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Lal Bahadur Shastri Death Anniversary Read How Former Prime Minister Shastri Made India Stronger


Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: देश में ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज पुण्यतिथि है. 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में उनका निधन हो गया था. शास्त्री जी का पूरा जीवन दुनिया के लिए प्रेरणा है. 

प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद पर बने रहने के बावजूद ईमानदारी और सुचिता का ऐसा उदाहरण दुनिया में कहीं और नहीं मिलता. इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय जब देश में अनाज की भारी किल्लत हो गई तो उन्होंने देशवासियों से एक दिन सप्ताह में उपवास की अपील की थी और इसकी शुरुआत उन्होंने अपने परिवार से की. सबसे पहले अपने पूरे परिवार को दिन भर भूखा रखा, जिसके बाद पूरे देश से अपील की और इसका असर ऐसा हुआ कि पूरा भारत सप्ताह में एक दिन उपवास रखने लगा था.

कहे जाते हैं गुदड़ी के लाल
गुदड़ी के लाल कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की कुछ कहानियां हैं, जो लोगों को प्रेरणा देती हैं. जीवन के शुरुआती दिनों के संघर्ष से लेकर प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा के दम पर देश के शक्तिशाली विकास में अहम भूमिका निभाई थी. चलिए आपको शास्त्री जी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं…

सिर्फ 18 महीने रहे प्रधानमंत्री 
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून 1964 को वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने और केवल 18 महीने तक भारत के प्रधानमंत्री रहे थे. उनके प्रधानमंत्री रहने के दौरान ही पाकिस्तान ने 1965 में हमला कर दिया था और उन्हें लगा था कि भारत के प्रधानमंत्री कमजोर हैं लेकिन शास्त्री जी ने ऐसा कड़ा रुख अख्तियार किया कि पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे. तब पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान थे और अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में युद्ध विराम के समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था. हालांकि उसी रात शास्त्री जी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी.

उन्होंने रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री और जवाहर लाल नेहरू की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई थी.

नदी में तैर कर जाते थे स्कूल

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. उनका बचपन काफी कठिनाइयों से भरा था. उनके पिता की मौत काफी पहले हो गई थी. उनका स्कूल गंगा नदी के उस पार था और शास्त्री के पास नाव का किनारा देने के लिए पैसे नहीं होते थे. वह किताबों को अपने सिर बांधकर गंगा नदी में तैरकर पढ़ने जाते हैं और फिर नदी को पार कर वापस आते थे.

मरने के बाद पत्नी ने चुकाया पेंशन से लोन

लाल बहादुर शास्त्री के बारे में एक कहानी काफी मशहूर है. जब वह प्रधानमंत्री रहे, तो परिवार के लोगों ने उनसे एक कार खरीदने के लिए कहा था. उन्हें फिएट की कार खरीदने के लिए लिए 12,000 रुपये की जरूरत थी, लेकिन उनके पास सिर्फ 7000 रुपये ही थे. इस कार के लिए उन्होंने  पंजाब नेशनल बैंक से 5000 रुपये का लोन लिया था. उन्होंने यह कार साल 1965 में खरीदी थी. हालांकि कार खरीदने के एक साल बाद ही उनका निधन हो गया. आज यह कार उनके दिल्ली स्थित निवास पर खड़ी है. बाद में इस कर का लोन उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन से चुकाया था.

जनता के लिए शुरू करवाया लोन

लाल बहादुर शास्त्री के जब कार के लिए लोन का आवेदन किया तो वह जल्द ही मंजूर हो गया. इसके बाद उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से कहा था कि ऐसी ही सुविधा आम जनता को भी मिलनी चाहिए. लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद बैंक ने बकाया लोन चुकाने के लिए उनकी पत्नी को पत्र लिखा था. इसके बाद उनकी पत्नी ललिता देवी ने पारिवारिक पेंशन की मदद से बैंक का लोन चुकाया था. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की कार का नंबर DLE 6 है. शास्त्री जी अपने राजनीतिक जीवन में परिवहन मंत्री भी रहे.

संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत

11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में आधिकारिक दौरे पर गए पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री का निधन हो गया था. 1965 की भारत-पाकिस्तान जंग के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के लिए ताशकंद को चुना गया था. यहां पर दोनों देशे के बीच समझोते के बाद शास्त्री जी का रहस्यमयी परिस्थितियों में निधन हो गया.

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