India-Canada row: कनाडाई पत्रकार टेरी मिल्वेस्की ने रविवार (10 नवंबर) को कनाडा के खालिस्तानी मुद्दे पर रवैये की कड़ी आलोचना की और इसे “हिपोक्रिटिकल” (दोहरा) और “राष्ट्र के लिए शर्मनाक” करार दिया. एएनआई (ANI) से बातचीत करते हुए मिल्वेस्की ने कहा कि वह पिछले 20 वर्षों से ये कह रहे हैं कि कनाडा खालिस्तानी अलगाववाद को लेकर दोहरे व्यवहार को अपनाता रहा है. उन्होंने कहा कि कनाडा ने जिस तरह से खालिस्तान मुद्दे को हैंडल किया है वह राष्ट्रीय शर्म की बात है.
मिल्वेस्की ने “ऑस्ट्रेलिया टुडे” की ब्लॉकिंग को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब भी दिया और इसे एक लंबी व्यावसायिक बातचीत का परिणाम बताया. उन्होंने कहा कि साइट का ब्लॉक होना एक गलत सूचना है. मिल्वेस्की ने कहा, “आप बस साइट पर क्लिक करें और देखिए, ये बिल्कुल भी ब्लॉक नहीं है. यह कभी भी ब्लॉक नहीं हुआ है.”
उन्होंने कहा कि यदि लोग सिर्फ फेसबुक पर ही इसे एक्सेस करना चाहते हैं तो दिक्कत हो सकती है, लेकिन साइट पर जाने में कोई समस्या नहीं है.
खालिस्तानी हमले और कनाडाई नेताओं की नाकामी
मिल्वेस्की ने ब्रैम्पटन स्थित हिंदू सभा मंदिर पर हाल ही में हुए खालिस्तानी हमले की भी कड़ी निंदा की. उन्होंने इसे कनाडाई नेताओं की विफलता का परिणाम बताया जो पिछले 40 वर्षों से खालिस्तानी अलगाववाद के बढ़ते प्रभाव को नजरअंदाज करते आए हैं.
उन्होंने कहा “यह एक खुला आक्रमण है और यह बहुत चिंताजनक है.” मिल्वेस्की ने कहा कि कनाडाई नेताओं की ये गलती अब हिंसा के रूप में सामने आ रही है और यह भारत के लिए एक बड़ा मुद्दा बन चुका है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का भारत-कनाडा संबंधों पर प्रभाव
मिल्वेस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बारे में भी बात की और कहा कि डोनाल्ड ट्रंप का अप्रत्याशित स्वभाव भारत-कनाडा संबंधों पर असर डाल सकता है. उन्होंने कहा कि ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छे संबंध हैं और मोदी ट्रंप के साथ काम करने को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं.
भारत और कनाडा के बीच बढ़ती कूटनीतिक तनातनी
कनाडा और भारत के बीच लगातार कूटनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं. हाल ही में कनाडा ने भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नु की हत्या में संलिप्तता का आरोप लगाया था जिसे भारत ने पूरी तरह से नकारते हुए इसे “बेवकूफी” और “राजनीति से प्रेरित” बताया. इसके बाद हाल ही में ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर पर खालिस्तानी हमले के बाद संबंध और भी खराब हो गए.
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