राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार (24 अक्टूबर, 2024) को इजरायल और हमास के बीच जारी जंग पर बात की. उन्होंने कहा कि यूक्रेन या गाजा पट्टी में संघर्ष जैसी घटनाओं का समाधान दुष्प्राप्य बना हुआ है. नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने मणिपुर हिंसा पर भी प्रतिक्रिया दी.
मोहन भागवत ने कहा, ‘भारत की पहचान और हिंदू समाज की अस्मिता को सुरक्षित रखने की इच्छा स्वाभाविक है. इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि संकटग्रस्त दुनिया भारत से यह उम्मीद करती है कि वह विश्व की समसामयिक आवश्यकताओं और चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने मूल सिद्धांतों पर आधारित एक नए दृष्टिकोण के साथ उभरेगा.’ भागवत ने कहा कि दुनिया धार्मिक संप्रदायवाद से उत्पन्न कट्टरता, अहंकार और उन्माद के संकट का सामना कर रही है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन या गाजा पट्टी में संघर्ष जैसी घटनाएं, जो हितों के टकराव और उग्रवाद के कारण होती हैं, उनका समाधान दुष्प्राप्य बना हुआ है.
मणिपुर हिंसा पर भी बोले मोहन भागवत
मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा पर भी बात की और कहा कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा प्रायोजित थी. उन्होंने पूर्वोत्तर राज्य के हालात के लिए बाहरी ताकतों को कसूरवार ठहराया. भागवत ने सवाल किया, मेइती और कुकी समुदाय के लोग कई वर्षों से साथ रहते आ रहे हैं. यह एक सीमावर्ती राज्य है. इस तरह के अलगाववाद और आंतरिक संघर्ष से किसे फायदा होता है? बाहरी ताकतों को भी फायदा मिलता है. वहां जो कुछ भी हुआ, क्या उसमें बाहर के लोग शामिल थे?” नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने आरोप लगाया कि तथाकथित सांस्कृतिक मार्क्सवादी और जागरुक तत्व देश की शिक्षा एवं संस्कृति को बरबाद करने के लिए मीडिया तथा शिक्षा जगत में अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर रहे हैं.
अयोध्या में राम मंदिर पर क्या बोले?
मोहन भागवत ने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या के मंदिर में भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाएगी और इस अवसर पर जश्न मनाने के लिए लोग देशभर के मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित करें. मणिपुर के हालात पर आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तीन दिन तक मणिपुर में थे. वास्तव में संघर्ष को किसने बढ़ावा दिया? यह (हिंसा) हो नहीं रही है, इसे कराया जा रहा है. उन्होंने सवाल किया, ‘मणिपुर में अशांति और अस्थिरता का फायदा उठाने में किन विदेशी ताकतों की दिलचस्पी हो सकती है? क्या इन घटनाक्रमों में दक्षिण-पूर्व एशिया की भूराजनीति की भी कोई भूमिका है?’ भागवत ने कहा, ‘जब शांति बहाल होती नजर आती है, तब कोई न कोई घटना घट जाती है. इससे समुदायों के बीच दूरियां बढ़ती हैं. जो लोग ऐसी हरकतों में शामिल हैं, उनके पीछे कौन है? हिंसा कौन भड़का रहा है?’ आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उन्हें संघ के उन कार्यकर्ताओं पर गर्व है, जिन्होंने मणिपुर में शांति बहाल करने की दिशा में काम किया.
लोकसभा चुनाव को लेकर भी की बात
मोहन भागवत ने लोगों को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भावनाएं भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिशों के प्रति आगाह किया. भागवत ने लोगों से देश की एकता, अखंडता, पहचान और विकास को ध्यान में रखते हुए मतदान करने का आह्वान किया. उन्होंने हिंसा भड़काने और समुदायों के बीच अविश्वास एवं नफरत पैदा करने वाले टूलकिट का जिक्र किया. भागवत ने कहा, ‘जो लोग एकजुटता की चाह रखते हैं, वे इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि एकजुटता के बारे में सोचने से पहले सभी समस्याएं हल होनी चाहिए. हमें छिटपुट घटनाओं से विचलित हुए बिना शांति और संयम से काम करना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘तीन तत्व- मातृभूमि के प्रति समर्पण, पूर्वजों पर गर्व और समान संस्कृति-भाषा, क्षेत्र, धर्म, संप्रदाय, जाति एवं उपजाति रूपी सभी विविधताओं को एक साथ जोड़कर हमें एक राष्ट्र बनाते हैं. यहां तक कि जो लोग भारत के बाहर अस्तित्व में आए धर्मों का पालन करते हैं, उन्हें भी इन तत्वों का पालन करना चाहिए.’
जी-20 सम्मेलन पर भी की बात
भागवत ने आरोप लगाया कि तथाकथित सांस्कृतिक मार्क्सवादी और जागरुक तत्व अराजकता, अशांति और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं. उन्होंने कहा कि ये तत्व मीडिया, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपने प्रभाव से सामाजिक व्यवस्था, नैतिकता, संस्कृति, गरिमा और संयम को बाधित करना चाहते हैं. जी20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए सरकार की तारीफ करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘अफ्रीकी संघ को जी20 के सदस्य के रूप में शामिल कराने में भारत की सच्ची सद्भावना और कूटनीतिक चातुर्य को सभी ने देखा. जी20 शिखर सम्मेलन को सफलतापूर्वक आयोजित करके, हमारे नेतृत्व ने भारत को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख राष्ट्र के रूप में मजबूती से स्थापित करने का सराहनीय काम किया है.’
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