पूरा देश आज यानी 15 अगस्त 2023 को 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. आजाद होने के बाद हमारा देश किस तरह आगे बढ़ा, इसकी कहानी तो पिछले 75 सालों से हम और आप सुनते ही आ रहे हैं. इस बात में कोई शक भी नहीं है कि आज भारत जिस मुकाम पर पहुंच गया है वहां तक पहुंच पाना आसाना नहीं रहा होगा.
साल 1947 में जब देश आजाद हुआ था तब भारत सदियों की गुलामी के बाद पहली बार एक स्वतंत्र देश बनकर उभरा था. उस भारत को अंग्रेजों से आजादी तो मिल गई थी लेकिन कभी सोने की चिड़िया कहलाने वाला हिंदुस्तान अब आर्थिक मोर्चे पर दुनिया में अपना वजूद पूरी तरह खो चुका था. हालत ये थे कि अपनी जनता का पेट भरने के लिए भी भारत को अमेरिका से गेहूं उधार लेना पड़ रहा था.
लेकिन इन 75 सालों में सब कुछ बदल गया. भारत साल 2023 में दुनिया की 5वीं सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यस्थाओं वाले देश की लिस्ट में शामिल हो चुका है.
1957-66 में अकाल में भयावहता
1957-66 के दौरान भारत भयावह अकाल की स्थिति से गुजर रहा था. उड़िसा, बंगाल, बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में लोग कई-कई दिनों तक भूखे रहते थे.
सूखे के कारण खाद्यान्न का उत्पादन साल 1965-1966 में 7.5 मिलियन टन हुआ और एक साल बाद यह वार्षिक उत्पादन घटकर साल 1966-1967 में 7.2 मिलियन टन हो गया था. धीरे-धीरे इसमें और भी ज्यादा गिरावट आई और यह 4.3 मिलियन टन रह गया.
1960 के दशक के मध्य में पूर्वी भारत में आए भयानक सूखे ने भारत के विकास रोक दिया और इस देश में गरीबी बढ़ गई. इससे भयानक सूखे से सहायता पाने के लिए देश की पश्चिमी शक्तियों पर निर्भरता बढ़ गई.
लेकिन कुछ सालों में खाद्य आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को महसूस करते हुए हरित क्रांति की शुरुआत की गई. देश की कृषि रणनीति में बड़े बदलाव किए. कृषि सुधार के लिए प्रयास करते हुए सरकार की तरफ से किसानों को उच्च फसल कीमतों की गारंटी दी गई. इसके अलावा रासायनिक उर्वरकों जैसे आधुनिक आदानों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी दी गई.
स्वतंत्रता के बाद भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि
भारत ने अकाल के बाद अपना पहला फोकस अनाज उत्पादन पर लगाया और कुछ सालों में देश ने अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली और यही स्वतंत्र भारत की सबसे पहली बड़ी उपलब्धि थी.
जो देश साल 1950 से लेकर 1960 तक दूसरे देशों से खाद्य ले रहा था वहीं देश आज दुनियाभर में अनाज का निर्यातक बना हुआ है. जबकि भारत की खुद की आबादी ही कई देशों के बराबर है. भारत अब दालों का सबसे बड़ा उत्पादन करने वाला देश बन चुका है. दूसरे स्थान पर चीनी और कपास का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक.
भारत ने साल 1950 में 54.92 मिलियन टन अनाज का उत्पादन किया था. लेकिन यही 2021-22 की बात करें तो इस साल भारत में रिकॉर्ड 314.51 मिलियन टन का अनाज उत्पादन किया है. सिर्फ एक साल यानी 2021-22 में उत्पाद किया गया अनाज बीते पांच सालो के औसत उत्पादन से 23.80 मिलियन टन ज्यादा है.
1962 में चीन के साथ युद्ध
साल 1962 में चीन और भूटान की सीमा नॉर्थ ईस्ट फ़्रंटियर एजेंसी (नेफ़ा) में चीन के सैनिकों ने भयंकर गोलाबारी शुरू कर दी. यह इलाका आज का अरुणाचल प्रदेश है जिस पर चीन अपना हक़ होने का दावा करता है. लगातार हो रहे हमले और भारतीय सैनिकों की कमजोर तैयारियों का फायदा उठाते हुए चीनी सेना आगे बढ़ी. अगले दिन उन्होंने तवांग पर कब्जा कर लिया जो कि पास की घाटी में बसा हुआ बौद्ध मठों का शहर है.
इस लड़ाई में भारत के 1,383 सैनिक मारे गए और लगभग 1,700 सैनिक गायब हुए. चीन के रिकॉर्ड के अनुसार, भारत के 4,900 सैनिक मारे गए और 3,968 सैनिक ज़िंदा पकड़े गए.
जब चीन और भारत के बीच युद्ध हुआ था तब देशों की ताकत में बहुत ज्यादा फर्क भी नहीं था. उस वकत चीन की जीडीपी भारत से करीब 12% ज्यादा थी. आज दोनों देशों की जीडीपी में 5 गुना से ज्यादा का फर्क हो गया है. युद्ध के बाद के सालों में दोनों ही देशों का एक्सपोर्ट घटा, लेकिन चीन ने साल 1980 के बाद पूरी ताकत के साथ सस्ते सामान और लेबर के जरिए दुनियाभर के बाजारों में अपनी पकड़ बढ़ानी शुरू कर दी.
वहीं दूसरी तरफ भारत ने रक्षा व्यय में तेजी से वृद्धि की और देश में हथियारों का बड़े पैमाने पर आयात किया गया. जिससे देश में और गरीब बढ़ने लगी.
1971 का युद्ध
1947 के बाद भारत से धर्म के आधार पर अलग हुए पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) पर बेतहाशा जुल्म ढ़ाने शुरू किए. पाकिस्तानी सेना के बढ़ते उत्पीड़न के कारण बड़ी संख्या में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर शरणार्थियों भारत आने लगे. इन शरणार्थियों की संख्या लगभग 12 मिलियन थी. इन शरणार्थियों के बोझ ने भारत पर आर्थिक बोझ बढ़ा दिया.
जिसके बाद भारत बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में न सिर्फ शामिल हुआ बल्कि पाकिस्तान को ऐसी करारी शिकस्त दी कि उसे पूर्वी पाकिस्तान से अपना अधिकार छोड़ना पड़ा.
16 दिसंबर 1971 के दिन भारतीय सेनाओं के पराक्रम और मजबूत संकल्प की बदौलत 24 सालों से दमन और अत्याचार सह रहे तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के करोड़ों लोगों को मुक्ति मिली थी. इतना ही नहीं भारतीय सेना के पराक्रम से दुनिया के मानचित्र पर 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश के रूप में एक नए देश का जन्म हुआ.
इसके बाद से 16 दिसंबर को हर साल भारत विजय दिवस मनाता है. विजय दिवस न केवल भारत की पाकिस्तान पर 1971 में शानदार जीत की याद दिलाता है बल्कि यह बांग्लादेश के जन्म की कहानी भी कहता है.
जब हमें देश का सोना गिरवी रखना पड़ा
साल 1950-51 में भारत के पास सिर्फ 1,029 करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा भंडार था, जो कि एक देश चलाने के लिहाज से बहुत की कम है. एक वक्त ऐसा आया जब भारत आर्थिक तौर पर पूरी तरह कमजोर पड़ चुका था. भारत के पास आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं बची थी. उस समय देश ने एक ऐसा फैसला लिया जिसे आज भी आर्थिक सुधार में लिए गए अब तक के फैसलों में सबसे अहम फैसला माना जाता है.
दरअसल साल 1991 में जब भारत के पास इम्पोर्ट करने के लिए विदेशी करेंसी नहीं बची थी. उस वक्त भारत के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने देश का 67 टन सोना गिरवी रखकर 2.2 अरब डॉलर का कर्ज लेने का फैसला किया था.
पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने इस पूरे घटनाक्रम के बारे में अपनी किताब में बताया है. उन्होंने लिखा कि मुंबई एयरपोर्ट पर एक चार्टर प्लेन खड़ा था. जिसपर हमने 67 टन सोना रखवाया. उस सोने को गिरवी रखने के लिए प्लेन इंग्लैंड गया. जिसके बाज भारत को कर्ज मिल पाया.
हालांकि हमने उस गिरवी रखे सोने को छुड़ा लिया. इस फैसले और कर्ज ने देश की आर्थिक स्थिति के सुधार में काफी महत्वूर्ण किरदार निभाया है. कर्ज मिलने के बाद भारत धीरे-धीरे अपना विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाता चला गया और आज भारत का यह खजाना 609.02 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है.
आजादी के वक्त देश का जीडीपी मात्र 2.7 लाख करोड़
भारत जब आजाद हुआ तब इसकी जीडीपी मात्र 2.7 लाख करोड़ रुपये थी और इस देश की जनसंख्या 34 करोड़ थी. अब इसकी तुलना आज से करें तो पाएंगें कि साल 2022 में भारत की जीडीपी लगभग 235 लाख करोड़ रुपये और जनसंख्या 1.3 अरब से ज्यादा है. भारत की साक्षरता दर 1947 में लगभग 12 प्रतिशत से बढ़कर आज 75 प्रतिशत हो गई है.
सड़क राजमार्गो के निर्माण से आई क्रांति
देशभर में गतिशीलता बढ़ाने के लिए सड़क और हाईवे बनवाये गए, हवाई अड्डों और बंदरगाहों का विस्तार किया गया है. भारतीय का रेलवे अब दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्कों में से एक है जिसमें 1,21,520 किमी ट्रैक और 7,305 स्टेशन शामिल हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2001 में स्वर्णिम चतुर्भुज योजना का शुभारंभ किया. जो दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता इन चार बड़े शहरों और व्यापार के मामले में प्रमुख शहरों को जोड़ने वाली सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना है. इस योजना के साथ ही भारत ने पहली बार हर दिन 37 किमी नेशनल हाईवे 6 से 12 लेन के बनाए जा रहे. आजादी के वक्त यानी साल 1947 में भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 24,000 किमी थी जो अब 1,40,115 किमी हो गई है.
1947 में करीब 70% भारतीय बहुत गरीबी थे
हमारे देश की आर्थिक प्रगति इतने तक ही सीमित नहीं है. साल 1947 में देश में साक्षरता दर केवल 12 प्रतिशत थी, जो कि साल 2022 में 80 प्रतिशत हो चुकी है. जब देश को आजादी मिली थी उस समय भारत के लगभग 70 प्रतिशत लोग बहुत ही गरीब की श्रेणी में थे, आज 20 प्रतिसथ से भी कम आबादी गरीबी रेखा के नीचे है.
उस वक्त देश में सिर्फ 5 प्रतिशत कृषि के लिए सिंचाई के साधन थे, आज 75 सालों में ये बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है. साल 1947 में भारत में सिर्फ 1,400 मेगा वॉट बिजली का उत्पादन होता था, यह उत्पादन अब बढ़कर 4 लाख मेगा वॉट से भी ज्यादा हो गया था और हम इसके निर्यात भी करने में सक्षम हैं.
इसके अलावा 1947 में भारत खुद से एक साइकिल भी नहीं बना पाता था. आज फाइटर जेट, टैंक, मिसाइलें और रॉकेट जैसी तकनीक से लैस चीजें भी बना पा रहा है.

Rajneesh Singh is a journalist at Asian News, specializing in entertainment, culture, international affairs, and financial technology. With a keen eye for the latest trends and developments, he delivers fresh, insightful perspectives to his audience. Rajneesh’s passion for storytelling and thorough reporting has established him as a trusted voice in the industry.