Israel Palestine Conflict: इजरायल और हमास की जंग में मानवीय पहलू पर संघर्ष विराम का आह्वान करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव पर मतदान करने से भारत ने परहेज किया है. घटनाक्रम से परिचित सूत्रों ने शनिवार (28 अक्टूबर) को इस बारे में जानकारी दी.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार (27 अक्टूबर) को गाजा में हमास और इजरायली सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष विराम के लिए एक व्यापक प्रस्ताव अपनाया. इजरायली जमीनी हमलों और बमबारी में इजाफे के बीच इसमें गाजा में फंसे लोगों को लगातार जीवन के लिए जरूरी और पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराने की मांग की गई.
प्रस्ताव जॉर्डन की ओर से लाया गया था. इसे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की ओर से बहुमत से अपनाया गया. इसके पक्ष में 120 वोट पड़े, विरोध में 14 मत पड़े और 45 वोट नहीं पड़े. एक विशेष सत्र में इजरायल, अमेरिका, हंगरी और पांच पेसिफिक आइलैंड स्टेट्स ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया.
भारत ने क्यों किया प्रस्ताव पर मतदान से परहेज?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, घटनाक्रम से परिचित लोगों में से एक सूत्र ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि प्रस्ताव में सभी तत्वों को शामिल नहीं किए जाने के कारण भारत ने इसके मतदान में हिस्सा नहीं लिया. भारत का वोट मुद्दे पर उसकी दृढ़ और उचित स्थिति के आधार पर दिया जाना था. यह पाया गया कि प्रस्ताव में हमास की ओर से किए गए आतंकवादी हमले की कोई स्पष्ट निंदा शामिल नहीं की गई थी. वहीं, मुख्य प्रस्ताव पर मतदान से पहले इसी से संबंधित एक संशोधन पेश किया गया था, भारत ने संशोधन के पक्ष में वोट किया. इसी के साथ इसके पक्ष में 88 वोट पड़े.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप दूत योजना पटेल ये बोलीं
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के वोट के बारे में बताते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा कि 7 अक्टूबर के आतंकी हमले चौंकाने वाले थे. उन्होंने हमास की ओर से बंधक बनाए गए लोगों को तत्काल छोड़े जाने का आह्वान किया. पटेल ने कहा कि गाजा में मरने वालों की संख्या चिंता का विषय है और मानवीय संकट पर ध्यान देने की जरूरत है.
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