सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (17 जुलाई, 2025) को अपनी तरह का एक अनोखा मामला आया. याचिकाकर्ता ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के सदस्यों और दिल्ली हाई कोर्ट के जजों पर अपने मामले में जानबूझकर गलत आदेश देने का आरोप लगाया. उसने सभी पर FIR दर्ज करने की मांग की. शुरू में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सुनने से मना किया. हालांकि, बाद में वरिष्ठ वकील एस. मुरलीधर को मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया. मुरलीधर खुद भी दिल्ली हाई कोर्ट के जज और ओडिशा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं.
याचिकाकर्ता रवि कुमार का कहना था कि उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के अलावा IIM से भी पढ़ाई की है. उसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में एक पद के लिए परीक्षा दी. परीक्षा में उसने सबसे अधिक अंक प्राप्त किए. लेकिन उसकी जगह अहमदाबाद के रहने वाले सूर्यकांत सोलंकी को नौकरी दे दी गई. इसके लिए नियमों में बदलाव किया गया.
अपना मुकदमा लड़ने के लिए खुद खड़े हुए रवि कुमार
अपने मुकदमे की पैरवी के लिए बतौर वकील रवि कुमार खुद पेश हुए. जस्टिस सूर्य कांत और जोयमाल्या बागची की बेंच ने याचिका पर हैरानी जताते हुए उसे प्रचार के लिए दाखिल कहा. कोर्ट ने रवि कुमार से यह भी पूछा कि किस कानून के तहत हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ उनके न्यायिक काम के लिए FIR दर्ज हो सकती है.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दी दलील
याचिकाकर्ता ने बार-बार कहा कि जब उसने परीक्षा में टॉप किया था, तब नियमों में बदलाव कर दूसरे व्यक्ति को नौकरी देना गलत था. CAT के न्यायिक सदस्यों ने उस पर गलत बात को स्वीकार कर लेने का दबाव बनाया. आदेशों को जारी करने के बाद उन्हें बदला गया. इन बातों का विरोध करने पर उस पर अवमानना का मुकदमा चलाया गया. हाई कोर्ट के जजों का भी रवैया उसके खिलाफ रहा.
जस्टिस सूर्य कांत ने याचिका पर हैरानी जताते हुए कहा, “आप बहुत योग्य व्यक्ति हैं. शायद सब से ज्यादा कानून जानते हैं. अगर फैसला आपके मन मुताबिक नहीं आया, तो जज पर ही FIR की मांग करेंगे?” आखिरकार कोर्ट ने वरिष्ठ वकील मुरलीधर को अपनी सहायता के लिए नियुक्त कर लिया.
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