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G20 Summit 2023 India Divergences Between Member States On Key Issues


G20 Summit 2023 in Delhi: जी20 नेताओं की घोषणा के मसौदे पर सदस्य देशों के वार्ताकारों के बीच चर्चा चल रही है. इसमें कई मुद्दों पर मतभेदों को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिनमें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) जैसी भारत की पहल से लेकर जीवाश्व ईंधन के इस्तेमाल में कटौती तक शामिल है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले से परिचित लोगों का कहना है कि भारतीय पक्ष को कर्ज पुनर्गठन, हरित विकास के लिए फंडिंग, क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करना और अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का पूर्ण सदस्य बनाने के मुद्दे पर जूझना पड़ा है.

जी20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने विकासशील देशों के डिजिटल विभाजन को दूर करने में मदद करने के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ठोस प्रयास किया है. डीपीआई को लेकर जी20 के भीतर ग्लोबल साउथ और विकाशील अर्थव्यवस्थाओं ने रुचि दिखाई है.

डीपीआई को फ्री करने के पक्ष में नहीं विकसित देश

डीपीआई में जन-धन खाते, आधार पहचान और मोबाइल के जरिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) रूपे क्रेडिट कार्ड और आरबीआई की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) जैसे फाइनेंसियल टेक समाधानों का इस्तेमाल करके सब्सिडी के लीक प्रूफ ट्रांसफर के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग शामिल है.

कुछ विकसित देश डीपीआई को मुफ्त में वैश्वीकृत करने की भारत की योजना के पक्ष में नहीं हैं. यही नहीं पेमेंट सेवा देने वाली पश्चिम की कुछ कंपनियों ने इन प्रयासों के खिलाफ पैरवी भी की है. कुछ विकसित देशों के विरोध के कारण जी20 में इस मामले (डीपीआई) पर सर्वसम्मति संभव नहीं दिख रही है.

रीन्यूएबल एनर्जी के प्रयास को झटका

हिंदुस्तान टाइम्स ने मामले के जानकार लोगों के हवाले से बताया है कि सऊदी अरब, चीन और रूस जैसे देशों ने जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने के प्रयासों की पीछे धकेला है. वहीं, कई यूरोपीय देश क्रिप्टोकरेंसी पर संभावित नियामक ढांचे को लेकर भारतीय पक्ष से असहमत हैं.

अफ्रीकी यूनियन को जी20 का पूर्ण सदस्य बनाने के भारत के प्रस्ताव को एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के सदस्यों और ऑस्ट्रेलिया से भी कई आधार पर विरोध का सामना करना पड़ा है. कुछ देशों ने तर्क दिया है कि अफ्रीकी ब्लॉक को शामिल करने से जी20 का चरित्र बदल जाएगा.

यूक्रेन संघर्ष पर बंटी राय

यूक्रेन संघर्ष को लेकर जी20 देशों में गहरा मतभेद है, जो पिछले जी20 शिखर सम्मेलन के बाद से व्यापक हो गए हैं. पश्चिमी देश यूक्रेन संघर्ष को संबोधित करने के पक्ष में हैं, जबकि रूस और चीन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जी20 इस मुद्दे को उठाने का मंच नहीं है.

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