Delhi Ordinance Bill: दिल्ली अध्यादेश से जुड़े बिल (दिल्ली सेवा बिल) पर राज्यसभा में चर्चा जारी है. इस बिल का ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी (युवाजना श्रामिका रैतु कांग्रेस पार्टी) वाईएसआरसीपी ने समर्थन किया है.
बीजेडी के राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली अध्यादेश बिल का समर्थन करती है. यह बिल दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ दिनों बाद मई में केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को बदलने का प्रयास करता है.
‘संसद बना सकती है कानून-बीजेडी’
पात्रा ने आगे कहा कि 2023 में भी कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली के संबंध में संविधान में कानून बनाने के लिए दी गई लिस्ट 2 और लिस्ट 3 पर भी केंद्र सरकार कानून बना सकती है. उन्होंने कहा संविधान के मुताबिक संसद के पास पावर है कि वह दिल्ली से संबधित कानून बना सकती है.
उन्होंने 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि यह मुद्दा संयुक्त लिस्ट (Concurrent listing) का हिस्सा है. इसलिए केंद्र सरकार इस पर कानून बना सकती है.
वाईएसआर कांग्रेस का बिल को समर्थन
वहीं, जगन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस भी इस बिल का समर्थन में खड़ी है. चर्चा के दौरान YSR के सांसद वि. विजयसाई रेड्डी ने कहा कि हमारा संविधान संसद को दिल्ली के लिए कानून बनाने की अनुमति देता है. इस बिल के किसी भी विरोध का कोई संवैधानिक आधार नहीं है. विपक्ष बेवजह बाधा डाल रहा है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बिल पर विवाद कर के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. इतना ही वाईएसआर नेता ने आगे कहा कि अगर यह बिल पास नहीं होता है तो आम आदमी पार्टी (AAP) अराजकता पार्टी बन जाएगी. दिल्ली आम आदमी पार्टी की जागीर नहीं हैै, बल्कि यह देश के हर नागरिक की है.
आप का निशाना
बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के सांसदों से पहले राघव चड्ढा ने दिल्ली अध्यादेश बिल पर अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने दोनों ही पार्टियों को निशाने पर लिया. चड्ढा ने कहा, ”मैं अपने साथी जो ओडिशा और आंध्र की सरकार चला रहे हैं उन्हें कहना चाहता हूं कि आपकी कुछ मजबूरियां रही होंगी, इसलिए आज आपने यह फैसला लिया है, सरकार के बिल का समर्थन करने में. कुछ तो मजबूरियां रही होंगी. यूं ही कोई बेवफा नहीं होता.”
उन्होंने कहा कि 1977 से दिल्ली को पूर्ण दर्जा देने की मांग की जा रही है.आप नेता ने कहा कि भाजपा ने 1988 के अपने मैनिफेस्टो में भी दिल्ली को पूर्ण दर्जा देने का वादा किया था. इस बीच आप नेता ने राहत इंदौरी का शेर सुनाते हुए कहा सरकार पर निशाना साधा और दिल्ली सेवा बिल का समर्थन करने वालों पर हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘अगर खिलाफ हैं तो होने दो, जान थोड़ी हैं, ये सब धुआं है, कोई आसमान थोड़ी है, लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है.’
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