Jammu Kashmir Accession Day 2023: जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को गुरुवार (26 अक्टूबर) को पूरे 76 साल हो गए. महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को विलय की संधि पर हस्ताक्षर किए थे और भारतीय सेना अगले दिन जेएंडके में पाकिस्तानी कबाइली हमलावरों को खदेड़ने पहुंच गई थी. विलय का यह दिन वर्तमान में केंद्र शासित प्रदेश के इतिहास और राजनीति दोनों के साथ जुड़ गया. कश्मीरी अलगावादी संगठन उसके बाद इस दिन को ‘काला दिवस’ के रूप में मानने लगे. वहीं, बीजेपी के लिए यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया. बाकी राजनीतिक दल इस मामले को नजरंदाज करते रहे.
इस बीच देखा जाए तो 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया था. उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने विलय वाले दिन को भव्य तरीके से मनाने की बात कही और बीजेपी ने ‘कश्मीर विलय दिवस’ मनाने की घोषणा की.
अनुच्छेद 370 हटने के 4 साल बाद आज हालात पूरी तरह से अलग
आज 4 साल बाद कश्मीर विलय दिवस का स्वरूप भी बदल गया. आजादी के 70 सालों के बाद भी 26 अक्टूबर को कश्मीर घाटी में आम हड़ताल का आह्वान किया जाता था. इस दिन कश्मीर में विरोध प्रदर्शन और पत्थरबाजी होती थी लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के 4 साल बाद आज हालात पूरी तरह से अलग हैं.
लाल चौक समेत पूरी कश्मीर घाटी में बाजार खुले
जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात में देखा जाए तो लाल चौक समेत पूरी कश्मीर घाटी में बाजार खुले. स्कूल कॉलेज में कामकाज सामान्य तरीक से हुआ. दफ्तर और सड़कों पर यातायात सामान्य है. इस दिवस को लेकर राजनीति भी हो रही है लेकिन शांति के साथ.
घाटी में एक सप्ताह तक चलेंगे खास कार्यक्रम
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से घाटी में अमन-शांति कायम होने पर बीजेपी इस अवसर को हर्षोल्लास के साथ मना रही है. प्रदेश में एक सप्ताह तक खास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे लेकिन श्रीनगर में लाल चौक में स्मार्ट सिटी के तहत निर्माण कार्यों के चलते जुलूस निकलाने की इजाजत नहीं मिली है. इस वजह से बीजेपी ने प्रदेश कार्यालय में जनसभा आयोजित की और पार्टी कार्यकर्ताओं ने यह सौगात देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया.
‘विलय दिवस पर महबूबा मुफ्ती की पार्टी ने अध्यक्ष चुनाव करवाया’
बीजेपी नेता और जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरमैन दरख्शां अंद्राबी का कहना है कि विलय दिवस पर ही महबूबा मुफ्ती की पार्टी ने अपने अध्यक्ष का चुनाव करवाया. महबूबा को सर्वसम्मति से अगले 3 सालों के लिए अध्यक्ष चुन लिया गया है. उन्होंने विलय दिवस और राज्य के विशेष दर्जे को हटाने की घटनाओं को आपस में जोड़ते हुए हुंकार भरते हुए भविष्यवाणी की कि जल्द ही न सिर्फ अनुच्छेद 370 वापस आएगा, बल्कि यह सूद समेत वापस होगा.
‘हमने कभी भी विलय का विरोध नहीं किया,लेकिन…’
पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमने कभी भी विलय का विरोध नहीं किया लेकिन जिस भारत के साथ विलय किया था, यह वह नहीं है.
‘अलगावाद की राजनीति करने वालों की दुकाने बंद होने से जनता खुश’
खास बात यह है कि विलय को लेकर उठे राजनीतिक विवाद के बीच आम लोग इस अवसर को लेकर बेहद खुश हैं. सरहदी इलाके कुपवाड़ा से लेकर आतंकवाद ग्रस्त दक्षिण कश्मीर के कुलगाम तक लोग बहुत उत्साहित हैं. वहीं, श्रीनगर के लोग भी पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ना चाहते हैं. लोग सरहद पार के प्रोपेगैंडा और अलगावाद की राजनीति का कारोबार करने वालों की दुकाने बंद होने की खुशी मना रहे हैं.
श्रीनगर की आम जनता का कहना है कि अलगावादी कश्मीर के लोगों के सबसे बड़े दुश्मन थे, जिन से आजादी कश्मीरियों के लिए जरूरी थी.
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