करने की रणनीति पर काम हो रहा है.

माइक्रो मैनेजमेंट की नीति पर काम कर रही बीजेपी

बुधवार को दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में तमिलनाडु के पूर्व सांसद और विधायकों ने बीजेपी की सदस्यता ली. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर और तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के अन्ना मलाई मौजूद थे. बीजेपी दक्षिण के लिए माइक्रो मैनेजमेंट की नीति पर काम कर रही है और इसके तहत उसने तीन प्लान पर काम शुरू किया है. पहला- मोदी के चेहरे को आगे करना, दूसरा- सहयोगियों का कुनबा बड़ा करना और तीसरा- हिंदुत्व की लहर को उभारना.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने दक्षिण भारत में ताबड़तोड़ दौरे किए थे. अलग-अलग कार्यक्रमों को जोड़ लें तो पीएम करीब हफ्तेभर तक दक्षिण में ही थे क्योंकि यहां बीजेपी का आधार बहुत ज्यादा मजबूत नहीं है.

पिछले लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत में कैसी थी बीजेपी की स्थिति?

दक्षिण भारत में लोकसभा की 132 सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को 31 सीटें मिली थी. कांग्रेस गठबंधन को तब 65 सीटें और अन्य को 36 सीटों पर जीत मिली थी.

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