ISRO Moon Mission: चंद्रमा में भारत के तीसरे मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ऐसे मिशनों में विशेषज्ञता विकसित कर रहा है जो नमूने पृथ्वी पर लौटाने में सक्षम होंगे. अधिकारियों ने कहा कि 3 सितंबर को विक्रम लैंडर का होप एक्सपेरिमेंट उसी दिशा में उठाया गया एक कदम था.
हिंदुस्तान टाइम्स ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि चंद्रयान-3 के बाद जो नतीजे निकले हैं विशेष रूप से सफल हॉप एक्सपेरिमेंट भविष्य के मून मिशन का आधार बनेगा. उन्होंने कहा कि चंद्रमा पर प्रयोगों के आधार पर अंतरिक्ष एजेंसी ऐसे कार्यक्रम डिजाइन करेगी जहां नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाया जा सके. अधिकारी ने कहा, “इसके लिए अभी तक कोई निश्चित समयसीमा नहीं है, लेकिन हम अपने सिस्टम को इस तरह से विकसित करने पर काम कर रहे हैं कि यह वापसी की उड़ान भर सके. हॉप एक्सपेरिमेंट केवल बड़ी योजना का प्रदर्शन था.”
विक्रम की हॉप पर इसरो ने क्या कहा?
कुछ देशों ने किसी अन्य खगोलीय वस्तु से उड़ान भरने की क्षमता का प्रदर्शन किया है. इसी क्रम में 3 सितंबर को विक्रम लैंडर ने 40 सेमी की ऊंचाई तक जाने और फिर से वापस उतरने के लिए अपने रॉकेट दागे जो एक महत्वपूर्ण परीक्षण था. विक्रम की हॉप पर इसरो ने उस वक्त कहा था, “विक्रम फिर से सॉफ्ट लैंडिंग पर उतरा! विक्रम लैंडर ने अपने मिशन के उद्देश्यों को पार कर लिया। यह सफलतापूर्वक एक हॉप प्रयोग से गुजरा.”
इसरो ने आगे कहा था, “कमांड देने पर, इसने इंजन चालू कर दिए, उम्मीद के मुताबिक खुद को लगभग 40 सेमी ऊपर उठाया और 30 – 40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित रूप से उतर गया.” अंतरिक्ष एजेंसी जापान के साथ एक चंद्र मिशन, लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEX) परियोजना के लिए भी काम कर रही है, चंद्रमा पर पानी और अन्य संसाधनों का पता लगाने और इसकी सतह की खोज में विशेषज्ञता हासिल करने की एक पहल है.
ये भी पढ़ें: एस्टेरॉयड बेन्नू खोलेगा धरती पर जीवन के राज, सैंपल लेकर वापस लौटा NASA का कैप्सूल