Amazing Facts about Election: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद अब चुनाव प्रचार का दौर शुरू हो गया है. कुछ दिनों बाद नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी. प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान आप ‘बैकअप उम्मीदवार’ शब्द अक्सर सुनते होंगे. इसे सुनकर आपके मन में ये खयाल आता होगा कि आखिर इसका मतलब क्या होता है, ये कौन होते हैं.
अगर आप इस शब्द को जोर देकर पढ़ेंगे तो आपको इसका मतलब समझ में आने लगेगा. बैकअप का मतलब होता है किसी एक चीज के खराब होने या असफल होने पर उसकी जगह रखा गया दूसरा विकल्प. चुनावों में भी इसी पर काम किया जाता है. बड़े प्रत्याशी अक्सर अपना बैकअप कैंडिडेट उतारते हैं.
क्यों उतारा जाता है बैकअप कैंडिडेट
चुनाव के दौरान बड़े दल या प्रत्याशी अपने लिए एक बैकअप कैंडिडेट भी उतारते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अगर कल को किसी भी वजह से मेन प्रत्याशी का नामांकन रद्द होता है तो उसकी जगह बैकअप वाला उम्मीदवार मेन कैंडिडेट बन जाए.
क्या कहता है चुनाव आयोग का नियम
भारतीय निर्वाचन आयोग के नियम के मुताबिक, कोई भी पार्टी बैकअप कैंडिडेट उतार सकती है, लेकिन उस उम्मीदवार को मुख्य उम्मीदवार तब ही माना जाएगा जब मुख्य प्रतियाशी का नॉमिनेशन किसी कारणवश रद्द हो जाए. अब सवाल ये उठता है कि अगर बैकअप कैंडिडेट नाम वापस न ले तो किसी उम्मीदवारी सही मानी जाएगी. यहां बता दें कि चुनाव आयोग ऐसी स्थिति में मुख्य उम्मीवार को ही प्रत्याशी मानता है. पर बैकअप उम्मीदवार जिद पर रहे, उसे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी जाती है. इसके बाद उसका उस मुख्य प्रत्याशी या उक्त दल से कोई लेना देना नहीं होगा.
वापस मिलता है नामांकन का रुपया
एक और सवाल जो लोग जानना चाहते हैं, वो ये कि अगर बैकअप प्रत्याशी मेन कैंडिडेट के बने रहने पर अपना नाम वापस लेता है तो उनकी नामांकन के दौरान जमा रुपयों का क्या होता है. यहां बता दें कि ऐसे प्रत्याशियों से नामांकन के दौरान जो 25 हजार रुपये लिए जाते हैं, उन्हें नाम वापस लेने पर लौटा दिया जाता है.
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