<p model="text-align: justify;">बीते कुछ महीनों से कोचिंग के हब कहे जाने वाले कोटा से आत्महत्या की खबरें काफी ज्यादा आ रही है. भारत में पिछले कुछ सालों में छात्रों के छोटी उम्र में सुसाइड जैसी जानलेवा कदम उठाने के मामले काफी बढ़ गए हैं. इसी साल यानी 2023 के अगस्त महीने तक कोटा में 22 छात्रों के आत्महत्या करने की खबर आ चुकी है. </p>
<p model="text-align: justify;">केंद्र और राज्य सरकार आत्महत्या के इन मामलों को रोकने के लिए कई कदम भी उठा रही है. जैसे हॉस्टल के पंखों पर काम किया जा रहा है, शिक्षकों को छात्रों पर दबाव कम करने की हिदायतें दी जा रही हैं. लेकिन अब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सरकार एक गाइडलाइन लेकर आई है जिसका नाम है उम्मीद (UMMEED).</p>
<p model="text-align: justify;">इस नई गाइडलाइन के अनुसार अब स्कूलों को सुसाइड प्रिवेंशन के लिए प्लान ऑफ एक्शन बनाना होगा. इसके तहत स्कूलों में वेलनेस टीमें सेट अप की जाएंगी. इस टीम का काम स्कूल के सभी छात्रों से बातचीत कर उनमें अवसाद, आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने की किसी भी लक्षण की पहचान कर उन्हें भावनात्मक रूप से सपोर्ट करना और बच्चों को समझाना होगा. </p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>क्या है ये उम्मीद </sturdy></p>
<p model="text-align: justify;">उम्मीद यानी कि Perceive, Inspire, Handle, Empathise, Empower and Develop ये 6 पॉइंट्स जिनके जरिये सरकार स्टूडेंट्स पर्सपेक्टिव को और बेहतर बनाना चाहती है. जिससे खुद को हार्म करने की जो संभावनाएं हैं वो कम हो जाए. </p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>U</sturdy> – Perceive यानी छात्रों को समझना<br /><sturdy>M</sturdy> – Inspire यानी छात्रो को प्रेरणा देना <br /><sturdy>M</sturdy> – Handle यानी अवसाद या किसी तरह की परेशानी से गुजर रहे छात्रों की स्थिति से निपटना<br /><sturdy>E</sturdy> – Empathise यानी सहानुभूति रखना<br /><sturdy>E</sturdy> – Empower यानी सशक्त करना<br /><sturdy>D</sturdy> – Develop यानी विकसित करना</p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>अब इस ड्राफ्ट में क्या-क्या बातें कही गई है वो भी समझ लेते हैं</sturdy></p>
<p model="text-align: justify;">इस ड्राफ्ट में लिखा है कि छात्रों के लिए कोई भी बदलाव जैसे नए शहर में जाना, नए स्कूल में जाना, अपनों से दूर होना, ये सब परेशान कर सकता है. ड्राफ्ट के अनुसार आजकल के बच्चों पर ऐसे ही क्लास में टॉप करने, हमेशा अच्छे नंबर लाने, प्रत्योगी परिक्षाओं में क्वालीफाई करने जैसे तमाम दवाब होते हैं.</p>
<p model="text-align: justify;">ऐसे में अगर स्कूल में शिक्षक या घर पर माता पिता बच्चों से किसी तरह का असंवेदनशील बात कहता है. तो इससे छात्र ट्रिगर हो सकते हैं. ऐसा न हो इसलिए उम्मीद गाइडलाइन में क्या-क्या कदम उठाए जाने चाहिए ये बताया गया है. </p>
<p model="text-align: justify;">ड्राफ्ट में लिखा है कि सभी विद्यालयों में स्कूल वेलनेस टीम (Faculty Wellness Workforce) बनाई जा सकती है. जिसमें प्रिंसिपल, काउंसलर, टीचर, स्कूल मेडिकल ऑफिसर, स्टाफ नर्स अन्य सपोर्ट स्टाफ शमिल होंगे. इस ड्रफ्ट में वक्त के साथ लगातार बदलाव होते रहेंगे और समय के साथ इसमें अलग अलग नियम भी जुड़ते जाएंगे.</p>
<p model="text-align: justify;">वेलनेस टीमें आत्महत्या को रोकने के लिए न सिर्फ बच्चों को बल्कि अगर उन्हें किसी छात्र में अवसाद या खुद को नुकसान पहुंचाने वाले आदत नजर आते हैं तो उनके परिवार या माता पिता को भी आत्महत्या के बारे में जागरूक करने का काम करेगी. इस ड्राफ्ट में ये भी कहा गया है कि टीम को किसी ऐसे छात्र के बारे में अगर पता चलता है तो उसकी पहचान सामने नहीं लाई जाएगी.</p>
<p model="text-align: justify;">ड्राफ्ट में ये भी कहा गया है कि स्कूल में छात्रों का ध्यान रखना सिर्फ शिक्षक या प्रिंसिपल का काम नहीं बल्कि इस मिशन में सबको सहयोग देना होगा. अगर शिक्षक या पेरेंट्स को अपने बच्चे में कुछ भी अलग नजर आता है तो उन्हें तुरंत एक दूसरे से बातचीत करनी चाहिए. </p>
<p><sturdy>5 पॉइंट में समझें है क्या है उम्मीद गाइडलाइन</sturdy></p>
<p><sturdy>1. </sturdy>स्कूल में किसी भी छात्र के साथ भेदभाव या उनकी तुलना न की जाए. अंकों के आधार पर या रंग, कपड़े, जूते के आधार पर, बिल्कुल नहीं. उनमें हीन भावना किसी भी सूरत में न पनपने दें.</p>
<p><sturdy>2. </sturdy>गाइडलाइन के अनुसार वेलनेस टीम को सारा एक्शन चुपचाप लेना है. आत्महत्या को रोकने को हर परिसर में डिटेल एक्शन प्लान बने और समय से उस पर अमल भी हो.</p>
<p><sturdy>3. </sturdy>गाइडलाइन UMMEED के मुताबिक पीड़ित छात्रों की मदद करने के लिए पैरेंट्स यानी माता पिता का सहयोग लिया जाएगा.</p>
<p><sturdy>4. </sturdy>ड्राफ्ट कहता है कि सिर्फ स्कूल प्रिंसिपल या टीचर नहीं, बल्कि इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए शैक्षिक परिसर का हर सदस्य को इसमें सहयोगी बनना होगा.</p>
<p><sturdy>5. </sturdy>पैरेंट्स को अलर्ट होना सबसे जरूरी </p>
<p model="text-align: justify;"><sturdy>हर साल करीब 7 लाख लोग करते हैं आत्महत्या</sturdy></p>
<div class="bbc-19j92fr ebmt73l0" dir="ltr">
<p class="bbc-kl1u1v e17g058b0" dir="ltr">सरकारी डेटा के मुताबिक, हमारे देश में साल 2021 में लगभग 13 हजार छात्रों ने आत्महत्या की थी. जबकि एक साल पहले यानी साल 2020 में 2021 के आंकड़े से 4.5 प्रतिशत कम आत्महत्याएं हुई थी.</p>
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<div class="bbc-19j92fr ebmt73l0" dir="ltr">
<p class="bbc-kl1u1v e17g058b0" dir="ltr">विश्व स्वास्थय संगठन के अनुसार भारत में हर साल करीब सात लाख लोग आत्महत्या करते हैं और 15-29 साल के उम्र में आत्महत्या मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है.</p>
<p id="क्या-कहते-हैं-मनोचिकित्सक" class="bbc-8gixqw eglt09e0" tabindex="-1"><sturdy>क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?</sturdy></p>
<div class="bbc-19j92fr ebmt73l0" dir="ltr">
<p class="bbc-kl1u1v e17g058b0" dir="ltr">मनोचिकित्सक डॉक्ट रितिका पोडवाल ने एबीपी से बातचीत में कहा, " वर्तमान में बच्चों के बीच आत्महत्या की संख्या बढ़ने का एक कारण ये भी है कि इन सभी के हाथ में स्मार्ट फोन आ गया. कुछ बच्चों फोन में गेम खेलने के इतने आदि हो जाते हैं कि पढ़ाई करने के लिए खुद के समय ही नहीं दे पातें. फोन में ज्यादा समय बिताने के कारण वह कक्षा में पढ़ाई पर ध्यान कम देने लगें और पिछड़ने लगे. और जब बच्चे अपने सहपाठियों से कम अंक लाने लगते हैं या यूं कहें कि पिछड़ जाते हैं, तो डिप्रेशन में चले जाते हैं और मन में सुसाइड के ख्याल आने लगते हैं. </p>
<p class="bbc-kl1u1v e17g058b0" dir="ltr">कोटा की बात करें तो इस जगह पर एक कोचिंग में 200-300 छात्र होते हैं और यहां पढ़ाई भी काफी तेजी से करवाई जाति है. ऐसे में अगर किसी छात्र ने एक या दो दिन बंक मार दिया तो फिर आप पढ़ाई को पकड़ नहीं पाते हैं और पीछे हो जाने के कारण स्ट्रेस बढ़ता जाता है. उसका असर टेस्ट में दिखता है जो और तनाव बढ़ाता है.</p>
<p><sturdy>कोटा में आत्महत्या को रोकने के लिए सरकार उठा चुकी है ये कदम</sturdy></p>
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<li>कोटा में वार्डन और स्टाफ सदस्यों को मेस प्रबंधन, मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक परामर्श का प्रशिक्षण दिया गया. </li>
<li>मेस वर्कर, हाउस कीपिंग, वार्डन, सुरक्षा गार्ड, सहित अन्य के बारे में एक सर्वे करने का आदेश दिया गया. </li>
<li>पंखों में एक एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य. </li>
<li>कोचिंग संस्थानों को दो महीने तक कोई परिक्षा नहीं लेने के आदेश. </li>
<li>हॉस्टल के बालकनी में एंटी सुसाइड नेट लगाने का आदेश. </li>
<li>वार्डन को दरवाजे पर दस्तक अभियान में शामिल होने के आदेश. </li>
<li>छात्र के मेस में शामिल नहीं होने, खाना न खाने जैसी बातों का ख्याल रखने का आदेश. </li>
</ul>
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