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Indian Navy Drishti 10 Starliner Drone Features Build By Adani Defense


Indian Navy: भारतीय नौसेना को बुधवार (10 जनवरी) को पहला स्वदेशी ‘मीडियम-एल्टिट्यूड लॉन्ग-एंड्यूरेंस’ (MALE) ड्रोन मिला. इस ड्रोन का नाम ‘दृष्टि 10 स्टारलाइनर’ अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) है. स्वदेशी दृष्टि ड्रोन की वजह से भारत की खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं में इजाफा होने वाला है. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में ये ड्रोन शक्तिशाली साबित होगा, जहां कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 

‘दृष्टि 10 स्टारलाइनर’ ड्रोन को अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने अपने हैदराबाद फैसिलिटी में तैयार किया है. इस ड्रोन को तैयार करने के लिए इजरायल की डिफेंस कंपनी ‘एल्बिट सिस्टम’ के जरिए किए गए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की भी मदद ली गई है. दृष्टि ड्रोन पहला प्रमुख हथियार है, जिसे भारतीय सैन्य बल को अडानी डिफेंस की तरफ से डिलीवर किया गया है. ये ड्रोन एल्बिट सिस्टम के हर्मीस 900 स्टारलाइनर ड्रोन का एक वेरिएंट है. 

क्या हैं ‘दृष्टि 10 स्टारलाइनर’ की खूबियां? 

  • ‘दृष्टि 10 स्टारलाइनर’ ड्रोन सभी तरह के मौसम में ऑपरेट किया जा सकता है.
  • अडानी डिफेंस की तरफ से डिलीवर ये ड्रोन 70 फीसदी स्वदेशी है.
  • ‘दृष्टि 10 स्टारलाइनर’ ड्रोन लगातार 36 घंटे तक उड़ान भर सकता है.
  • ड्रोन में 450 किलोग्राम तक का पेलोड रख कहीं पर भी डिलीवर किया जा सकता है.
  • ड्रोन में तीन हार्ड प्वाइंट्स मौजूद हैं, जो पेलोड के लिए होते हैं. जरूरत पड़ने में इसमें हथियार भी फिट किए जा सकते हैं.
  • ‘दृष्टि 10 स्टारलाइनर’ ड्रोन 30 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.
  • ये ड्रोन एक अडवांस्ड खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) प्लेटफॉर्म है.
  • दृष्टि ड्रोन की मेंटेनेंस जरूरत भी बहुत कम है. इस वजह से ड्रोन को ऑपरेट करना ज्यादा आसान है.  
  • ड्रोन में बेहतरीन अडवांस्ड कम्युनिकेशन सिस्टम लगाया गया है, जिसमें सैटेलाइट कम्युनिकेशन और लाइन-ऑफ-साइट (एलओएस) डेटा लिंक शामिल हैं, जिससे सुरक्षित तरीके से डाटा ट्रांसफर होता है.

सशस्त्र बलों को 100 ड्रोन की जरूरत

नौसेना प्रमुख एडमिरल हरि कुमार ड्रोन की लॉन्चिंग और इसकी डिलीवरी लेने के लिए हैदराबाद में ही मौजूद थे. उन्होंने बताया कि आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का इस्तेमाल करके नौसेना और सेना के जरिए ऑर्डर किए गए चार ड्रोन में से ये पहला ड्रोन है. नौसेना और सेना को दो-दो दृष्टि ड्रोन डिलीवर किए जाने हैं. आने वाले महीनों में बाकी के ड्रोन की डिलीवरी होने वाली है. सशस्त्र बलों को ऐसे करीब 100 ड्रोन की जरूरत है.

नौसेना को क्यों पड़ी ड्रोन की जरूरत? 

दरअसल, पिछले कुछ सालों में समुद्र में नौसेना की चुनौतियां बढ़ गई हैं. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ ने नौसेना को उसकी निगरानी के लिए मजबूर किया है. चीनी जहाजों को अक्सर ही हिंद महासागर में देखा जाता है, जो भारत के लिए सुरक्षा चिंता पैदा करते हैं. 

हाल के सालों में अरब सागर भी टेंशन वाला एक नया फ्रंट बन गया है, जहां जहाजों को निशाना बनाया जा रहा है. लाल सागर में समुद्री लुटेरों ने कमर्शियल जहाजों को टारगेट किया है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए नौसेना समुद्र में बेहतर निगरानी चाहती है, जिसमें ये ड्रोन मदद करने वाले हैं.

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