<p model="text-align: justify;"><sturdy>Bandit Queen Of India: </sturdy>यूपी-राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में 100 किमी की परिधि में फैला हुआ एक भूभाग हैं चंबल. यहां की भूमि बीहड़ है जिसमें खेती नहीं की जा सकती है, लेकिन यहां दस्यु बहुत होते थे. उनमें से एक नाम फूलन देवी का भी था. 10 अगस्त 1963 को फूलन का जन्म हुआ. आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी राजनीति में एंट्री से लेकर दिल्ली में सरेआम हत्या तक की पूरी कहानी बतायेंगे.</p>
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<p model="text-align: justify;">80 के दशक में फूलन देवी के बारे में लोगों को तब खबर हुई जब उन्होंने 14 फरवरी 1981 को कानपुर देहात के बेहमई गांव के 21 ठाकुरों को एक लाइन में खड़ा करके गोली मार दी. इसके पीछे फूलन का तर्क था कि इसी गांव के कुछ ठाकुरों ने उनको बंधक बनाकर उनके साथ तीन हफ्तों तक सामूहिक बलात्कार किया था.</p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>कहां हुआ था फूलन देवी का जन्म? </sturdy><br />फूलन देवी का जन्म जालौन जिले के गांव गोरहा का पुरवा में 10 अगस्त 1963 को एक दलित परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम देवीदीन था. उस पर भी दादा की मौत के बाद उनके पिता की जमीन को उनके चाचा ने हड़प लिया. चाचा की बेईमानी का पता चलने पर अपने पिता की दूसरी संतान फूलन वहीं धरने पर बैठ गईं और लड़ाई हाथापाई तक आ गई. हालांकि दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक जिस जमीन के लिए फूलन डाकू बनी वो उनकी मौत के बाद भी उनको नहीं मिल सकी. </p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>11 साल की उम्र में पहली शादी</sturdy><br />फूलन भी समाज की कई कुरीतियों में से एक बाल विवाह का शिकार 11 साल की उम्र में बनीं. जब उनके ही पिता ने नाबालिग फूलन की शादी अधेड़ उम्र के शख्स पुत्तीलाल मल्लाह से कर दी. उनको ससुराल में बहुत प्रताड़ित किया गया और उनके पति का व्यवहार भी उनके लिए ठीक नहीं था. </p>
<p model="text-align: justify;">प्रताड़ना से बाद फूलन मायके आ गई. चचेरे भाई ने चोरी के झूठे इल्जाम में फूलन को जेल भिजवा दिया. यहीं से उनकी जान-पहचान बागियों से होनी शुरू हुई. परिवार के दबाव से ससुराल आई फूलन ने अपने पति को छोड़ दिया और वह डाकुओं के गैंग में शामिल हो गईं. बताया जाता है कि इस दौरान उनकी उम्र 20 साल रही होगी. </p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>’खुद का गैंग बनाया'</sturdy><br />ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग होकर दस्यु बनीं फूलन की मुसीबतें डाकुओं के गैंग में भी कम नहीं हुईं. गिरोह के सरदार ने उनसे जबरदस्ती करने की कोशिश की. फूलन के साथ इस घटना के बाद पूरी गैंग की संवेदना फूलन के प्रति आ गई और इसी बीच विक्रम मल्लाह नाम के एक गैंग मेंबर ने सरदार बाबू गुर्जर का कत्ल कर दिया और खुद गैंग का सरदार बन गया. </p>
<p model="text-align: justify;">विक्रम मल्लाह की गैंग में दो सगे भाई श्री राम और लाला राम ठाकुर भी थे. कहा यही जाता है कि इन दोनों ने बाद में विक्रम मल्लाह की हत्या कर दी और फूलन को अपने गांव बेहमई उठा लाए. यहीं पर फूलन के साथ उन्होंने बारी-बारी से रेप किया. गैंग के बाकी सदस्यों की मदद से वह छिपते हुए बेहमई से भी भाग निकलीं और खुद का गैंग बना लिया. जिसकी सरदार फूलन बनीं. बाद में उन्होंने इसी गांव के 21 ठाकुरों की प्रतिशोध में गोली मारकर हत्या कर दी. </p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>फिर मध्य प्रदेश में सरेंडर किया</sturdy><br />21 ठाकुरों की हत्या के बाद फूलन और उनका गैंग पुलिस की हिट लिस्ट में आ गया. यूपी से लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान में पुलिस लगातार बागियों का या तो एनकाउंटर कर रही थी या फिर उनको सरेंडर करने पर मजबूर कर रही थी. इस सब में केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार भी चंबल से दस्युओं को सफाया करने के लिए राज्य सरकारों को हर संभव मदद मुहैया करा रही थी. </p>
<p model="text-align: justify;">फूलन के दौर के कई बागी पुलिस में सरेंडर कर चुके थे. मध्य प्रदेश पुलिस फूलन के सरेंडर की कोशिश में जुटी हुई थी. सरकार ने पहले भी कई कुख्यात दस्युओं का सरेंडर करा चुके SP राजेंद्र चतुर्वेदी को फूलन का सरेंडर करने की कमान सौंपी. इस क्रम में एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी ने फूलन की कई शर्तें मान ली और उन्होंने मध्य प्रदेश के तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह के सामने हथियार डाल दिए.</p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>1996 में मिर्जापुर से बनीं सांसद</sturdy><br />1993 में सरेंडर के बाद फूलन जब जेल से रिहा हुईं उसके बाद वह यूपी के तत्कालीन सीएम और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आईं. 1994 में मुलायम सिंह ने फूलन पर लगे सभी मामले वापस ले लिए और 1996 में मिर्जापुर संसदीय सीट से उनको चुनाव लड़ने के लिए पार्टी का टिकट भी दिया. वह चुनाव जीतीं और चंबल से सीधे देश के सर्वोच्च सदन आ गईं. </p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>2001 में हो गई थी मौत </sturdy><br />25 जुलाई 2001 को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए शेर सिंह राणा ने दिल्ली के अशोका रोड स्थित घर पर फूलन की गोली मारकर हत्या कर दी. सांसद बनकर सामान्य जीवन जी रहीं और देश के दलितों, पिछड़ों के सामाजिक न्याय की आवाज को बुलंद करने वाली दस्यु सुंदरी 2001 में हमेशा के लिए चिर निद्रा में सो गईं.</p>
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Rajneesh Singh is a journalist at Asian News, specializing in entertainment, culture, international affairs, and financial technology. With a keen eye for the latest trends and developments, he delivers fresh, insightful perspectives to his audience. Rajneesh’s passion for storytelling and thorough reporting has established him as a trusted voice in the industry.