Kerala Mercy Killing Matter: केरल के कोट्टायम का एक परिवार अपने दो बच्चों की लाइलाज बीमारी से इतना परेशान हो गया है कि वो इच्छा मृत्यु (Mercy Killing) मांगने को मजबूर है. परिवार ने इसकी अनुमति मांगने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विचार किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, परिवार का दावा है कि उनके दो बच्चे दुर्लभ जन्मजात आनुवंशिक बीमारी के शिकार हैं, जिसका इलाज करवाने के बाद भी कोई कामयाबी नहीं मिली है. पीड़ित परिवार कोट्टायम जिले के कोझुवनाल का रहने वाला है.
सॉल्ट-वेस्टिंग कंजेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया से पीड़ित हैं दो बच्चे
परिवार की सदस्य स्मिता एंटनी और मनु जोसेफ का कहना है कि उनके 3 बच्चे हैं. इनमें से दो बच्चे आनुवंशिक बीमारियों में से एक सॉल्ट-वेस्टिंग कंजेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया (SWCAH) से पीड़ित है जोकि बीमारी का सबसे गंभीर रूप बताया जाता है. सॉल्ट-वेस्टिंग सीएएच नामक बीमारी महत्वपूर्ण हार्मोन पैदा करने वाली अधिवृक्क ग्रंथियों (Adrenal Glands) को प्रभावित करता है.
‘बच्चों को फुल टाइम देखभाल की जरूरत’
परिवार की ओर से इस तरह का निर्णय लेने पर विचार तब किया जा रहा है जब उनको बीमारी से पीड़ित दोनों बच्चों का इलाज कराने का अब आगे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. परिवार की सदस्य और पीड़ित बच्चों की मां स्मिता का कहना है कि वह खुद और उनके पति पेशे से नर्स हैं लेकिन उनके बच्चों को अब फुल टाइम देखभाल की जरूरत है. इस वजह से वह अपनी ड्यूटी नहीं जा सकते.
कोट्टायम में पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्मिता ने कहा कि वह अपने बच्चों की बीमारी के इलाज का खर्च उठाने के लिए पहले ही प्रॉपर्टी बेचने और उसकी गिरवी रखने का काम कर चुके हैं.
‘रोजमर्रा के खर्च को आय का कोई दूसरा साधन नहीं’
उन्होंने अपने बड़े बेटे की शिक्षा को लेकर कड़ी मेहनत करने की बात कही. साथ ही यह भी कहा कि छोटे बच्चों के इलाज और रोजमर्रा के खर्चों को वहन करने के लिए उनके पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है. इस वजह से अब वह अपने जीवन को आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि नौकरी और इलाज के लिए सहायता के लिए स्थानीय पंचायत से संपर्क किया गया था लेकिन वहां से मदद नहीं मिल पाई.
‘गंभीर मानसिक आघात से गुजर रहा परिवार’
उन्होंने दावा किया कि कुछ समय पहले पंचायत समिति ने पूरी एकजुटता के साथ नौकरी दिलाने का निर्णय लिया था. सेक्रेटरी की ओर से सरकार को इससे संबंधित सभी जरूरी दस्तावेज नहीं भेजे जा सके. इस मामले पर कई बार शिकायत दर्ज करवायी गई. बावजूद इसके अब तक इस दिशा में कुछ नहीं हो पाया.
हालांकि इस मसले पर मानवाधिकार पैनल की ओर से हस्तक्षेप किया गया जिसके बाद फाइल को सरकार को भेज दिया गया लेकिन नौकरी के वादे को लेकर कुछ नहीं हुआ है. इसके बाद परिवार के पास इच्छा मृत्यु मांगने के अनुरोध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. परिवार गंभीर मानसिक आघात से गुजर रहा है.
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