<p fashion="text-align: justify;">इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जंग के हालात बन गए हैं. 7 अक्टूबर की सुबह लगभग 8 बजे इजरायल पर फिलिस्तीन संगठन हमास ने महज 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागे. ये रॉकेट इजरायल के रिहायशी इमारतों पर गिरे जिससे 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग घायल हुए हैं. </p>
<p fashion="text-align: justify;">हमले के तुरंत बाद ही इजरायल ने ‘युद्ध’ की घोषणा कर दी और जवाबी कार्रवाई करते हुए गाजा पट्टी में हमास के 17 सैन्य ठिकानों और 4 हेडक्वार्टर पर हवाई हमला किया जिसमें, 250 लोगों की मौत हो गई. फिलहाल दोनों देशों के बीच हालात बिलकुल खराब है. </p>
<p fashion="text-align: justify;">इन दोनों देशों के बीच जारी जंग और मासूमों की हो रही हत्या पर दुनिया के अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. ज्यादातर देश हमास के इस हमले की कड़ी निंदा कर रहे हैं. भारत ने इजरायल पर हुए हमले की निंदा की है और खुद को इजरायल के साथ खड़ा बताया है. लेकिन पीएम ने इस हमले को आतंकवादी हमला बताकर भी सबको हैरान कर दिया है. </p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>भारत में कांग्रेस क्यों है सतर्क</sturdy></p>
<p fashion="text-align: justify;">देश में कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में कांग्रेस नहीं चाहती की उनका एक भी बयान चुनावी माहौल में उनके खिलाफ जाए. यही कारण है कि फिलिस्तीन का समर्थक माने जाने वाले कांग्रेस ने इस पूरे मामले पर संतुलित बयान जारी किया है और पीएम के इजरायल के समर्थन में किए गए बयान की आलोचना नहीं की.</p>
<p fashion="text-align: justify;">दरअसल कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक बयान में जहां एक तरफ इजरायल के लोगों पर हुए भीषण हमले की निंदा की है. वहीं दूसरी तरफ उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि इस तरह की हिंसा कभी कोई समाधान नहीं देती है और इस पर रोक लगनी चाहिए. </p>
<p fashion="text-align: justify;">कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश कहते हैं कि, ‘कांग्रेस का हमेशा यह मानना रहा है कि फिलिस्तीन के लोगों की वैध आकांक्षाएं बातचीत के माध्यम से अवश्य ही पूरी की जानी चाहिए, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी इजराइली चिंताओं का भी समाधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए.'</p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>कांग्रेस ने हमेशा किया फिलिस्तीन का समर्थन </sturdy></p>
<p fashion="text-align: justify;">कांग्रेस भले ही वर्तमान परिस्थिति में संतुलित बयान देकर किसी भी तरह के विवाद में फंसने से बचना चाह रहा हो लेकिन कांग्रेस ने हमेशा ही फिलिस्तीनी का समर्थन किया है. कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए उस पर फिलिस्तीन के साथ पहले किए गए कमिटमेंट से हटने और अपना समर्थन पूरी तरह से इजरायल को देने का आरोप लगाया था. इसके अलावा साल 2021 के जून महीने में कांग्रेस ने गाजा में इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच चल रहे संघर्ष पर भारत के रुख की आलोचना की थी. </p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>क्या इजरायल फिलिस्तीन मुद्दा बदल सकता है भारत में चुनाव का रुख </sturdy></p>
<p fashion="text-align: justify;">बीजेपी ने शनिवार (7 अक्टूबर) को इजराइल हमले को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला. इस दौरान मुंबई आतंकी हमले सहित देशभर में विभिन्न आतंकी घटनाओं का उदाहरण देते हुए बीजेपी ने कहा, "इजरायल आज जो झेल रहा है, वही भारत ने 2004-14 के बीच झेला. कभी माफ मत करो, कभी मत भूलो…". बीजेपी की ओर से जारी किए गए वीडियो में राहुल गांधी का एक बयान भी शामिल किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘हर आतंकवादी हमले को रोकना बहुत मुश्किल है.'</p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>फिलिस्तीन के समर्थन में अटल बिहारी वाजपेयी का वीडियो वायरल </sturdy></p>
<p fashion="text-align: justify;">एक तरफ जहां बीजेपी कांग्रेस पर पुराने वीडियो के सहारे निशाना साध रहा है. वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर साल 1977 का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इजरायल और फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं.</p>
<p fashion="text-align: justify;">वायरल वीडियो साल 1977 में जनता पार्टी की विजय रैली का है, इस रैली में अटल बिहारी वाजपेयी फिलिस्तीन का खुलकर समर्थन कर रहे हैं. वाजपेयी कहते नजर आ रहे हैं, "अरबों की जिस जमीन पर इजरायल कब्जा करके बैठा है, वो जमीन उसको खाली करना होगी."</p>
<p fashion="text-align: justify;">उसी वीडियो में अटल बिहार वाजपेयी कहते नजर आ रहा हैं कि, ‘ये कहा जा रहा है कि जनता पार्टी की सरकार बन गई. वो अरबों का साथ नहीं देगी, इजरायल का साथ देगी. आदरणीय मोरारजी भाई स्थिति को स्पष्ट कर चुके हैं. गलतफहमी को दूर करने के लिए मैं कहना चाहता हूं कि हम हरेक प्रश्न को गुण और अवगुण के आधार पर देखेंगे. लेकिन मध्य पूर्व के बारे में यह स्थिति साफ है कि अरबों की जिस जमीन पर इजरायल कब्जा करके बैठा है, वो जमीन उसको खाली करना होगी."</p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>कैसे रहे हैं भारत फिलिस्तीन के संबंध </sturdy></p>
<p fashion="text-align: justify;">भारत शुरू से ही फिलिस्तीन की मांगों का समर्थन करता रहा है. साल 1947 में भारत फिलिस्तीन के बंटवारे के खिलाफ खड़ा था. साल 1970 के दशक में भारत ने पीएलओ और उसके नेता यासिर अराफात का समर्थन किया था. इसके बाद साल 1975 में भारत ने पीएलओ को मान्यता दी थी और भारत पहला ऐसा गैर-अरब देश बन गया था जिसने पीएलओ को मान्यता दी थी. साल 1988 में भारत ने ही फिलिस्तीन को एक देश के रूप में औपचारिक तौर पर मान्यता दी थी.</p>
<p fashion="text-align: justify;">इतना ही नहीं साल 1996 में फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण की स्थापना के बाद भारत ने गाजा में अपना रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस भी खोला था. हालांकि यह ऑफिस साल 2003 में ‘रामाल्लाह’ में शिफ्ट कर दिया गया. रामाल्लाह वेस्ट बैंक की इलाके में एक शहर है जो जुडी की पहाडियों से घिरा हुआ है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने साल 2008 में भारत दौरे के दौरान नई दिल्ली में फिलिस्तीनी दूतावास भवन का शिलान्यास किया था. </p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>भारत- इजरायल संबंध</sturdy></p>
<p fashion="text-align: justify;">इजरायल को भारत ने साल 1950 में मान्यता दी थी. हालांकि, 1992 से पहले भारत के इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं थे. पहली बार भारत ने साल 1992 में ही इजरायल के साथ अपने कूटनीतिक संबंध स्थापित किए थे. साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने इजरायल के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया था. इस प्रस्ताव में गाजा इलाके में इजरायल के मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांंच शामिल था. इस प्रस्ताव पर भारत ने इजरायल के खिलाफ वोट करने से किनारा कर लिया था. </p>
<p fashion="text-align: justify;">फिलहाल जानकारों का कहना है कि, इजरायल फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत का रुख तटस्थ और शांति बहाल करने पर होगा, लेकिन हमास को लेकर भारत आपत्ति जाहिर कर सकता है.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>इजरायल पर हमास ने क्यों किया हमला?</sturdy></p>
<p fashion="text-align: justify;">हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ ने इस हमले पर कहा- ये हमला येरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद को इजराइल की तरफ से अपवित्र करने का बदला है. सेना हमास के ठिकानों पर लगातार हमले कर रही है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">वहीं 7 अक्टूबर को हुए इस हमले के तुरंत बाद ही इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वीडियो संदेश जारी कर इसे युद्ध करार दिया है. उन्होंने कहा कि हम युद्ध में हैं और हम जीतेंगे.</p>
<p fashion="text-align: justify;">बता दें <a title="साल 2023" href="https://www.abplive.com/matter/new-year-2023" data-type="interlinkingkeywords">साल 2023</a> के अप्रैल महीने में इजरायली पुलिस ने अल-अक्सा मस्जिद में ग्रेनेड फेंके थे. वहीं हमास के प्रवक्ता गाजी हामिद ने अलजजीरा से हुए बातचीत में कहा, "ये कार्रवाई उन अरब देशों को हमारा जवाब है, जो इजरायल के साथ करीबी बढ़ा रहे हैं." </p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>तीन महीने पहले भी हो चुका है हमला</sturdy></p>
<p fashion="text-align: justify;">इजरायल और फिलिस्तीन इन दोनों देशों के बीच विवाद कोई नया नहीं है. 7 अक्टूबर को किए हुए हमले से तीन महीने पहले ही फिलिस्तीन के जेनिन शहर पर हमला किया गया था जिसमें 12 फिलिस्तीनियों की मौत हुई थी. ये ऑपरेशन 2 दिन तक चला था. इस हमले में एक इजराइली सैनिक की भी जान चली गई थी. इस दौरान तेल अवीव में एक हमास का हमलावर अपनी कार लेकर बस स्टॉप में घुस गया और लोगों पर चाकू से हमला करने लगा था.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>अब तक कितने लोगों की जा चुकी है जान </sturdy></p>
<p>बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, हमास के हमले में इजराइल के 600 लोगों की मौत हो गई है, जबकि लगभग 2000 से ज्यादा घायल हैं. इसके अलावा 100 लोगों को बंधक बना लिया गया है. वहीं, दूसरी तरफ इजराइली सेना के हमले में फिलिस्तीन के 370 लोग मारे गए हैं और 2200 से अधिक घायल हो गए हैं.</p>
<p>इजराइली सेना की जवाबी कार्रवाई के बाद चरमपंथी समूह हमास ने युद्ध और तेज करने की घोषणा की. हमास ने यह भी दावा किया है कि उसने दक्षिणी इजराइली शहर स्देरोट की तरफ रविवार को 100 रॉकेट्स दागे. रॉकेट हमलों की वजह से कुछ लोगों को चोटें आईं. इजराइली इमरजेंसी सर्विस ने इसकी पुष्टी भी की.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>क्या है इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद?</sturdy></p>
<p fashion="text-align: justify;">पहले विश्व युद्ध के बाद मध्य पूर्व में ऑटोमन साम्राज्य के खत्म होने के बाद इस इलाके पर ब्रितानियों ने कब्जा कर लिया था. जहां ज्यादातर यहूदी और अरब समुदाय के लोग रहते थे. इन दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ने लगा. जिसके बाद ब्रितानी शासकों ने इस जगह यहूदियों के लिए फलस्तीन में ‘अलग जमीन’ बनाने की बात की.</p>
<p fashion="text-align: justify;">साल 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फैसला लिया कि फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा. जिसमें पहला हिस्सा यहूदियों और दूसरा हिस्सा अरब समुदायों के लिए रखा जाएगा. ऐसे में अरब के विरोध के बीच 14 मई 1948 को यहूदी नेताओं ने इजरायल राष्ट्र के गठन का ऐलान कर दिया और ब्रितानी यहां से चले गए.</p>
<p fashion="text-align: justify;">इसके तुरंत बाद पहला इजरायल और अरब युद्ध छिड़ा. जिस कारण यहां लगभग साढ़े सात लाख फिलिस्तीनी बेघर हो गए. इस युद्ध के बाद ये पूरा क्षेत्र तीन हिस्सों में बंट गया. पहला हिस्सा इजराइल, दूसरा वेस्ट बैंक (जॉर्डन नदी का पश्चिमी किनारा) और तीसरा गाजा पट्टी.</p>
<p fashion="text-align: justify;">फलस्तीनी लोग गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में रहते हैं. लगभग 25 मील लंबी और 6 मील चौड़ी गाजा पट्टी 22 लाख लोगों की रिहाइश की जगह है. वहीं आबादी के हिसाब से देखें तो ये दुनिया का सबसे ज्यादा घनत्व वाला क्षेत्र है.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><sturdy>दुनिया भर के देशों ने क्या कहा </sturdy></p>
<p><sturdy>अमेरिका:</sturdy> शनिवार को दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर अमेरिका ने इस पूरे मामले पर अपना पहला बयान दिया. इस देश ने हमास के हमलों की निंदा करते हुए इजराइल के लिए समर्थन व्यक्त किया. इसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी संवेदना और समर्थन व्यक्त करने के लिए नेतन्याहू से बात की. </p>
<p><sturdy>भारत:</sturdy> प्रधानमंत्री <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://www.abplive.com/matter/narendra-modi" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> ने इजराइल के प्रति संवेदना और अपना समर्थन जताया. </p>
<p><sturdy>सऊदी अरब: </sturdy>इस देश ने फिलिस्तीन और इजराइल से तत्काल प्रभाव से तनाव कम करने का आह्वान किया. </p>
<p><sturdy>ईरान: </sturdy>ईरान ने हमास को बधाई देते हुए कहा कि वह फिलिस्तीनी लड़ाकों के साथ खड़ा रहेगा.</p>
<p><sturdy>कतर: </sturdy>कतर के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि फिलिस्तीनी लोगों के साथ बढ़ती हिंसा के लिए केवल इजराइल जिम्मेदार है. </p>