कर्नाटक के कथित हनीट्रैप स्कैंडल की जांच की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है. कोर्ट ने इसे व्यर्थ का राजनीतिक मामला बताते हुए कहा कि उसके पास इसे सुनने से ज्यादा बेहतर काम हैं. जजों ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि झारखंड का रहने वाला याचिकाकर्ता कर्नाटक की घटना को लेकर क्यों चिंतित है.
क्या है मामला?
कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री के एन राजन्ना ने अपनी ही पार्टी के कुछ लोगों पर मंत्रियों, वरिष्ठ नेताओं और जजों समेत 48 लोगों को हनीट्रैप किए जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने 20 मार्च को विधानसभा में यह आरोप लगाया था. कहा जा रहा है कि मामले में कांग्रेस के ही लोगों के शामिल होने के चलते मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जांच से पहले पार्टी के आलाकमान से बात कर रहे हैं.
याचिकाकर्ता ने क्या कहा था?
झारखंड के रहने वाले याचिकाकर्ता बिनय कुमार सिंह ने जजों को भी हनीट्रैप किए जाने की खबरों पर चिंता जताई है. याचिका में कहा गया है कि अगर न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता पर आघात है. सुप्रीम कोर्ट को अपनी निगरानी में मामले की जांच करवानी चाहिए.
कोर्ट में क्या हुआ?
जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच मामले की सुनवाई को लेकर इच्छुक नहीं दिखी. जस्टिस नाथ ने इसे बेकार का राजनीतिक मामला कहा. जजों ने याचिकाकर्ता के वकील बरुन सिन्हा से यह भी पूछा कि झारखंड का रहने वाला व्यक्ति कर्नाटक के मामले को लेकर इतना चिंतित क्यों है. वकील ने याचिकाकर्ता को सामाजिक तौर पर सक्रिय व्यक्ति और पांचजन्य पत्रिका के लिए नियमित लेख लिखने वाला बताया.
‘जो ट्रैप हुआ, वह नतीजा भी झेले’
याचिकाकर्ता के वकील ने मामले में जजों को भी निशाना बनाए जाने का हवाला दिया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच या रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एसआईटी के गठन की मांग की, लेकिन कोर्ट ने कहा, ‘जिसने खुद को हनीट्रैप में फंसने दिया, उसे उसका परिणाम भी भोगने दीजिए. हमारे दखल की कोई जरूरत नहीं.’

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