Diwali Festival: दिवाली का त्योहार सभी के जीवन में खुशियां, रोशनी और उमंग भरने वाला होता है. हर कोई इस त्योहार को अपने परिवार के साथ मिलकर बड़ी धूमधाम से मनाता है. कई परिवार ऐसे भी होते हैं जिसको इस फेस्टिवल को मनाने से पहले कड़ी मेहनत करनी होती है. इस तरह के लोग अधिकतर गरीब, मजदूर और सड़क किनारे बैठकर दो जून की रोटी कमाने वाले होते हैं.
इन लोगों में वो महिलाएं भी होती है जो कड़ी धूप में अपने छोटे बच्चों को लेकर सड़क किनारे दिवाली का सामान बेचने के लिए दूरदराज से आती हैं. ऐसी एक महिला काजल (20), जिसका 6 माह का दूध पीता बच्चा भी है, दादर इलाके में रेलवे स्टेशन के पास दिवाली आइटम (स्टिकर) बेचती नजर आई.
काजल ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि वह अपने पति और भाइयों के साथ सोलापुर से आई हैं. वह चेंबूर इलाके में रह रही हैं. काजल अपने पति के साथ सुबह 10 बजे के करीब इस सामान को बेचने के लिए आती है. काजल ने बताया कि नन्हे बच्चे के साथ पूरे दिन सड़क पर रहना बहुत मुश्किल होता है. बच्चा अभी मेरा ही दूध पीता है तो उसको दूध पिलाने के लिए सड़क के किनारे भी जाना पड़ता है. कई लोग सामान लेते वक्त मोल भाव भी करते हैं लेकिन गरीबों का कोई नहीं सोचता है.
‘ऑनलाइन और दुकानों पर महंगा मिलता है यह सामान’
काजल ने बताया कि लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग और अन्य दुकानों पर इस तरह का सामान हमसे भी महंगा मिलता है लेकिन वो तब भी बेझिझक सामान खरीद लेते हैं. विक्रेता काजल को कहना है कि अगर लोग ऑनलाइन की तरह हमसे भी उतनी ही शिद्दत से सामान लेंगे तो हमारी दिवाली भी अच्छी मन जाएगी.
‘सिर्फ दिवाली के त्योहार पर यह सामान बेचने आते हैं’
काजल के पति 23 वर्षीय रोशन ने बताया कि अपनी पत्नी को ऐसा काम करते हुए देखकर बिलकुल अच्छा नहीं लगता हैं लेकिन मजबूरी हैं. दिवाली के त्योहार में केवल यहां आते हैं वरना हम गजरा और हार बनाते हैं. कई लोग 200 की चीज लेने से मना करते हैं लेकिन उनको यह नहीं पता कि हमारा घर इससे ही चलता है. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं लोग सहानुभूति दिखा कर हमसे सामान खरीदा करें. यहां पर बीएमसी भी सामान बेचने नहीं देती है.
‘सामान खरीदने वाले लोगों ने महिलाओं को सपोर्ट करने की बात कही’
काजल से सामान खरीदने वाले कई लोगों से बातचीत की गई. उन्होंने बताया कि हम 200 से 300 रुपए जब किसी मॉल या दुकान से खरीदते हैं तो सोचते नहीं हैं लेकिन जब ऐसी महिलाएं मेहनत से कुछ बेचती हैं तो हमें सोचना पड़ता हैं. इसीलिए महिलाओं को सपोर्ट करना बेहद जरूरी है. जितना हो सके त्योहार के समय इन महिलाओं से सामान खरीद कर इनकी मदद करनी चाहिए.
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