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Aditya L1 Mission Starts Collecting Data ISRO Will Get Important Information About Space Weather And Speed


Aditya Mission: भारत के सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ अंतरिक्ष यान ने आंकड़े जुटाने शुरू कर दिए हैं. यह आंकड़े पृथ्वी के चारों ओर मौजूद कणों के व्यवहार के विश्लेषण में वैज्ञानिकों की मदद करेंगे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार (18 सितंबर) को यह जानकारी दी.

इसरो ने कहा, ”भारत की पहली सोलर ऑब्जर्वेटरी में लगे सेंसरों ने पृथ्वी से 50 हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पर आयन और इलेक्ट्रॉन को मापना शुरू कर दिया है.”

राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ”ये आंकड़े पृथ्वी के चारों ओर मौजूद कणों के व्यवहार के विश्लेषण में वैज्ञानिकों की मदद करेंगे.” सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर’ (STEPS)’आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्पेरिमेंट’ अंतरिक्ष उपकरण का एक हिस्सा है.

क्रूज फेज के दौरान भी होगा माप
इसरो ने कहा, ”जैसे-जैसे आदित्य एल-1 सू्र्य और पृथ्वी के बीच मौजूद एल1 बिंदु की ओर आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे एसटीईपीएस की यह माप अंतरिक्ष यान मिशन के ‘क्रूज फेज’ के दौरान भी जारी रहेगी. अंतरिक्ष यान के अपनी इच्छित कक्षा में स्थापित होने के बाद भी यह जारी रहेगा.”

आंकड़ों से मिलेगी अहम जानकारियां
एजेंसी ने कहा, ”एल-1 के आसपास जुटाए गए आंकड़ों से सौर वायु की उत्पति, इसकी गति और अंतरिक्ष मौसम से संबंधित चीजों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी.” एसटीईपीएस को अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के सहयोग से फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी ने तैयार किया है.
 
एसटीईपीएस में लगे हैं 6 सेंसर
इसमें छह सेंसर लगे हुए हैं, जो अलग-अलग दिशाओं में अवलोकनकर  रहे हैं और एक मेगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट (MEV) से अधिक के इलेक्ट्रॉन के अलावा, 20 किलोइलेक्ट्रॉन वोल्ट (KEV) /न्यूक्लियॉन से लेकर पांच एमईवी/न्यूक्लियॉन तक के ‘सुपर-थर्मल’ और शक्तिशाली आयनों को माप रहे हैं.

पृथ्वी की कक्षाओं के दौरान के आंकड़ों से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के चारों ओर, विशेष रूप से इसके चुंबकीय क्षेत्र में मौजूद कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी. 

10 सितंबर को सक्रिय हुआ था एसटीईपीएस
एसटीईपीएस पृथ्वी से 50 हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पर 10 सितंबर को सक्रिय हुआ था. यह दूरी पृथ्वी की त्रिज्या (Radius) के आठ गुना से भी अधिक है. बता दें कि इसरो ने बीते दो सितंबर को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए ‘आदित्य-एल1’ का प्रक्षेपण किया था, जिसे पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु-1 (एल1) पर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा.

(इनपुट भाषा से भी)

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