spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeIndiaIndia Maldives Relations Deteriorate Reason In Hindi Mohamed Muizzu Election Wine

India Maldives Relations Deteriorate Reason In Hindi Mohamed Muizzu Election Wine


India-Maldives Relations: मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने हाल ही में कहा कि भारतीय सेना को उनके देश से जाना होगा. इस हफ्ते की शुरुआत में जीत के जश्न में आयोजित एक कार्यक्रम में मुइज्जू ने कहा कि मैं नागरिकों की इच्छा के खिलाफ विदेशी सेना को अपने देश में रहने देने के पक्ष में नहीं हूं. वहीं, चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू के बयान पर भारत की तरफ से जवाब भी आया, मगर ये जवाब कई लिहाज से सकारात्मक रहा. 

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि मालदीव की नई सरकार के साथ भारत हर मुद्दे पर बात करने के लिए उत्साहित है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से जब मुइज्जू के भारतीय सेना के मालदीव छोड़ने वाले बयान को लेकर सवाल हुआ, तो उन्होंने कहा कि भारतीय उच्चायुक्त ने मोहम्मद मुइज्जु से मुलाकात की. इसमें आपसी सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों पर भी बातचीत हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भारत-मालदीव के रिश्तों के बिगड़ने की शुरुआत कैसे हुई.

कैसे बिगड़ने लगे भारत-मालदीव के संबंध? 

पाकिस्तान और चीन को छोड़ दें तो भारत के अपने सभी पड़ोसी मुल्कों से संबंध अच्छे रहे हैं. मालदीव भी उन देशों में शामिल रहा है, जिसके साथ भारतीय संबंधों का इतिहास काफी पुराना है. हालांकि, 2018 के वक्त दोनों देशों के बीच कड़वाहटों की शुरुआत हुई. फरवरी 2018 में मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने विपक्षी नेताओं को कैद करवाकर संविधान और अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ा है. 

दरअसल, अब्दुल्ला यामीन ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद समेत सभी विपक्षी नेताओं को कैद करवा दिया था. मोहम्मद नाशीद को भारत समर्थक माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यामीन को तुरंत सभी नेताओं को रिहा करना होगा. वहीं, अब्दुल्ला यामीन ने साफ कर दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मानने वाले हैं. उल्टा उन्होंने मालदीव में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया. 45 दिनों तक चले इस आपातकाल के विरोध में भारत खड़ा रहा. 

ऐसा नहीं था कि मालदीव में बदल रहे घटनाक्रम से सिर्फ भारत ही परेशान था. इसकी वजह से चीन भी परेशानी में था. उधर यामीन ने अपने दूतों को चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब भेजा. हैरानी वाली बात ये है कि दूत के पहुंचने के तुरंत बाद चीन का बयान आया कि मालदीव में किसी को दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए. हालांकि, उसने कुछ समय बाद खुद ही मालदीव की ओर अपने जहाज भेजने शुरू कर दिए. भारत ने भी इसकी पुष्टि की. 

वहीं, भारत ऐतिहासिक रूप से मालदीव की मदद करता रहा है. 1988 में राजीव गांधी ने सेना भेजकर मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को बचाया था. 2018 में ही जब पानी का संकट गहराया तो भारत ने मालदीव तक जल पहुंचाया. यही वजह थी कि मोहम्मद नाशीद ने भारत से मदद की गुहार लगाई. भारत अपनी विदेश नीति के चलते अपने सैनिकों को तो नहीं भेज पाया, मगर उसने कड़े शब्दों में यामीन की आलोचना की और इमरजेंसी खत्म करने की मांग की. 

यही से दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ने की शुरुआत होने लगी. भारत के लिए चिंता की बात ये रही है कि मोहम्मद मुइज्जू चीन समर्थक नेता हैं. चीन को मालदीव ने एक द्वीप भी लीज पर दिया हुआ है. भारत को लगता है कि अगर चीन की मौजूदगी यहां होती है, तो उसके लिए खतरे की बात है. ऊपर से अगर भारतीय सैनिकों की मौजूदगी भी मालदीव से खत्म हो जाती है, तो दोहरी चिंता की बात होगी. 

यह भी पढ़ें: मालदीव में भारत का नहीं है सैनिक अड्डा, एक छोटी टुकड़ी है बस मदद और हिफाजत के लिए, मोइज्जु पर रहेगी पूरी नजर

RELATED ARTICLES

Most Popular