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BJP Fear In Bihar losing Lok Sabha Election 2024 as party welcomed JDU Nitish Kumar In NDA Know December ABP C Voter Survey


Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से बाहर करने के इरादे से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने I.N.D.I.A गठबंधन की नींव रखी. कुछ महीने बीतने के बाद उन्होंने पलटी मार ली और इस नींव को हिलाते हुए बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए में शामिल हो गए. सवाल बीजेपी ने उनका वेलकम क्यों किया?

आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि नीतीश कुमार के लिए दरवाजे बंद कर देने वाली बीजेपी ने एक बार फिर उनके लिए रेड कार्पेट बिछा दी. दरअसल, इस बार लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी का नारा- अबकी बार 400 पार बताया जा रहा है. ऐसे में वो फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. बिहार में भी बीजेपी पूरी मजबूती के साथ उतरना चाहती है. साथ ही दिसंबर की ठंड में जब एबीपी सी वोटर का सर्वे सामने आया तो सियासी गर्मी बढ़ गई थी. तो आइए आंकड़ों से समझते हैं इस सियासी खेल को.  

बिहार की सियासी गणित

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को 40 में से 39 सीटें मिली थीं, जबकि यूपीए गठबंधन के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी. हालांकि एनडीए गठबंधन को 54 फीसदी और यूपीए को करीब 32 फीसदी वोट मिले थे.

पिछले लोकसभा में जेडीयू और बीजेपी थे साथ-साथ

गौर करने वाली बात ये है कि 2019 में बीजेपी और नीतीश साथ थे. बिहार में सबसे ज्यादा 36 फीसदी आबादी अति पिछड़ा वोटरों की है और माना जाता है कि इस जाति के वोटरों पर नीतीश कुमार की अच्छी पकड़ है. बीजेपी को डर था कि नीतीश अगर महागठबंधन में बने रहते तो बिहार में लोकसभा चुनाव की लड़ाई मुश्किल हो जाती.

एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे में क्या था?

ये डर हवा में नहीं था क्योंकि दिसंबर में हुए एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे ने भी इस बात पर मुहर लगाई थी. एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को 39 फीसदी वोट मिलने का अनुमान था, जबकि इंडिया गठबंधन को 43 फीसदी वोट मिलने का अनुमान

सीटों की बात करें तो नीतीश के बिना एनडीए को बिहार की 40 में से सिर्फ 16 से 18 सीटें मिलती दिख रही थीं, जबकि इंडिया गठबंधन को 21 से 23 सीटें मिलती दिखाई दे रही थीं.

बीजेपी इस नुकसान को सहने के मूड में नहीं थी और इंडिया गठबंधन के रवैये से नीतीश खुश नहीं थे. नतीजा ये हुआ कि अपना-अपना राजनीतिक फायदा देखकर बीजेपी और नीतीश कुमार एक पाले में आ गए.

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