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Election Commission Publishes Final (*19*) On Assam Delimitation, Names Of One Lok Sabha, 19 Assembly Seats Changed


Assam Delimitation Final (*19*): चुनाव आयोग (Election Commission) ने शुक्रवार (11 अगस्त) को असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें उनकी कुल संख्या क्रमशः 126 और 14 पर बरकरार रखी गई है. अपने अंतिम आदेश में आयोग ने एक संसदीय और 19 विधानसभा क्षेत्रों के नाम में बदलाव किया है.

चुनाव आयोग के बयान के अनुसार, 19 विधानसभा और दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित किए गए हैं. बयान के अनुसार, राज्य में एक लोकसभा और नौ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित किए गए हैं. इसमें कहा गया कि रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले 1,200 से अधिक अभ्यावेदन पर विचार किया गया. आयोग को प्राप्त सुझावों और आपत्तियों में से 45 प्रतिशत का अंतिम आदेश में समाधान किया गया.

2001 जनगणना के आधार पर परिसीमन

राज्य के सभी विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर किया गया. चुनाव आयोग ने कहा, “जनगणना आयुक्त द्वारा प्रकाशित 2001 की जनगणना के आंकड़ों पर ही इस उद्देश्य के लिए विचार किया गया है.” चुनाव आयोग ने कहा कि जनता की मांग को देखते हुए एक संसदीय और कुछ विधानसभा क्षेत्रों को “युग्मित नाम” दिए गए हैं, जैसे दरांग-उदलगिरि, हाजो-सुआलकुची, बोको-चायगांव, नागांव-बताद्रबा, भवानीपुर-सोरभोग, अल्गापुर-कतलीचेरा.

एससी विधानसभा सीट आठ से बढ़कर नौ हो गई

अंतिम रिपोर्ट की कुछ मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करते हुए चुनाव आयोग (EC) ने कहा कि सबसे निचली प्रशासनिक इकाई को ग्रामीण क्षेत्रों में ‘गांव’ और शहरी क्षेत्रों में ‘वार्ड’ के रूप में लिया गया है. इसके अनुसार गांव और वार्ड को यथावत रखा गया है और प्रदेश में कहीं भी इसे तोड़ा नहीं गया है. परिसीमन के बाद एससी विधानसभा सीट आठ से बढ़कर नौ हो गई हैं और एसटी विधानसभा सीट की संख्या 16 से बढ़कर 19 हो गई है. बोडोलैंड जिलों में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या भी 11 से बढ़कर 15 हो गई है.

चुनाव आयोग ने जुलाई में गुवाहाटी में आयोजित सार्वजनिक बैठकों के दौरान मसौदा परिसीमन प्रस्ताव पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नागरिक संगठनों और आम जनता के विचारों को सुना. इसका आयोजन लोगों, जन प्रतिनिधियों, राजनीतिक नेताओं और अन्य हितधारकों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर देने के लिये किया गया था.

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