5 States Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने हैं. तारीखों के ऐलान के बाद इन राज्यों में आचार संहिता लागू हो चुकी है. पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर रही है. इसके बाद नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी और पता चलेगा कि किस सीट पर कितने उम्मीदवार ताल ठोंक रहे हैं.
नाम वापसी की प्रक्रिया बीत जाने के बाद जितने प्रत्याशी जिस विधानसभा क्षेत्र के लिए बचे रहेंगे, चुनाव आयोग को उतने ही बटन का ऑप्शन चुनाव चिह्न के साथ ईवीएम में देना होगा. मौजूदा समय में आमतौर पर किसी भी सीट पर 20-40 से ज्यादा उम्मीदवार नहीं होते, लेकिन भारत के चुनावी सफर में एक ऐसा अनोखा चुनाव भी हुआ था, जिसमें एक विधानसभा सीट पर प्रत्याशियों की संख्या ने रिकॉर्ड बना दिया था. आज भी इस रिकॉर्ड को कोई छू नहीं पाया है. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला.
उड़ गए थे अधिकारियों के होश
यह बात है 1996 की. तमिलनाडु में ईरोड जिले के मोडकुरिची विधानसभा सीट पर चुनाव होना था. सारी प्रक्रिया तय कार्यक्रम के हिसाब से चल रही थी. अचानक स्थानीय किसानों ने प्रशासन के विरोध में तय किया कि यहां से 1 हजार से ज्यादा किसान चुनाव में खड़े होंगे. इसके बाद इस सीट पर 1016 किसानों ने नामांकन कर दिया. इससे यहां कुल 1033 उम्मीदवार मैदान में उतर गए थे. प्रत्याशियों की संख्या देखकर प्रशासन और चुनाव आयोग के अफसरों के होश उड़ गए थे.
एक महीने के लिए टालना पड़ा था चुनाव
उम्मीदवारों की इतनी बड़ी संख्या देखकर चुनाव समिति ने इस सीट पर एक महीने के लिए चुनाव टालने का फैसला किया. हालांकि एक महीने बाद यहां चुनाव हुए और सुब्बालक्ष्मी जगदीशन ने जीत दर्ज की. जिस वक्त ये चुनाव हुए थे तब ईवीएम की व्यवस्था नहीं थी, ऐसे में यहां बैलेट पेपर की जगह बैलेट बुक का इस्तेमाल करना पड़ा था. 1033 प्रत्याशी होने की वजह से चुनाव आयोग को यहां बैलेट पेपर की जगह 50 पेज की बैलेट बुक ही छपवानी पड़ी और वोटर्स के सामने इसे ही रखा गया. इसी तरह का नजारा 2021 में भी बनता दिखा था. तब तिरुपुर जिले की कंगायम विधानसभा सीट पर भी 1 हजार किसानों ने नामांकन का फैसला किया था.
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