West Bengal Durga Puja Pandal: नवरात्रि त्योहारों के दौरान पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा (Durga Puja) खास महत्व रखती है. पूरे बंगाल में बड़ी संख्या में पूजा पंडाल सजाये जाते हैं. हर साल दुर्गा पूजा आयोजक लोगों को आकर्षित करने के लिए नई-नई थीम लेकर आते हैं. इसको लेकर लोगों में बड़ा क्रेज देखा जाता रहा है. इस बार ‘न्यूड मॉडलों’ के जीवन पर प्रकाश डालने से लेकर हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति के लिए प्रार्थना करने को दर्शाने वाले अनोखे पंडाल तैयार किए गए हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उत्तरी कोलकाता में जगत मुखर्जी पार्क पूजा समिति इस साल अपनी थीम के जरिए न्यूड मॉडल्स को श्रद्धांजलि दे रही है. इस थीम के माध्यम से 4 दशकों से अधिक समय तक ऑर्ट कॉलेज के छात्रों के लिए जीवित रही नग्न मॉडल 65 वर्षीय फुलकुमारी दास का भी सम्मान किया जा रहा है.
‘न्यूड मॉडलिंग के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास’
इसके जरिए पूजा समिति अपनी बिरादरी का भी सम्मान कर रही है. साथ ही लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का प्रयास भी किया जा रहा है ताकि इन मॉडलों को हीन भावना से नहीं देखा जाए. न्यूड मॉडलिंग को सिर्फ एक अन्य पेशा माना जाना चाहिए.
‘फुलकुमारी दास ‘फुलड़ी’ के नाम से मशहूर थीं’
आर्टिस्ट कम्युनिटी में फुलकुमारी दास ‘फुलड़ी’ के नाम से मशहूर थीं. पूजा आयोजकों के मुताबिक, उन्होंने 16 साल की उम्र से गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट में कलाकारों के लिए मॉडलिंग शुरू कर दी थी.
सुकुमार रे को दी जा रही श्रद्धांजलि
उत्तरी कोलकाता में एक और पूजा समिति जाने माने लेखक सुकुमार रे को श्रद्धांजलि दे रही है. बंगाली बाल साहित्य के आईकॉन में से एक सुकुमार अपने प्रसिद्ध ‘अबोल ताबोल’ के लिए जाने जाते हैं.
सुकुमार रे फिल्म कलाकार सत्यजीत रे के पिता
हातिबागान नबीन पल्ली दुर्गा पूजा समिति के आयोजक लेखक की 100 वीं पुण्यतिथि के साथ-साथ थीम के रूप में ‘अबोल ताबोल’ के प्रकाशन का शताब्दी वर्ष मना रहे हैं. सुकुमार रे फिल्म कलाकार सत्यजीत रे के पिता हैं. 1923 में पहली बार ‘अबोल ताबोल’ प्रकाशित होने से ठीक 9 दिन पहले रे की मृत्यु हो गई थी.
‘मदर ऑफ मणिपुर’ को थीम के रूप में चुना
दूसरी ओर, साल्ट लेक में एक दुर्गा पूजा समिति ने अपने पंडाल की थीम मणिपुर हिंसा पर रखी है. पूर्वोत्तर राज्य में जातीय-संघर्ष से परेशान होकर, एफसी ब्लॉक सर्बोजनिन दुर्गा पूजा के आयोजकों ने ‘मदर ऑफ मणिपुर’ को अपनी थीम के रूप में चुना है.
‘पंडाल में मणिपुर के दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व’
इस साल 3 मई को राज्य में भड़की जातीय हिंसा और महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं ने सभी को हिलाकर रख दिया. समिति के सचिव नीलांजन ब्रह्मा ने कहा, ‘शांति का संदेश फैलाने के लिए पूजा पंडाल में दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व किया गया है.’
इसके अलावा और भी अलग-अलग तरह के पूजा पंडालों को नई थीम के साथ सजाया गया जिससे उनके प्रति लोगों का ज्यादा झुकाव हो सके.
‘सरोगेसी’ थीम पर आधारित ‘पूजा पंडाल’ भी आया नजर
कोलकाता में दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान ‘सरोगेसी’ थीम पर आधारित ‘पूजा पंडाल’ भी नजर आए. इसके अलावा ‘षष्ठी’ के दौरान ‘दाता और लेने वाले के रूप में कई चेहरे और हाथों की जोड़े’ की थीम पर भी एक कम्युनिटी ‘पूजा पंडाल’ तैयार किया गया. इस तरह के पूजा पंडाल लोगों को खूब आकर्षित कर रहे हैं.
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