C Voter Survey on India-Bharat Name: सीवोटर ने ‘भारत बनाम इंडिया’ नाम को लेकर हो रहे विवाद पर एक विशेष राष्ट्रव्यापी सर्वे किया है. इस सर्वे में कुल 3,350 लोगों ने भाग लिया और इस मुद्दे पर अपनी राय दी है. आज सबके मन में एक ही सवाल है कि क्या देश का नाम बदलने वाला है, क्या इंडिया और भारत में किसी एक नाम को चुनना जरुरी हो गया है? जानें इस पर लोगों का क्या मानना है.
सीवोटर सर्वे में देश के नाम पर 42 प्रतिशत उत्तरदाताओं की राय है कि ‘इंडिया’ शब्द को संविधान से नहीं हटाया जाना चाहिए. जबकि, 44 प्रतिशत का मानना है कि ‘इंडिया’ शब्द को हटा दिया जाना चाहिए. खास बात यह है कि जनवरी 1950 में अपनाया गया भारत का संविधान देश को “इंडिया दैट इज भारत…” के रूप में चिंहित करता है.
कितने फीसदी लोग किसके पझ में ?
2024 लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट हुए विपक्षी गठबंधन इंडिया के गुट का समर्थक बताने वाले आधे से ज्यादा उत्तरदाताओं की राय है कि मूल संविधान में इस्तेमाल किए गए ‘इंडिया’ शब्द को बरकरार रखा जाना चाहिए. जबकि इसके विपरीत खुद को एनडीए समर्थक बताने वाले करीब 56 प्रतिशत उत्तरदाता चाहते हैं कि ‘इंडिया’ शब्द हटा दिया जाए.
इस मुद्दे पर विवाद पहली बार तब भड़का जब भारत के राष्ट्रपति ने दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के उपलक्ष्य में भोज और रात्रिभोज के लिए भेजे गए निमंत्रण में ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल किया.जिसमें रिपब्लिक ऑफ इंडिया की जगह ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’ लिखा था.
आसियान बैठक के बाद बढ़ा था विवाद
परंपरागत रूप से ऐसे निमंत्रणों में ‘भारत’ शब्द का उपयोग किया जाता है. विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ ब्लॉक ने गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ‘भारत’ के नाम पर राजनीति करने का आरोप एनडीए पर लगाया है. उनका कहना है, मौजूदा सरकार बढ़ती विपक्षी एकता से परेशान है.
इस मामले को लेकर विवाद तब बढ़ा जब आसियान बैठक के लिए इंडोनेशिया की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आधिकारिक यात्रा कार्यक्रम में उन्हें ‘भारत के प्रधानमंत्री’ के रूप में उल्लेखित किया गया.
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