Lakshadweep: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद मालदीव के टूरिज्म सेक्टर को बड़ा झटका लगा है. इसकी वजह ये है कि भारतीयों ने मालदीव का बायकॉट करना शुरू कर दिया है. देश की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी हुई है और पिछले साल 2 लाख भारतीय वहां छुट्टियां मनाने गए थे. ऐसे में भारतीयों के मालदीव नहीं जाने से उसकी अर्थव्यवस्था को झटका तो जरूर लगने वाला है.
हालांकि, इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा लक्षद्वीप की हो रही है, क्योंकि लोग अब इसे मालदीव के संभावित विकल्प के तौर पर देख रहे हैं. जिस तरह के बीच, पेड़ और पर्यावरण मालदीव में मौजूद है, ठीक वैसा ही आपको लक्षद्वीप में भी देखने को मिलेगा. कोरल रीफ से लेकर लगून तक, जो चीजें आपको मालदीव में देखने को मिलती है, वही चीजें आप लक्षद्वीप में भी पाएंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में लक्षद्वीप पर्यटकों के लिए तैयार है.
लक्षद्वीप का भूगोल कैसा है?
केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में कुल मिलाकर 36 द्वीप हैं. ये जगह केरल के कोच्चि शहर से 406 किमी दूर है. अगर एरिया की बात करें, तो लक्षद्वीप सिर्फ 32 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है. 36 द्वीपों में से सिर्फ 10 पर लोग रहते हैं. बंगाराम, कदमत, कावारत्ती, कल्पेनी, मिनिकॉय, अगत्ती, चेरियाम, थिन्नकारा और सुहेली पर्यटन के लिए खुले हुए हैं. यहां के लोगों के मुख्य व्यवसाय मछली पालन ही है, क्योंकि घूमने के लिए ज्यादातर पर्यटक लक्षद्वीप नहीं आते हैं.
पर्यटकों के लिए अभी क्या सुविधाएं हैं?
लक्षद्वीप में पर्यटकों के ठहरने के लिए 97 यूनिट्स मौजूद हैं, जिसमें 61 लकड़ी के कॉटेज मौजूद हैं, जो तीन द्वीपों पर फैले हुए हैं. इसमें बंगाराम में 31 नए लकड़ी के कॉटेज, मिनिकॉय में 20 कॉटेज और कावारत्ती में 16-बेड वाला रिसॉर्ट शामिल है. थिन्नकारा में लगभग 15 ऑफ-व्हाइट टेंटाइल टेंटों का नवीनीकरण कार्य प्रगति पर है. सुहेली में आगामी ताज प्रॉपर्टी में 60 समुद्री विला और 50 वॉटर विला में 110 कमरे होंगे, जबकि कदमत में होटल में 35 वॉटर विला सहित 110 कमरे होंगे.
लक्षद्वीप में चुनौतियां क्या हैं?
केंद्रशासित प्रदेश में वैसे तो कई चुनौतियां हैं, मगर कुछ ऐसी हैं, जिनसे अभी पार पाना बेहद जरूरी है. सबसे पहली चुनौती लक्षद्वीप का पारिस्थितिक तंत्र है. यहां पर वाटर विला या लैगून विला बनाने हैं, तो इसके लिए सबसे पहले पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करना पड़ेगा. लक्षद्वीप में हवा तेज चलती है, जिसकी वजह से लैगून विला की नींव को मजबूत बनाने के लिए समुद्री में काफी गहराई तक इसे स्थापित करना होगा. मगर इसके चलते कोरल रीफ को नुकसान पहुंचता है.
दूसरी चुनौती लक्षद्वीप तक कनेक्टिविटी है. जहां मालदीव के लिए आपको डायरेक्ट फ्लाइट आसानी से मिल जाती है. मगर लक्षद्वीप के केस में ऐसा नहीं है. लक्षद्वीप दो तरीकों से पहुंचा जा सकता है, जिसमें पहला हवाई मार्ग और दूसरा समुद्री मार्ग है. हवाई मार्ग के लिए पहले कोच्चि जाना होगा और फिर वहां से अयालंस एयर फ्लाइट के जरिए अगाती जाया जा सकता है. कोच्चि और लक्षद्वीप के बीच समुद्री मार्ग पर तीन जहाज सेवाओं के जरिए भी जा सकते हैं, जिसमें 18 घंटे लगते हैं.
तीसरी चुनौती लक्षद्वीप में द्वीपों की संख्या का कम होना है. लक्षद्वीप में 36 द्वीप हैं, जबकि मालदीव में द्वीपों की संख्या 300 से ज्यादा है. मालदीव के ज्यादातर द्वीपों को रिसॉर्ट में कंवर्ट कर दिया गया है. मगर लक्षद्वीप में ऐसा करना मुमकिन नहीं है. वहां के 10 द्वीपों पर लोग रहते हैं और बाकी पर रहने वाला कोई नहीं है. इन पर सरकार का कंट्रोल है. लक्षद्वीप सुरक्षा के लिहाज से भी एक अहम जगह है. इसलिए सरकार को इसे टूरिस्ट स्पॉट बनाने से पहले काफी विचार भी करना पड़ेगा.
इन चुनौतियों से भी निपटना है जरूरी
क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, लक्षद्वीप में वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम नहीं है, जिसकी वजह से कूड़ा भी फैलता है. यहां के लोगों के गर्मियों में पानी की कमी से जूझना पड़ता है. ऊपर से स्वास्थ्य सुविधाओं की भी अच्छी व्यवस्था नहीं है. ईंधन की कमी होना भी एक प्रमुख है, जिस पर ध्यान देने की काफी जरूरत है. एक निवासी ने बताया कि हमारे आगे कई समस्याएं हैं. यहां वेस्ट मैनेजमेंट की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. पीने का पानी प्रचुर मात्रा में नहीं है. दैनिक उपयोग के लिए समुद्री जल को शुद्ध किया जाता है. वास्तव में, मार्च से जब तापमान बढ़ता है तो हमें पानी की कमी से जूझना पड़ता है.
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