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Jayaprakash Narayan Indira Gandhi Relationship Letter My Dear Indira Jawaharlal Nehru Jp Anniversary


JP Letter My Dear Indu: आजाद भारत में सत्ता के खिलाफ सबसे प्रभावी आंदोलन की बात जब की जाएगी तो उसकी शुरुआत जयप्रकाश नारायण (जेपी) से ही होगी. 1975 के आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण का आंदोलन इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेंकने का सबसे मजबूत आधार बना था. तब के समय में जब देश को आजाद हुए महज 3 दशक बीते थे और कांग्रेस भारत के राजनीतिक आसमान पर थी, जिसकी नींव हिलाना किसी अन्य के बूते की बात नहीं थी.

ऐसे समय में जेपी ने पूरे देश को न केवल एकजुट किया, बल्कि उन इंदिरा गांधी का तख्ता पलट कर दिया, जिन्हें पत्र लिखते समय प्यार से “माई डियर इंदु” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया करते थे. 

नेहरू की तरह इंदिरा से भी मधुर थे जेपी के संबंध 

इंदिरा गांधी के पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ कदम से कदम मिलाकर स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी रहे जेपी के संबंध इंदिरा से हमेशा मधुर रहे. बावजूद इसके देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार का दीमक लगता देख वह सह नहीं सके और एक बार फिर आजाद भारत में आंदोलन का बिगुल फूंक दिया. 11 अक्टूबर 1902 को बलिया में जन्मे जयप्रकाश नारायण की 121वीं जयंती पर आइए आज हम बात करते हैं इंदिरा गांधी और जेपी के मधुर संबंधों के बावजूद वतन की बेहतरीन के लिए छेड़े गए उस आंदोलन की, जो सदियों तक लोकतंत्र की मजबूती के उदाहरण बने रहेंगे. 

1:30 बजे रात को पुलिस पहुंची, जेपी ने कहा – विनाश काले विपरीत बुद्धि

भ्रष्टाचार के खिलाफ बिहार और उसके बाद गुजरात से शुरू हुआ जेपी आंदोलन की आंच दिल्ली की सत्ता तक जा पहुंची थी. इंदिरा गांधी के इस्तीफा की मांग पूरे देश में तेज हो गई थी. इसके बाद आपातकाल का अभिशाप देश को झेलना पड़ा. तब देशभर में सरकार के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा रहे नेताओं को चुन-चुन कर जेल में ठूंसा जा रहा था. उस समय जवाहरलाल नेहरू (दिवंगत़) के साथी रहे 73 साल के बूढ़े जेपी को भी इंदिरा गांधी ने नहीं बख्शा था. वह भी तब जब इंदिरा को जेपी मुंह बोली भतीजी कहते थे.

25 जून, 1975 की रात डेढ़ बजे का के समय गिरफ्तारी का वारंट ले कर पुलिस की टीम जेपी को गिरफ्तार करने पहुंच गई थी. तब राधा कृष्ण उनके साथ थे और महज 15 मिनट का समय देकर पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर संसद मार्ग थाने ले गई थी. तब जेपी ने पहली बार इंदिरा के खिलाफ सख्त संदेश देते हुए कहा था “विनाश काले विपरीत बुद्धि”.

माई डियर इंदू

हालांकि इंदिरा गांधी जेपी से बातचीत के जरिए समस्या का समाधान चाहती थीं. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर अपनी आत्मकथा ‘ज़िंदगी का कारवां” में लिखते हैं, “मैंने इंदिरा जी से कहा कि मैं जेपी से मिलने वेल्लूर जा रहा हूं. पता नहीं वो क्या बात करेंगे. आपका क्या रुख है? क्या आप उनसे बात करेंगी या उनसे लड़ाई ही रहेगी? उन्होंने कहा, आप बात कीजिए. अगर जेपी चाहेंगे तो मैं भी बात करूंगी.”

जेपी के एक और करीबी रहे रजी अहमद ने एक इंटरव्यू में कहा था, “जयप्रकाश जी की ट्रेनिंग आनंद भवन में हुई थी. इंदिरा गांधी उस समय बहुत कम उम्र की थीं.  नेहरू और जेपी के जितने भी पत्र हैं उनमें जेपी नेहरू को ‘माई डियर भाई’ और इंदिरा गांधी को प्यार से “माई डियर इंदू” कह कर संबोधित कर करते थे. इंदिरा को भी जेपी ने जितने भी पत्र लिखे हैं उसमें ‘माई डियर इंदू’ कह कर संबोधित किया है. हालांकि एक पत्र जो उन्होंने जेल से लिखा था, उसमें  पहली बार ‘माई डियर प्राइम मिनिस्टर’ कह कर संबोधित किया था.”

इंदिरा के एक बयान से बिगड़ गए थे संबंध

इंदिरा गांधी और जेपी के बीच संबंध भले ही मधुर थे लेकिन इसे बिगड़ने में इंदिरा गांधी का एक बयान सबसे अहम था. जब भ्रष्टाचार के मुद्दे को जेपी ने उठाना शुरू किया तो इंदिरा की एक प्रतिक्रिया ने उनको काफी चोट पहुंचाई थी. इंदिरा ने 1 अप्रैल, 1974 को भुवनेश्वर में एक बयान दिया कि जो बड़े पूंजीपतियों के पैसे पर पलते हैं, उन्हें भ्रष्टाचार पर बात करने का कोई हक नहीं है. इस बयान से जेपी को बहुत चोट लगी. उन्होंने करीब दो हफ्ते तक कोई काम नहीं किया. खेती और अन्य स्रोतों से होने वाली अपनी आमदनी का विवरण जमा किया और प्रेस को दिया. इंदिरा गांधी को भी भेजा.

जेपी की पत्नी ने इंदिरा को बेटी की तरह संभाला था 

जयप्रकाश नारायण और इंदिरा गांधी के बीच संबंध बिगड़ने में एक बड़ी वजह जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती का निधन भी माना जाता है. प्रभावती जेपी और इंदिरा के बीच में एक ऐसी कड़ी थीं जो दोनों को जोड़े रखती थीं. इंदिरा भी प्रभावती को बहुत मानती थीं क्योंकि उनकी माता कमला नेहरू से उनका गहरा संबंध था. कमला जब दुखी होती थीं तो प्रभावती के पास जाती थीं. यहां तक कि जब फ़िरोज गांधी से इंदिरा गांधी के संबंध बिगड़े, तो उन दिनों अगर मां तुल्य कोई महिला थीं, जिनसे इंदिरा अपने मन की बात कह सकती थीं, तो वो प्रभावती थीं.

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