KR Narayanan Birth Anniversary: भारत के 10वें राष्ट्रपति रहे कोचरिल रामण नारायणन (K R Narayanan) का जन्म केरल के एक छोटे से गांव पेरुमथॉनम उझावूर, त्रावणकोर में हुआ था. उनकी जन्म की तारीख सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक 27 अक्टूबर, 1920 है. के.आर. नारायणन 17 जुलाई, 1997 को अपने प्रतिद्वंदी पूर्व चुनाव आयुक्त टी.एन.शेषण को हराकर राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे. इस सर्वोच्च पद को हासिल करने वाले वो देश के पहले दलित थे. इससे पहले कोई इस वर्ग से संबंध रखने वाला यहां तक नहीं पहुंचा था. वो अपनी राजनीतिक कार्यकुशलता के लिए जाने जाते थे. लेकिन उनका एक विदेशी महिला के साथ प्रेम होना और उसके वैवाहिक जीवन में उतर आने के पीछे की भी एक अलग कहानी रही है.
पहले अगर उनकी शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो पूर्व राष्ट्रपति नारायणन की प्रतिभा कम उम्र से ही स्पष्ट हो गई थी. उनको इस बात से भी जाना जाता है कि वह अन्य छात्रों से किताबें मांगकर उनकी नकल उतारकर अपनी पढ़ाई पूरी करते थे. उन्होंने नसेंट मेरी हाई स्कूल से 1936-37 में मैट्रिक परीक्षा पास की थी. स्कॉलरशिप के दम पर ही उन्होंने 12वीं की कक्षा कोट्टायम के सी. एम. एस. स्कूल से उत्तीर्ण की थी. इसके बाद इन्होंने ऑर्ट फैकल्टी (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन की.
भारतीय पद्धति के आयुर्वेदाचार्य भी रहे नारायणन
के आर नारायणन ने त्रावणकोर यूनिवर्सिटी से 1943 में अंग्रेजी (ऑनर्स) में पोस्ट ग्रेजुएशन की थी. नारायणन से पहले इस यूनिवर्सिटी से पहले किसी भी दलित छात्र ने फर्स्ट पोजिशन हासिल नहीं की थी. इस प्रतिभा के सहारे उनको लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में अर्थशास्त्र की स्ट्डी करने के लिए स्कॉलरशिप मिली. उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में भी अध्ययन किया था. वो भारतीय पद्धति के आयुर्वेदाचार्य भी रहे जिनके पूर्वज पारवान जाति से संबंध रखते थे और उनका मूल व्यवसाय नारियल तोड़ना था.
1992 में उपराष्ट्रपति भी निर्वाचित हुए थे के आर नारायणन
पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन की वास्तविक जन्म तिथि विवादों के घेरे में रही. कहा जाता है कि इनके चाचा ने स्कूल में एडमिशन दिलाते समय अनुमान से उनकी जन्म तिथि लिखवा दी थी. लेकिन सरकारी दस्तावजों के मुताबिक उनकी जन्म जयंती 27 अक्टूबर ही मानी जाती है. राष्ट्रपति के पद पर वह 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक रहे. इससे पहले वो 21 अगस्त, 1992 को डॉ. शंकर दयाल शर्मा के राष्ट्रपति काल में उपराष्ट्रपति भी निर्वाचित हुए थे. उनका कार्यकाल भारत की राजनीति में गुजरने वाली विभिन्न अस्थिर परिस्थितियों के कारण बेहद ही उतार चढ़ाव वाला रहा है.
1949 में की थी भारतीय विदेश सेवा में करियर की शुरुआत
नारायणन ने 1949 में भारतीय विदेश सेवा में अपना करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने रंगून, टोक्यो, लंदन, कैनबरा और हनोई समेत कई प्रमुख दूतावासों में कार्यभार संभाला. उनकी कूटनीतिक विशेषज्ञता का फायदा थाईलैंड, तुर्की और चीन में भारत के राजदूत के रूप में मिला. इसके बाद उनकी राजनीतिक क्षेत्र में एंट्री हुई.
रंगून में हुई थी मा टिंट टिंट से मुलाकात
रंगून में उनका जीवन एक नए मोड की तरफ जाता है. बात उस समय की जब वो रंगून, बर्मा (म्यांमार) में नियुक्त थे. यहां उनकी मुलाकात मा टिंट टिंट से हुई थी. यह मुलाकात शादी के बंधन में तबदील हो जाएगी, शायद इसका अंदाजा नहीं हो लेकिन यह 8 जून 1951 को उस दिन इस संशय से बाहर आ गई जब उन्होंने दिल्ली में उनसे शादी कर ली. मा टिंट टिंट वाईडब्ल्यूसीए में सक्रिय थीं. उनको पता चला कि नारायणन लास्की के छात्र रहे तो उन्होंने उनसे संपर्क किया था. उन्होंने इच्छा जताई थी कि वो परिचितों के समूह के समक्ष पॉलिटिकल फ्रीडम पर बोलें.
विदेशी महिला से शादी के करने के लिए नेहरू से मिली थी विशेष छूट
नारायणन के मा टिंट टिंट से शादी करने में एक अड़चन यह थी वो एक विदेश सेवा यानी आईएफएस अधिकारी थे और मा टिंट टिंट एक विदेशी महिला थीं. इसलिए भारतीय कानून के अनुसार प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से उनको विशेष छूट की आवश्यकता थी. उन दोनों के वैवाहिक बंधन में बंधने के बाद मा टिंट टिंट ने भारतीय नाम उषा अपनाया और भारतीय नागरिक बन गईं.
पहली 1984 में चुने गए थे लोकसभा सांसद
नारायणन 1984 में लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए और उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मंत्रिमंडलों के तहत विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया. इसके रास्ते वो उप-राष्ट्रपति और राष्ट्रपति जैसे पदों तक पहुंचे. उनके राष्ट्रपति पद को संवैधानिक मर्यादाओं के सावधानीपूर्वक पालन और कार्यालय की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. के.आर. नारायणन का 9 नवंबर, 2005 को निधन हुआ. उनका जीवन और कार्य देश और दुनिया भर में अनेकों लोगों को प्रेरणा देता है.
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