Kapil Sibal On Bail: वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने शुक्रवार (30 अगस्त) को ट्रायल कोर्ट, जिला अदालतों और सेशन कोर्ट को बिना किसी भय या पक्षपात के न्याय देने के लिए सशक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया. जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सिब्बल ने कहा कि इन अदालतों को अधीनस्थ नहीं बल्कि न्याय प्रणाली के महत्वपूर्ण घटक के रूप में देखा जाना चाहिए.
सिब्बल ने कहा, “वे अधीनस्थ नहीं हैं, क्योंकि वे न्याय प्रदान करते हैं. उस स्तर पर न्यायपालिका में यह विश्वास पैदा किया जाना चाहिए कि उनके फैसले उनके खिलाफ नहीं होंगे और वे न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली की रीढ़ की हड्डी का प्रतिनिधित्व करते हैं.”
‘निचली अदालतों में जमानत एक अपवाद है’
अपने लंबे कानूनी करियर पर विचार करते हुए, सिब्बल ने जिला कोर्ट स्तर पर जमानत दिए जाने की कम आवृत्ति पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, “अपने करियर में, मैंने शायद ही कभी उस स्तर पर जमानत दी हो. यह केवल मेरा अनुभव नहीं है, बल्कि सीजेआई ने भी ऐसा कहा है क्योंकि उच्च न्यायालयों पर बोझ है. आखिरकार, निचली अदालत में जमानत एक अपवाद है.”
सिब्बल ने कहा, “स्वतंत्रता एक समृद्ध लोकतंत्र का आधारभूत आधार है और इसे बाधित करने का कोई भी प्रयास हमारे लोकतंत्र की गुणवत्ता को प्रभावित करता है.”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
अपने भाषण में भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने जिला न्यायालयों को अधीनस्थ कहने की औपनिवेशिक युग की प्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, “न्यायिक प्रणाली की रीढ़ को बनाए रखने के लिए, हमें जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका कहना बंद करना होगा. स्वतंत्रता के पचहत्तर साल बाद, समय आ गया है कि हम ब्रिटिश युग के एक और अवशेष – अधीनता की औपनिवेशिक मानसिकता को दफना दें.”