India On Global South: भारत ने जी20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान ग्लोबल साउथ (वैश्विक दक्षिण) की आवाज बनने का विजन साझा किया है और देश ने चिंताओं को उठाने पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए बातचीत को आगे बढ़ाना सुनिश्चित किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिसंबर में कहा था, ”हमारी G20 प्राथमिकताएं न केवल हमारे जी-20 भागीदारों, बल्कि ग्लोबल साउथ में हमारे साथियों के परामर्श से भी तय की जाएंगी, जिनकी आवाज अक्सर अनसुनी कर दी जाती है.”
भारत ने जब 1 दिसंबर, 2022 को जी20 की अध्यक्षता संभाली तो पीएम मोदी ने देश की साल भर की अध्यक्षता के लिए कई दृष्टिकोण तय किए और ग्लोबल साउथ उनमें से एक था.
क्या है ग्लोबल साउथ?
ग्लोबल साउथ का इस्तेमाल एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों को लेकर किया जाता है, जबकि अमेरिका, कनाडा, यूरोप, रूस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे आर्थिक रूप से विकसित देश ग्लोबल नॉर्थ (वैश्विक उत्तर) का हिस्सा हैं. अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए, भारत ने उन मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों और संयुक्त राष्ट्र की बैठकों और सम्मेलनों में उठाया है जो ग्लोबल साउथ देशों से संबंधित थे.
ग्लोबल साउथ के मुद्दों पर भारत खरा उतरा है- एस जयशंकर
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जब ग्लोबल साउथ के मुद्दों को उठाने की बात आती है तो भारत उस पर खरा उतरा है. विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ”जब ग्लोबल साउथ की बात आती है तो भारत कैसे खरा उतरा है? आम तौर पर तनाव की स्थितियां इरादे और व्यवहार का एक अच्छा इंडिकेटर (संकेतक) उपलब्ध कराती हैं. कोविड के दौरान लगभग 100 देशों में मेड-इन-इंडिया वैक्सीन भेजे गई और इस अवधि में दुनिया की फार्मेसी से लगभग 150 देशों ने दवाओं का आयात किया.”
रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी अध्यक्षता की शुरुआत में भारत ने वर्चुअल माध्यम से जनवरी में 125 देशों के प्रतिनिधियों के साथ वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की. भारत ने यह भी सुनिश्चित किया कि इस साल मई में हिरोशिमा में जी7 शिखर सम्मेलन में यह क्षेत्र केंद्र बिंदु बना रहे.
जनवरी में हुआ था अहम सत्र
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ”प्रधानमंत्री ने 12 जनवरी को उद्घाटन नेताओं के सत्र की अध्यक्षता की थी. इसके बाद आठ मंत्री-स्तरीय विषयगत सेगमेंट्स हुए थे जो विकासशील दुनिया की सबसे गंभीर चिंताओं को दूर करने के लिए समर्पित थे. शिखर सम्मेलन 13 जनवरी को नेताओं के समापन सत्र के साथ संपन्न हुआ था, जिसकी मेजबानी प्रधानमंत्री ने की थी.”
बयान में कहा गया, ”हिस्सा लेने वाले नेताओं ने एक निर्णायक मोड़ पर शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना की थी और बधाई दी थी. उन्होंने आशा व्यक्त की थी कि शिखर सम्मेलन दुनिया के लिए एक समृद्ध और समावेशी भविष्य के निर्माण के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा जो वैश्विक दक्षिण की जरूरतों को ध्यान में रखता है.”
अफ्रीकी संघ को जी20 के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल करना इस बात का एक सबूत है कि भारत ग्लोबल साउथ के लिए आवाज उठा रहा है. हाल में दक्षिण अफ्रीका में 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ केवल एक कूटनीतिक टर्म नहीं है, बल्कि उपनिवेशवाद और रंगभेद के खिलाफ इन देशों के साझा इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है जिसके आधार पर आधुनिक संबंधों को नया आकार दिया जा रहा है.
ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी ने किया था ग्लोबल साउथ का जिक्र
पीएम मोदी ने कहा था, ”मैं अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के नेताओं के साथ विचार साझा करने का अवसर देने के लिए दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा का आभारी हूं. पिछले दो दिनों में हमने ग्लोबल साउथ के देशों की प्राथमिकताओं और चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया है.”
उन्होंने कहा था, ”हमारा मानना है कि इन्हें महत्व देना वर्तमान पीढ़ी की जरूरत है. हमने ब्रिक्स के विस्तार पर भी निर्णय लिया है. हम सभी नए भागीदार देशों का स्वागत करते हैं. यह वैश्विक संस्थानों और मंचों को प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक और कदम है.”
पीएम के विजन को ध्यान में रखते हुए जून में रखा गया था एक कार्यक्रम
बाद में जून में भारत की G20 अध्यक्षता के लिए पीएम मोदी के विजन को ध्यान में रखते हुए अहम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ग्लोबल साउथ के विचारों को व्यक्त करने का प्रयास करते हुए भारत ने साउथ सेंटर के सहयोग से नागपुर में नेशनल एकेडमी ऑफ डायरेक्ट टेक्सेज (NADT) में अंतरराष्ट्रीय कराधान पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया. साउथ सेंटर में भारत सहित 55 विकासशील देशों का एक जिनेवा-आधारित अंतर-सरकारी नीति अनुसंधान थिंक-टैंक शामिल है.
इवेंट में अंतरराष्ट्रीय कराधान पर जी20-साउथ सेंटर क्षमता निर्माण कार्यक्रम रखा गया, जिसका शीर्षक टू पिलर सॉल्यूशन था. कार्यक्रम के दौरान चर्चा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए टू पिलर सॉल्यूशन के प्रभाव पर केंद्रित थी. इस कार्यक्रम में टैक्ट ट्रीटी (कर संधि) वार्ता पर एक वर्कशॉप (कार्यशाला) भी शामिल थी. यह आयोजन ग्लोबल साउथ के परिप्रेक्ष्य के साथ अंतरराष्ट्रीय टैक्सेशन (कराधान) के क्षेत्र में वरिष्ठ और मध्यम प्रबंधन दोनों स्तरों के भारतीय टैक्स अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय अध्यक्षता की एक पहल है.
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