Bilkis Bano Advocate: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (7 अगस्त) को बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई हुई. बिलकिस बानो के वकील ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उसके परिवार के सात लोगों की हत्या के दोषियों के सिर पर मुसलमानों को शिकार बनाने और उन्हें मारने का खून सवार था.
पिछले साल बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. बिलकिस की वकील शोभा गुप्ता ने याचिका पर बहस शुरू करते हुए कहा कि जब वह (बिलकिस) गर्भवती थीं तो उनके साथ क्रूरतापूर्वक सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके पहले बच्चे को पत्थर से कुचलकर मार डाला गया था.
कोर्ट में क्या बोलीं वकील
शोभा गुप्ता ने जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ को बताया, ‘वह उन सभी को जानती थी इसलिए गुहार लगाती रही कि वह उनकी बहन की तरह है. वे आसपास के इलाके से थे…यह अचानक हुई घटना नहीं थी. मुसलमानों को शिकार बनाने और उन्हें मारने के लिए उनके सिर पर खून सवार था और वे उसी इरादे से बिलकिस का पीछा कर रहे थे. उन्होंने नारे लगाए- ये मुसलमान हैं, इन्हें मार डालो. हाईकोर्ट ने इस बात पर ध्यान दिया था कि उनके द्वारा किया गया अपराध दुर्लभ, असामान्य और सांप्रदायिक घृणा से प्रेरित था.’
वकील ने अदालत को बताया कि सजा में छूट के बाद 15 अगस्त, 2022 को दोषियों को रिहा कर दिया गया था और बिलकिस को इसके बारे में तब पता चला जब उन्होंने जेल से बाहर आते ही जश्न मनाया. दोषियों को दी गई छूट का विरोध करते हुए वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि सीबीआई ने दोषियों की समय से पहले रिहाई का विरोध करते हुए कहा था कि बड़े पैमाने पर समाज में गलत संदेश जाएगा, क्योंकि अपराध इस तरह का है कि इसे माफ नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को भी इस मामले में सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थीं याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सभी 11 दोषियों को पिछले साल दी गई सजा में छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करने के लिए सात अगस्त की तारीख तय की थी. कोर्ट ने 9 मई को उन दोषियों के खिलाफ गुजराती और अंग्रेजी समेत स्थानीय समाचार पत्रों में नोटिस प्रकाशित करने का निर्देश दिया था, जिन्हें नोटिस तामील नहीं हो सका था. पीठ ने 2 मई को सुनवाई तब टाल दी थी जब दोषियों के कुछ वकीलों ने उन्हें दी गई छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस नहीं दिए जाने पर आपत्ति जताई थी. केंद्र और गुजरात सरकार ने अदालत को बताया था कि वे अदालत के 27 मार्च के आदेश की समीक्षा के लिए कोई याचिका दायर नहीं कर रहे हैं, जिसमें दोषियों को दी गई छूट के संबंध में मूल रिकॉर्ड पेश करने को कहा गया है.
क्या है मामला?
बिलकिस बानो उस वक्त 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के डर से भागते समय उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. उसकी तीन साल की बेटी दंगों में मारे गए परिवार के सात सदस्यों में से एक थी.
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