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Charanjit Singh Channi not alone Punjab political mood is changing for separatist like Amritpal Singh


Amritpal Singh: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने संसद में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को लेकर टिप्पणी करते हुए एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. केंद्र पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने का आरोप लगाते हुए चन्नी ने कहा कि सरकार ने नवनिर्वाचित सांसद को जेल में बंद किया हुआ है. उनका इशारा अमृतपाल सिंह की तरफ था और संदेश पंजाब की उस बदलती सियासी हवा की ओर, जिसमें अलगाववादी नेताओं के समर्थन में माहौल बनते दिखाई दे रहा है.

लोकसभा चुनाव के पहले ज्यादातर विपक्षी दल खालिस्तान की मांग करने वाले वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह का विरोध करते थे. अमृतपाल ने खडूर साहिब से निर्दलीय चुनावी ताल ठोकी तो विपक्षी दलों ने उन्हें कड़ी टक्कर भी दी. हालांकि चुनावी नतीजों में अमृतपाल ने जेल में बंद रहकर भी जीत हासिल की. इसके बाद से लगातार पंजाब के कई दिग्गजों के बोल अमृतपाल को लेकर नरम पड़े हैं. इस लिस्ट में अगला नाम पंजाब के पूर्व सीएम चन्नी का भी जुड़ गया है.

हालांकि चन्नी के बयान से कांग्रेस ने किनार कर लिया है. कांग्रेस के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “चन्नी ने समाज के एक विशेष धड़े को लुभाने के इरादे से ये बयान दिया, जो अमृतपाल के समर्थक हैं, लेकिन ये पार्टी का बयान नहीं है. पार्टी की विचारधारा साफ है. कांग्रेस किसी भी तरह की कट्टरता का समर्थन नहीं करती है, चाहे वो हिंदू, मुस्लिम या सिख किसी की भी हो. इसलिए पार्टी ने खुद को इससे अलग कर लिया है.”

सिर्फ चन्नी ही नहीं बदल रही है पंजाब की हवा!

कांग्रेस ने खुद को चन्नी के बयान से भले ही अलग कर लिया हो, लेकिन वो इकलौते नेता नहीं हैं, जिनके सुर अमृतपाल के लिए नरम पड़े हों. कई अन्य पार्टी के नेता भी अमृतपाल को रिहा करने की मांग उठा चुके हैं. कांग्रस पार्टी के विधायक सुखपाल सिंह खैरा, जो संगरूर से लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हुए, उन्होंने भी चुनावों के बाद अमृतपाल को लेकर बयान दिया था.

उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया था, “अब जनता की अदालत ने खडूर साहिब से भाई अमृतपाल सिंह को भारी जनादेश दिया है, ऐसे में मैं मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील करूंगा कि वो एनएसए को हटाते हुए उन्हें (अमृतपाल सिंह) को रिहा करवाएं.”

शिरोमणी अकाली दल भी अमृतपाल सिंह के समर्थन में उतर आया है. अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था, “मैं और मेरी पार्टी भाई अमृतपाल सिंह के खिलाफ एनएसए बढ़ाए जाने का विरोध करते हैं, क्योंकि ये संविधान और मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं.” बादल ने आगे भगवंत मान पर भी निशाना साधा और कहा, “इस निर्देश से ये साफ हो गया है कि भगवंत मान सिख विरोधी और पंजाब विरोधी हैं.”

अब अमृतपाल को लेकर हो रही सियासत!

सुखबीर बादल ने आगे लिखा कि अमृतपाल सिंह से हमारी विचारधारा अलग हो सकती है, लेकिन हम उनके खिलाफ या किसी और के खिलाफ हो रहे अन्याय की आवाज उठाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए वो कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो अकाली दल का ये बयान अपने मूल वोटर्स को वापस अपनी तरफ खींचने के इरादे से चला गया एक दांव है. 

सिर्फ विपक्षी ही नहीं बल्कि बीजेपी भी अमृतपाल नहीं तो कम से कम अन्य अलगाववादियों के नरम हुई है. लोकसभा चुनाव में लुधियाना से बीजेपी उम्मीदवार रहे रवनीत सिंह बिट्टी ने अपने कैंपेन के दौरान कहा था कि अगर अमृतपाल सिंह जैसे लोग लोकसभा पहुंचे तो वो पंजाब के अमन पसंद लोगों को शांति से नहीं रहने देंगे. अब उनका कहना है कि वो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और उनके दादा बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की रिहाई पर केंद्र के फैसले का विरोध नहीं करेंगे.

पंजाब के राजनेताओं की बयानबाजी में अचानक आए इस बदलाव के पीछे सूबे की बदलती सियासी हवा एक वजह मानी जा रही है. वही हवा जिसने जेल में बंद अमृतपाल सिंह के विजयी परचम को लहरा दिया.

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