Mirwaiz Umar Farooq On Israel Palestine Attack: इजराइल-फलस्तीन (Israel-Palestine Battle) के बीच चल रही जंग में अब दुनिया दो हिस्सों में बंट गई है. दुनिया के अधिकतर मुल्क इस संघर्ष को अलग-अलग नजरिये से देख रहे हैं. भारत में भी इसको लेकर नेताओं की अलग-अलग राय देखने को मिल रही है. चार साल तक नजरबंद रहने के बाद बाहर आ चुके ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक (Mirwaiz Maulvi Umar Farooq) ने भी इजरायल-फलस्तीन संघर्ष के समाधान को ढूंढने की बात कही है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मीरवाइज उमर फारूक कहते हैं, ”…एकतरफा फैसले नहीं किए जा सकते हैं. हमने हमेशा महसूस किया है कि इस मुद्दे (इजरायल-फलस्तीन संघर्ष) का समाधान ढूंढना चाहिए.”
उमर फारूख ने फलस्तीन के लोगों को उनके अधिकार देने की वकालत की. उन्होंने फलस्तीन के लोगों के हक में बोलते हुए कहा कि हमारा मानना है फलस्तीन के लोगों को उनके बुनियादी अधिकार दिए जाने चाहिए. इजरायल के लोगों को भी शांति से रहना चाहिए. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि हम किसी समुदाय या देश की मुखालफत नहीं कर रहे हैं.
#WATCH | Srinagar, J&Okay | On the Israel-Palestine battle, Mirwaiz Umar Farooq says, “…One-sided selections cannot be made…We’ve got all the time felt {that a} resolution for this concern (Israel-Palestine battle) needs to be discovered. The rights of the individuals of Palestine needs to be given to… pic.twitter.com/kQqIsisVVj
— ANI (@ANI) October 14, 2023
‘बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं और निहत्थे लोगों को बनाया जा रहा निशाना’
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज ने यह भी कहा कि इस जंग में बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं और निहत्थे लोगों को निशाना बनाया जा रहा है. उनका कत्लेआम किया जा रहा है. फलस्तीन की सरजमी को छोटा कर दिया गया है, इससे बड़ा अन्याय और क्या हो सकता है. उन्होंने फलस्तीन के लोगों को अमन चैन के साथ रहने देने की अपील भी की. मीरवाइज ने यह भी कहा कि इजरायल-फलस्तीन के बीच जो सब कुछ चल रहा है, उसको जम्मू-कश्मीर की अवाम भी देख रही है.
विश्व के 10 प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं में शामिल हैं उमर फारूक
बता दें ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक विश्व के 10 प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं की सूची में शामिल हैं. वह कहते हैं कि उनकी राजनीति में आने की कभी दिलचस्पी नहीं रही लेकिन अपने पिता मीरवाइज मौलवी फारूक अहमद की हत्या के बाद से उनको सियासत में कदम रखना पड़ा. पिछले 4 सालों से वह नजरबंद थे.
आतंकी हमलों के अंदेशों के चलते अगस्त 2019 से नजरबंद थे
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक 22 सितंबर 2023 को ही नजरबंदी से बाहर हुए थे. उन पर आतंकी हमलों का अंदेशा था. इस वजह से उनको नजरबंद किया गया था. वह अगस्त 2019 से अपने घर में नजरबंद (Home Arrest) थे.
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