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Kargil Vijay Diwas 2023 Indian Army Captain Neikezhakuo Kenguruse Nimbu Sahab Who Removed Shoes To Climb Rock Wall Martyred


Neikezhakuo Kenguruse Story: कारगिल विजय दिवस पर देश के जांबाज योद्धाओं को याद किया जा रहा है और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है. इस मौके पर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले नागा योद्धा शहीद कैप्टन नेइकेझाकुओ केंगुरुसे (Neikezhakuo Kenguruse) की शहाहत की कहानी सिहरन पैदा करती है और देशवासियों को गर्वानुभूति से भर देती है. कारगिल युद्ध में दुश्मन के चार सैनिकों को ढेर कर देने वाले 25 वर्षीय केंगुरुसे को उनके दोस्त प्यार से ‘नींबू’ और साथी जवान ‘नींबू साहब’ कहकर बुलाते थे.

बर्फीली चट्टान पर चढ़ाई के लिए उतार दिए थे जूते

वर्ष 1999, दिन 28 जून, द्रास सेक्टर की बर्फीली चट्टान की खड़ी चढ़ाई, ऊंचाई करीब 16000 फुट और तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस. दुश्मन पर धावा बोलने के लिए जाते समय बर्फीली चट्टान होने के कारण केंगुरुसे के पैर फिसल रहे थे. चढ़ाई करने के लिए केंगुरुसे ने बदन जमा देने वाली ठंड में अपने जूते उतार दिए थे.

घायल होने के बाद भी हार नहीं मानी

गैलेंट्री अवार्ड्स की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, कैप्टन केंगुरुसे और उनकी पलटन ने दुश्मन की मशीन गन पर हमला करने के लिए एक खड़ी चट्टान पर चढ़ाई शुरू की थी. जैसे ही पलटन चट्टान के पास पहुंची, वो दुश्मन की गोलीबारी की चपेट में आ गई और कैप्टन केंगुरुसे के पेट में छर्रे लग गए.

शरीर से अत्यधिक खून बह जाने पर भी केंगुरुसे ने हार नहीं मानी और साथी जवानों को आगे बढ़ने के लिए उनमें जोश भरते रहे. दुश्मन की मशीन गन के बीच चट्टान की एक दीवार थी. केंगुरुसे नंगे पैर रॉकेट लॉन्चर लेकर चट्टान की दीवार पर चढ़ गए. अपनी जान की परवाह किए बिना केंगुरुसे ने दुश्मन की मशीन गन को नष्ट करने के लिए उस पर रॉकेट लॉन्चर दाग दिया. 

दुश्मन के चार सैनिकों को किया ढेर, महावीर चक्र से किया गया सम्मानित

बाद में आमने-सामने की लड़ाई में उन्होंने दो दुश्मन सैनिकों को अपनी चाकू से और दो अन्य को अपनी राइफल से ढेर कर दिया. केंगुरुसे ने अकेले ही दुश्मन की मशीन गन को तबाह कर दिया जो बटालियन को आगे बढ़ने में बाधा डाल रही थी. हालांकि, इस वीरतापूर्ण एक्शन में केंगुरुसे बुरी तरह घायल हुए थे, जिसकी वजह से उन्होंने दम तोड़ दिया और वीरगति प्राप्त की.

रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपरा में अदम्य संकल्प, प्रेरक नेतृत्व और आत्म बलिदान प्रदर्शित करने के लिए कैप्टन केंगुरुसे को महावीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया.

योद्धा समुदाय से ताल्लुक

कैप्टन केंगुरुसे एक योद्धा समुदाय से आते थे. सेना में शामिल होने के लिए उनके परदादा उनकी प्रेरणा बने थे. उनके परदादा गांव में एक सम्मानित योद्धा के रूप में हमेशा याद किए जाते हैं. केंगुरुसे मूल रूप से नगालैंड के कोहिमा के नेरहेमा गांव के रहने वाले थे.

उनका जन्म 15 जुलाई 1974 को हुआ था. उनके पिता का नाम नीसेली केंगुरुसे (Neiselie Kenguruse) और मां का नाम दीनुओ केंगुरुसे (Dinuo Kenguruse) है. उन्होंने कोहिमा साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी और सेना में शामिल होने से पहले एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे.

12 दिसंबर 1998 को केंगुरुसे को भारतीय सेना की सेना सेवा कोर (ASC) में नियुक्त किया गया था और 2 राजपूताना राइफल्स के साथ अटैचमेंट पर उन्होंने कार्य किया था. ASC से महावीर चक्र से सम्मानित होने वाले एकमात्र आर्मी ऑफिसर हैं. कैप्टन केंगुरुसे के सम्मान में नगालैंड के पेरेन जिले के जलुकी में एक स्मारक स्थापित किया गया है और बेंगलुरु में सेना सेवा कोर मुख्यालय (दक्षिण) में एक प्रतिमा स्थापित की गई है.

कारगिल विजय दिवस

बता दें कि इस बार 24वां कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. 1999 के युद्ध में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (तब जम्मू-कश्मीर) में पड़ने वाले कारगिल की चोटियों पर पाकिस्तान को पटखनी देने की याद में यह दिन मनाया जाता है. 

कारगिल युद्ध 1999 में 3 मई को शुरू हुआ था और उसी वर्ष 26 जुलाई को खत्म हुआ था. पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में दुश्मनों से लड़ते हुए भारत के कई सैनिकों ने प्राण न्यौछावर किए थे. कारगिल विजय दिवस के मौके पर देश के उन वीर सपूतों को याद किया जा रहा है. सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सपूतों की सूची में शामिल शहीद कैप्टन केंगुरुसे की शहाहद को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा.

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