Israel-Hamas War: इजरायल की तरफ से गाजा पट्टी पर लगातार बमबारी की जा रही है. आसमान से रॉकेट बरस रहे हैं और टैंक आग के गोले उगलने की तैयारी में हैं. इजरायल-हमास जंग से दुनिया में हथियारों का कारोबार करने वाली कंपनियों की चांदी हो गई है. जंग थमने के आसार नहीं दिख रहे हैं और जंग जितने दिन खिचेंगी, यकीनन गोला-बारूद और हथियारों के बाजार में उनकी खरीददारी भी होगी.
इजरायल की तरफ से साफ कर दिया गया है कि इस बार वो हमास का खात्मा करके की रूकेगा. हमास भी पूरी तैयारी का दावा कर रहा है. सवाल ये है कि आखिर जंग के लिए इतना गोला बारूद कहां से आएगा? इस सवाल का जवाब अमेरिका है. हमास पर इजरायल का एक्शन शुरू होते ही अमेरिका ने इजरायल को हथियारों की पहली खेप पहुंचा दी थी. इस खेप में स्मार्ट बॉम्ब, आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए इंटरसेप्टर और दूसरे एम्यूनिशन शामिल थे.
हथियारों के लिए अमेरिका पर निर्भर इजरायल
हालांकि, अब सवाल ये है कि क्या आगे भी अमेरिका इजरायल को हथियार मुहैया कराता रहेगा. ये इसलिए बड़ा है क्योंकि इजरायल अपनी रक्षा जरूरत का 81.8% अमेरिका से, 15.3% जर्मनी, 2.6% इटली, 0.1% फ्रांस और 0.2% कनाडा से इंपोर्ट करता है. यानी इजरायल अपनी हथियारों की जरूरत के लिए पूरी तरह अमेरिका पर निर्भर है. इसलिए अमेरिकी रक्षा कंपनियों के लिए हमास-इजरायल की जंग मुनाफा कमाने का बड़ा मौका है.
अमेरिका पर बढ़ा हथियारों की सप्लाई का दबाव
लेकिन डिमांड इतनी ज्यादा है कि अमेरिकी कंपनियां इसे पूरा नहीं कर पा रही हैं. अमेरिका इस वक्त तीन मोर्चों पर फंसा हुआ है. इसमें इजरायल-हमास जंग, रूस-यूक्रेन जंग के साथ ही अमेरिका को चीन की बढ़ती आक्रामता की भी चिंता है. ऐसे में अमेरिका की परेशानी ये है कि कि वो हथियारों की सप्लाई कैसे बढ़ाए. पूरी दुनिया में पिछले साल मिलिट्री खर्च 2.2 ट्रिलियन डॉलर रहा है. जबकि दुनिया के देशों को हथियारों के निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 45% के आसपास है.
रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद अमेरिका लगातार यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कर रहा है. अमेरिका अब तक यूक्रेन को 44 अरब डॉलर के हथियार दे चुका है. जनवरी 2023 में अमेरिका ने यूक्रेन को 155 मिलियन डॉलर के करीब 3 लाख तोप के गोले भेजे हैं. 2022 में अमेरिका ने यूक्रेन को 10 लाख तोप के गोले दिए थे. यूक्रेन हथियारों के लिए पूरी तरह अमेरिका और नाटों के भरोसे है. अमेरिका और नाटो के दूसरे देश यूक्रेन की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे हैं.
अमेरिका के आगे क्या मजबूरी आई?
इसी बीच इजरायल का संकट सामने आ गया है. अमेरिका और इजराइल के बीच 2016 में डिफेंस इक्विपमेंट खरीदने के लिए 38 बिलियन डॉलर की डील हुई थी. दोनों देशों ने 5 बिलियन डॉलर के मिसाइल डिफेंस सिस्टम के समझौते पर भी साइन किया था. इस समझौते के तहत अमेरिका से इजरायल को हथियारों की सप्लाई होनी थी. अगस्त 2023 में इजरायल ने अमेरिकी कंपनी अल्बिट सिस्टम नाम को 155 मिलियन डॉलर के 10 लाख गोले का ऑर्डर दिया था.
इजरायल ने M107-A3 तोप के गोले को खरीदने का करार किया था, तब जंग के आसार नहीं थे. लेकिन अब जंग शुरू हो गई है. ऐसे में इजरायल को तत्काल हथियार चाहिए. लेकिन अमेरिकी कंपनियों की प्रोडक्शन कैपिसिटी इतनी नहीं है कि वो तत्काल इजरायल को हथियारों की सप्लाई कर सकें. ये संकट इसलिए भी बड़ा है क्योंकि 2014 में इजराइली सेना ने गाजा पर 32 हजार से ज्यादा गोले दागे थे. इस बार हालात 2014 से ज्यादा खराब हैं.
इजराइल ने फुल स्केल वॉर का ऐलान किया है. ऐसे में इजरायल को गोला-बारूद की जरूरत पहले से कई गुना ज्यादा होगी. ये मौका अमेरिकी हथियार कंपनियों के लिए मुनाफा कमाने का है. लेकिन संकट ये है कि अमेरिकी पहले ही यूक्रेन-रूस फ्रंट पर फंसा हुआ है. ऐसे में इजरायल का मोर्चा खुलने के बाद अमेरिका के पास हथियार की किल्लत हो गई है.
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