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सिर्फ फायदा ही नहीं, बीजेपी के लिए नुकसान का सौदा भी साबित हो सकता है 'एक देश, एक चुनाव' का फैसला



<p fashion="text-align: justify;">एक देश- एक चुनाव को लेकर गठित रामनाथ कोविंद कमेटी जल्द ही अपना कार्यभार संभाल सकती है. कानून मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही में कामकाज के रोडमैप को लेकर कोविंद से चर्चा की है. आरजेडी सांसद मनोज झा का कहना है कि वन नेशन-वन इलेक्शन पर सरकारी मसौदा तैयार है, बस उस पर मुहर लगाने के लिए कमेटी बनाई गई है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को संविधान के मूल संरचना पर हमला बताया है. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि सरकार वन नेशन- वन इलेक्शन के जरिए समय से पहले चुनाव कराने की तैयारी में है.&nbsp;</p>
<p fashion="text-align: justify;">एक देश- एक चुनाव बीजेपी खासकर प्रधानमंत्री <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://www.abplive.com/matter/narendra-modi" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> के खास एजेंडे में रहा है. साल 2020 में प्रधानमंत्री इसे देशहित में बता चुके हैं.&nbsp;</p>
<p fashion="text-align: justify;">सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि वन नेशन- वन इलेक्शन के जरिए बीजेपी चुनाव को सेंट्रलाइज करना चाहती है, जिससे लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा के चुनाव में भी फायदा हो.&nbsp;</p>
<p fashion="text-align: justify;">हालांकि, जानकारों का कहना है कि एक देश- एक चुनाव का फैसला सिर्फ नफा ही नहीं, बीजेपी के लिए नुकसान का सौदा भी साबित हो सकता है. कैसे, आइए इसे विस्तार से जानते हैं…</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>1. कमेटी की संरचना बन सकता है बड़ा मुद्दा</robust><br />केंद्र सरकार ने एक देश- एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. इसमें गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, पूर्व लोकसभा सचिव सुभाष कश्यप, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह और पूर्व विजिलेंस अधिकारी संजय कोठारी को इसमें शामिल किया गया है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कमेटी की संरचना पर सवाल उठाया है. चिदंबरम का कहना है कि यह राजनीति और कानून दोनों का मसला है, इसलिए सरकार को कमेटी गठित करने में गंभीरता दिखानी चाहिए थी. कमेटी से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने खुद का नाम वापस ले लिया है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">जानकारों का कहना है कि कमेटी में पूर्व जस्टिस और चुनाव आयोग के किसी पूर्व अधिकारी को शामिल नहीं करना बड़ा मुद्दा बन सकता है. वहीं अधीर को छोड़कर कमेटी के बाकी 7 सदस्यों पर सरकार समर्थित होने का आरोप लगता रहा है.&nbsp;</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>2. महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल में बीजेपी की स्थिति ठीक नहीं</robust><br />लोकसभा सीट के लिहाज से देश के 3 बड़े राज्य महाराष्ट्र, बंगाल और बिहार में बीजेपी की स्थिति ठीक नहीं है. हालिया इंडिया टुडे-सी वोटर सर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र में अगर अभी चुनाव हुए तो एनडीए को 48 में से सिर्फ 20 सीटों पर जीत मिलेगी.</p>
<p fashion="text-align: justify;">एनडीए के मुकाबले इंडिया गठबंधन को 28 सीटों पर जीत मिल सकती है. इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) शामिल हैं. वर्तमान में इन 3 दलों के पास सिर्फ 10 सांसद हैं.</p>
<p fashion="text-align: justify;">इसी सर्वे के मुताबिक चुनाव में इंडिया गठबंधन को करीब 45 प्रतिशत तो एनडीए गठबंधन को 40 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं.जानकारों का कहना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र में एकसाथ हुआ, तो एनडीए को और अधिक नुकसान हो सकता है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">2022 कथित ऑपरेशन लोटस की वजह से उद्धव की सरकार गिर गई, तब से उद्धव ठाकरे और शरद पवार महाराष्ट्र में चुनाव की मांग कर रहे हैं.</p>
<p fashion="text-align: justify;">इसी तरह बिहार में भी एनडीए की स्थिति काफी कमजोर है. इंडिया टुडे-सी वोटर सर्वे की मानें तो बिहार की 40 में से ‘इंडिया’ गठबंधन के खाते में 26 और एनडीए के खाते में 14 सीट जा रही है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">सर्वे के मुताबिक इंडिया गठबंधन को 46 तो एनडीए गठबंधन को बिहार में 39 प्रतिशत वोट चुनाव में मिल सकते हैं. विधानसभा चुनाव के नजरिए से यह काफी अहम हो जाता है. अगर एक साथ यहां चुनाव होता है, तो बीजेपी और एनडीए को लोकसभा के साथ साथ विधानसभा चुनाव में भी नुकसान उठाने पड़ सकते हैं.</p>
<p fashion="text-align: justify;">बंगाल में भी बीजेपी की स्थिति पहले से कमजोर हो गई है. 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 75 प्लस सीटें मिली थी. वहीं लोकसभा में पार्टी ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन पिछले कई महीने से यहां बीजेपी गुटबाजी में उलझी हुई है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">2021 चुनाव के बाद बाबुल सुप्रियो, मुकुल राय और अर्जुन सिंह जैसे कद्दावर नेता बीजेपी छोड़ चुके हैं. दूसरी तरफ ममता बनर्जी की पार्टी बंगाल में ‘इंडिया वांट्स ममता’ का कैंपेन छेड़ चुकी है, जो काफी लोकप्रिय हो रहा है.&nbsp;</p>
<p fashion="text-align: justify;">ऐसे में माना जा रहा है कि बंगाल में भी अगर समय से पहले चुनाव होता है, तो बीजेपी को नुकसान संभव है.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>3. हरियाणा में खतरे के निशान से ऊपर एनडीए का गठबंधन</robust><br />वन नेशन- वन इलेक्शन अगर होता है, तो हरियाणा में बीजेपी की स्थिति और खराब हो सकती है. पहले से ही यहां बीजेपी और सहयोगी जेजेपी में तलवारें तन गई है. 2019 के पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बाद बीजेपी ने जेजेपी से समर्थन लिया था.&nbsp;</p>
<p fashion="text-align: justify;">अब जेजेपी लोकसभा की 3 सीटों पर दावा ठोक रही है. बीजेपी की रणनीति जेजेपी को सिर्फ विधानसभा में साथ लेकर चलने की है. अगर दोनों दलों में किचकिच हुआ तो बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.&nbsp;</p>
<p fashion="text-align: justify;">दूसरी तरफ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और इनेलो का दबदबा बढ़ता ही जा रहा है. अगर ये तीनों दल साथ आ गए, तो इसका सीधा नुकसान एनडीए गठबंधन को उठाना पड़ सकता है.&nbsp;</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>4. यहां अरमानों पर फिरेगा पानी, वजह- मजबूत जनाधार नहीं</robust><br />वन नेशन- वन इलेक्शन के तहत तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु में भी चुनाव होगा. बीजेपी इन तीनों राज्यों में धीरे-धीरे पांव पसारने की कोशिशों में जुटी है, लेकिन समय से पहले यहां चुनाव पार्टी के लिए झटका साबित हो सकता है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">दरअसल, यहां क्षेत्रीय पार्टी काफी ज्यादा हावी है और बीजेपी के पास कोई मजबूत जनाधार नहीं है, लेकिन कभी-कभी बीजेपी लोकसभा की 2-3 सीटें जीतती रही है. मजबूत जनाधार नहीं होने की वजह से बूथ मैनेजमेंट मुश्किल होगा.</p>
<p fashion="text-align: justify;">2024 के लिए बीजेपी तमिलनाडु लोकसभा की 8-10 सीटों पर फोकस कर रही है. बीजेपी यहां बंगाल की तरह दिल्ली में मोदी का अभियान चला रही है. इसी तरह तेलंगाना में भी विधानसभा से ज्यादा बीजेपी लोकसभा पर फोकस कर रही है.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>5. यूपी समेत इन राज्यों में बन सकता है नया समीकरण</robust></p>
<p fashion="text-align: justify;">एक देश- एक चुनाव को क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करने के रूप में देखा जा रहा है. ऐसे में चर्चा इस बात की है कि एक देश- एक चुनाव के फॉर्मूला अगर लागू होता है, तो यूपी, असम और तेलंगाना में नया समीकरण बन सकता है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">यूपी में संविधान से छेड़छाड़ के मुद्दे पर बीएसपी भी इंडिया गठबंधन में आ सकती है. तेलंगाना की बीआरएस भी इंडिया गठबंधन के साथ आ सकती है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">इसी तरह असम में भी एआईयूडीएफ जैसे दलों को गठबंधन में जगह मिल सकती है. ऐसा होता है, तो इन तीनों राज्यों में बीजेपी को नुकसान उठानी पड़ सकती है. यूपी में लोकसभा की 80, असम में 14 और तेलंगाना में 17 सीटें हैं.&nbsp;</p>

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