Article 370 Hearing In Supreme Courtroom: सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को भी सुनवाई की. इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस बात पर जोर दिया कि राजनीतिक लाभ के लिए संविधान में हेरफेर नहीं किया जाना चाहिए.
सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां एक ओर संविधान है, जिसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा सकता है. हालांकि, इसके प्रावधानों के साथ हेरफेर नहीं किया जाना चाहिए.’
अनुच्छेद 370 हटाना एकतरफा फैसला
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन और हुसैन मसूदी की ओर से पेश हुए सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि एग्जीक्यूटिव बॉडी का एकतरफा फैसला अनुच्छेद 370 में संवैधानिक रूप से बनाए गए रिश्ते की शर्तों को नहीं बदल सकता है. उन्होंने कहा, ‘ केंद्र सरकार का एक अधिनियम जम्मू-कश्मीर को लेकर भारतीय संविधान के प्रावधानों को एकतरफा रूप से नहीं बदल सकता है. यह एक राजनीतिक फैसला था. यह संविधान के साथ धोखा है.’
मुख्य न्यायाधीश का जवाब
इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने जवाब दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में लोगों की राय स्थापित संस्थानों के माध्यम से होनी चाहिए. इसके बाद सिब्बल ने कहा कि अनुच्छेद 370 (3) में खुद उन शर्तों का जिक्र किया गया है, जिनके जरिए इसे खत्म किया जा सकता है. हालांकि, यह संविधान सभा की सिफारिश करता है.
अनुच्छेद 370 खत्म करने की जरूरत नहीं थी
सिब्बल ने इस बात पर जोर दिया कि इसे निरस्त करने की कोई आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि भूमि कानूनों और पर्सनल लॉ को छोड़कर अधिकांश भारतीय कानून जम्मू-कश्मीर में पहले से ही लागू थे. उन्होंने बताया कि इसे हटाने का उद्देश्य महज एक राजनीतिक संदेश भेजना था कि अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया
इस बीच सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि अब जम्मू-कश्मीर के लोगों पर भारत के 1200 कानून लागू हैं और उनके लिए कई कल्याणकारी योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. इसके बाद सिब्बल ने पूछा कि क्या राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने से पहले लोगों की इच्छा को ध्यान में रखा गया था.
बुधवार को होगी अगली सुनवाई
कपिल सिब्बल ने बदलाव के लिए बहुसंख्यकवाद की जगह संवैधानिक मापदंडों को लागू करने की जरूरत पर जोर दिया. इतना ही नहीं सिब्बल ने इस मामले में अदालत से चुप न रहने का आग्रह किया और कहा कि इसके परिणाम विनाशकारी होंगे. गौरतलब है कि मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.
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