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Delhi-NCR Air Quality What Is Air Pollution AQI PM2.5 PM10 Explained In Hindi


Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण की सफेद चादर ने राजधानी को घेरना शुरू कर दिया है. एयर क्वालिटी लगातार बिगड़ती जा रही है और अब प्रशासन भी अलर्ट मोड में आ गया है. इसका नमूना शनिवार (21 अक्टूबर) को देखने को भी मिला, जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्राधिकारियों ने ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (GRAP) के स्टेज 2 को लागू कर दिया. इसके तहत कई सारी चीजों में बदलाव हुए हैं. 

प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रैप के स्टेज 2 में पार्किंग चार्ज बढ़ा दिया गया है. सीएनजी/इलेक्ट्रिक बसों, मेट्रो सेवाओं को बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. सरकार चाहती है कि लोग अपने निजी वाहनों का कम से कम इस्तेमाल करें, ताकि प्रदूषण को रोकने में मदद मिल पाए. ऐसे में वायु प्रदूषण से जुड़े ऐसे कई सारे सवाल हैं, जो लोगों के मन में उठ रहे हैं. जैसे वायु प्रदूषण होता ही क्यों है, जिस एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की बात होती, वो क्या है. आइए ऐसे सवालों के जवाब जानते हैं.

क्या है वायु प्रदूषण? 

वायु प्रदूषण का मतलब हवा में किसी भी तरह के फिजिकल, केमिकल या बायोलॉजिकल बदलाव से है. आसान भाषा में कहें तो शुद्ध हवा में जब जहरीली गैस, धूल या धुआं मिल जाता है, तो दूषित हो जाती है. इसकी वजह ये हवा इंसानों, जानवरों और पौधों के लिए खतरनाक बन जाती है. हमारे वायुमंडल में हर गैस एक निश्चित मात्रा में मौजूद है. जब इसमें उतार-चढ़ाव होता है, तो इसकी वजह से धरती का तापमान भी बढ़ने और घटने लगता है, जिसे ग्लोबल वार्मिंग के तौर पर जाना जाता है.

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण क्यों होता है? 

दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता खराब होने के पीछे वाहनों, फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं, कंस्ट्रक्शन की वजह से पैदा हो रही धूल और पराली जलाने का हाथ रहा है. दिल्ली में भले ही मेट्रो और बसों की सुविधा है, मगर लोग अपने वाहनों से ही सफर करना पसंद करते हैं. ऊपर से दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग हिस्सों में हमेशा ही कंस्ट्रक्शन चलता रहता है, जिससे धूल उड़ती रहती है. हरियाणा-पंजाब में पराली जलाने से निकलने वाला धुआं भी दिल्ली की ओर आता है.

वायु प्रदूषण का क्या प्रभाव होता है? 

खराब हवा में सांस लेना, गंभीर बीमारियों को दावत देने जैसा है. फेफड़ों के कैंसर से लेकर सांस लेने में तकलीफ होना, ये कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जो गंदी हवा में सांस लेने से सबसे पकड़ती हैं. इन बीमारियों का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे ही बनते हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ इंसानों पर ही इसका असर होता है. वायु प्रदूषण की वजह से ओजोन लेयर में छेद होने का खतरा होता है. साथ ही धरती का तापमान भी बढ़ने लगता है, जिससे ग्लेशियर पिघल सकते हैं. 

AQI का क्या मतलब होता है? 

एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI, सरकारी एजेंसियों के जरिए बनाया गया वो पैमाना है, जिससे हवा की गुणवत्ता को मापा जाता है. एक्यूआई के जरिए ये मालूम चलता है कि वर्तमान में हवा कितनी खराब है और इसके कितने बिगड़ने की गुंजाइश है. एक्यूआई इंडेक्स 0 से लेकर 301 और उससे ज्यादा तक होता है. अगर एक्यूआई 0 से 50 के बीच है, तो इसका मतलब है कि लोग सबसे बेहतरीन हवा में सांस ले रहे हैं. ये अच्छा एक्यूआई होता है. 

AQI कैसे कैलकुलेट किया जाता है? 

एक्यूआई को कैलकुलेट करने के लिए हवा में मौजूद आठ पॉल्यूटैंट्स को ध्यान में रखा जाता है. ये पॉल्यूटैंट्स PM10, PM2.5, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, ग्राउंड लेवल ओजोन, अमोनिया और लेड है. किसी खास लोकेशन पर मौसम विभाग 24 घंटे तक हवा में इन आठ में से कम से कम तीन की मौजूदगी के आधार पर डेटा इकट्ठा करता है. लेकिन तीन में से एक PM10 या PM2.5 जरूर होना चाहिए. 

PM2.5 और PM10 क्या है. 

PM का मतलब पार्टिकुलैट मैटर या कण प्रदूषण से है, जो वायुमंडल में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है. ये इतने छोटे होते हैं कि इन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है. इन्हें देखने के लिए इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ती है. PM2.5 और PM10 दो तरह के कण प्रदूषण हैं.  PM2.5 वायुमंडलीय कण प्रदूषण को बताता है. धूल के इस कण का डायामीटर 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है. 

PM10 10 माइक्रोमीटर डायामीटर वाले कण होते हैं और इन्हें सूक्ष्म कण भी कहा जाता है. ये PM2.5 से बड़े होते हैं. PM2.5 और PM10 कितने छोटे होते हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंसान के बालों का डायामीटर 70 माइक्रोमीटर का होता है. यानी कि ये इंसान के बालों के भी छोटे आकार के होते हैं. यही वजह है कि इनका हवा में घुलना काफी आसान होता है. 

ओजोन प्रदूषण क्या है? 

ओजोन प्रदूषण एक प्रकार का वायु प्रदूषण ही है, जो तब होता है जब सूरज की रोशनी नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOC) के साथ रिक्शन करती है. NOx और VOC कारों, ट्रकों, बिजली के प्लांट और कंपनियों से निकलने वाले धुएं सहित अलग-अलग स्रोतों से उत्पन्न होते हैं. ओजोन प्रदूषण गर्मियों के महीनों में सबसे आम तौर पर होता है. गर्मियों में सूरज की रोशनी तेज होती है और पॉल्यूटैंट्स को फैलाने के लिए हवा कम होती है. 

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