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Bilkis Bano Case Convicts Were Welcomed With Flower Garlands After Release From Jail Government Replied In Supreme Court


Bilkis Bano Case: गुजरात दंगों की आग में अपना सब कुछ गंवा देने वाली बिलकिस बानो के 11 दोषियों की रिहाई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर सुनवाई चल रही है. बिलिकिस के साथ गैंगरेप और उसकी बच्ची समेत परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए सभी लोगों को पिछले साल रिहा कर दिया गया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं. इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एक याचिकाकर्ता की वकील ने सुप्रीम कोर्ट में उस घटना का भी जिक्र किया, जिसमें दोषियों का रिहाई के बाद फूल मालाओं से स्वागत किया गया. 

दोषियों का फूल मालाओं से स्वागत का जिक्र
बिलकिस मामले में जनहित याचिकाकर्ताओं में से एक की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि कैसे रिहाई के बाद दोषियों को फूलों की मालाएं पहनाई गई और उनका जोरदार स्वागत किया गया. इसके अलावा उन्हें लेकर कहा गया कि ब्राह्मण अपराध नहीं कर सकते. इस पर सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि रिहा किए गए दोषियों को माला पहनाने वाले उनके परिवार के ही लोग थे. ऐसे में परिवार के किसी सदस्य का उन्हें माला पहनाने में क्या गलत है? 

इससे पहले याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मामले को देखने और दो महीने के अंदर फैसला करने को कहा था कि क्या उन्हें छूट दी जा सकती है. इस पर बिलकिस बानो की वकील ने कहा कि गुजरात सरकार को उनकी याचिका पर विचार करने का निर्देश देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सब कुछ तेजी से हो गया और सभी दोषियों को 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया.

इनकी तरफ से दायर की गई हैं याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि वो इस मामले में जनहित याचिका दायर करने वाले कई लोगों के ‘हस्तक्षेप के अधिकार (लोकस स्टैंडाई)’ पर नौ अगस्त को दलीलें सुनेगी. बिलकिस बानो की तरफ से दायर याचिका के अलावा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा सहित कई अन्य ने जनहित याचिका दायर कर दोषियों की सजा में छूट को चुनौती दी है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सजा में छूट के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है.

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