<p style="text-align: justify;">कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि 2007 में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान नंदीग्राम और खजूरी में हुई हत्याओं से संबंधित 10 आपराधिक मामलों में आरोपी व्यक्तियों पर मुकदमा चलना चाहिए. साथ ही, निर्देश दिया कि इन मामलों को फिर से शुरू कर मुकदमा चलाया जाए.</p>
<p style="text-align: justify;">जस्टिस देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कम से कम 10 लोगों की हत्या से जुड़े मामलों में अभियोजन वापस लेने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को कानूनन गलत बताते हुए निर्देश दिया कि अभियोजन पक्ष द्वारा मामलों को फिर से शुरू करने के लिए उपयुक्त कदम उठाया जाए.</p>
<p style="text-align: justify;">इन मामलों को 2020 में दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 321 (संबंधित अदालत की सहमति से अभियोजन पक्ष द्वारा किसी व्यक्ति के खिलाफ अभियोजन वापस लेना) के तहत वापस ले लिया गया था.</p>
<p style="text-align: justify;">अदालत ने सोमवार (10 फरवरी, 2025) को सुनाये गए अपने फैसले में कहा कि हत्याएं हुई थीं, इसलिए 10 आपराधिक मामलों में आरोपियों पर मुकदमा चलना चाहिए. पीठ ने कहा, ‘दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत अभियोजन पक्ष को मामला वापस लेने की अनुमति देना जनहित में नहीं होगा. वास्तव में, इससे जनता को नुकसान और क्षति पहुंचेगी.'</p>
<p style="text-align: justify;">पीठ में जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी भी शामिल हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 321 को लागू करने के राज्य के फैसले को कानूनी या वैध नहीं कहा जा सकता. अदालत ने कहा, ‘इसकी गलत व्याख्या राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा देने के रूप में की जा सकती है, जबकि संवैधानिक प्रावधान किसी भी सरकार को किसी भी तरीके या रूप में हिंसा को हतोत्साहित करने के लिए बाध्य करते हैं.'</p>
<p style="text-align: justify;">अदालत ने कहा कि समाज में किसी भी प्रकार की हिंसा का उन्मूलन एक आदर्श है, जिसके लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए. इसने कहा कि लोकतंत्र में, चुनाव से पहले या बाद में किसी भी तरह की हिंसा से बचना चाहिए. हाईकोर्ट की पीठ ने कहा, ‘सरकार को किसी भी प्रकार की हिंसा के प्रति शून्य सहिष्णुता दिखानी चाहिए.'</p>
<p style="text-align: justify;">वर्ष 2007 में नंदीग्राम और पूर्वी मेदिनीपुर जिले के खजूरी में विभिन्न घटनाओं में 10 से अधिक लोगों की हत्या होने का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि ऐसी घटनाओं से संबंधित आपराधिक मामलों को शांति और सौहार्द की वापसी के आधार पर अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत वापस लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.</p>
<p style="text-align: justify;">मामलों में अभियोजन वापस लेने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को खारिज करते हुए पीठ ने कहा, ‘यह उम्मीद की जाती है कि जिन अदालतों में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत आवेदन स्वीकार करने के आदेश पारित किए गए थे, वहां आपराधिक मामलों के प्रभारी सरकारी वकील इस फैसले और आदेश की तारीख से एक पखवाड़े के भीतर उपयुक्त कदम उठाएंगे.'</p>
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